MP Election 2023: मध्य प्रदेश में मुस्लिम वोटों का क्या है समीकरण,कांग्रेस ने लगा रखी है निगाहें, कितनी सीटों पर होगी निर्णायक भूमिका

MP Election 2023: 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मुस्लिम मतों के सहारे भाजपा को पिछाड़ने में कामयाब हुई थी। मुस्लिम मतदाताओं का व्यापक समर्थन मिलने से कांग्रेस के मत प्रतिशत में भी करीब चार फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2023-10-22 14:23 IST

MP Election 2023 (Social Media)

MP Election 2023: मध्य प्रदेश में मुस्लिम वोटों का क्या है समीकरण,कांग्रेस ने लगा रखी है निगाहें,कितनी सीटों पर होगी निर्णायक भूमिका मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। दोनों दलों ने चुनावी जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है और ऐसे में सबकी निगाहें मुस्लिम वोट बैंक पर भी लगी हुई हैं। हालांकि मध्य प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओं का प्रतिशत उत्तर प्रदेश और बिहार जैसा नहीं है मगर फिर भी 22 सीटों पर अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मुस्लिम मतों के सहारे भाजपा को पिछाड़ने में कामयाब हुई थी। मुस्लिम मतदाताओं का व्यापक समर्थन मिलने से कांग्रेस के मत प्रतिशत में भी करीब चार फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।

22 सीटों पर होगी निर्णायक भूमिका

मध्य प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 9 से 10 फ़ीसदी मानी जा रही है। 2011 की जनगणना के समय मध्य प्रदेश में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब सात फीसदी थी। कांग्रेस से जुड़े मध्य प्रदेश मुस्लिम विकास परिषद के समन्वयक मोहम्मद माहिर ने कहा कि मौजूदा समय में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बढ़कर करीब 10 फ़ीसदी तक पहुंच गई है।

माहिर के मुताबिक राज्य की 47 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका निभाएंगे जबकि 22 सीटों पर वे निर्णायक स्थिति में दिख रहे हैं। राज्य के 47 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या पांच से 15 हजार के बीच है जबकि 22 सीटों पर मुस्लिम मतदाता करीब 15,000 से 35,000 के बीच है। राज्य में कड़े मुकाबले के बीच इन मतदाताओं की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है।

2018 में कांग्रेस को मिला था व्यापक समर्थन 

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने 2018 के विधानसभा चुनाव में कहा था कि मुस्लिम मतदाताओं का पूरा समर्थन मिलने पर कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हो सकती है। कमलनाथ की इस अपील का खासा असर दिखा था और कांग्रेस की 10-12 सीटें बढ़ गई थीं। इन सीटों पर 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत नहीं मिल सकी थी। इस कारण कांग्रेस बीजेपी से आगे निकलने में कामयाब हुई थी।

इस बार भी कांग्रेस की निगाहें मुस्लिम मतदाताओं पर

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 114 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी जबकि भाजपा 109 सीटें जीतकर पिछड़ गई थी। हालांकि बाद में कई कांग्रेस विधायकों के बागी तेवर दिखाने के बाद भाजपा फिर सरकार बनाने में सफल हो गई थी। इस बार भी कांग्रेस की निगाहें मुस्लिम वोट बैंक पर लगी हुई हैं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि 2018 के विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी मुस्लिम वोट बैंक का पूरा रुझान कांग्रेस की ओर दिख रहा है।

मुसलमानों को धोखा देने का बीजेपी का आरोप

दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि कांग्रेस हमेशा मुसलमानों के वोट हासिल करके उन्हें धोखा देती रही है। भाजपा प्रवक्ता और मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सांवर पटेल ने कहा कि राज्य में कांग्रेस का करीब 53 वर्ष राज रहा है मगर पार्टी ने मुस्लिम समुदाय के लिए कुछ नहीं किया। कांग्रेस हमेशा लॉलीपॉप दिखाकर मुसलमानों के वोट हासिल करती रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस में सिर्फ दो मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं।

उन्होंने कहा कि दूसरी ओर भाजपा ने मुसलमानों का सामाजिक और आर्थिक विकास करने का प्रयास किया है। ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं को कांग्रेस के झांसे में नहीं आना चाहिए। राज्य में हो रहे हो कड़े मुकाबले के मद्देनजर मुस्लिम मतदाताओं का रुख अहम हो गया है और यही कारण है कि कांग्रेस नेता मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

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