Rewa News: शराब की दुकानों में ना रेट लिस्ट ना लगी चेतावनी, आबकारी विभाग के अफसर भी कर रहे नजरअंदाज

Rewa News: रीवा शराब दुकान ठेकेदारों की मनमानी पूरी तरह आबकारी विभाग पर हावी है। नियमों को दरकिनार करने वाले ठेकेदारों ने शराब दुकानों पर ना तो रेट लिस्ट लगाई है और ना ही चेतावनी के बोर्ड लगा रखे हैं।

Update: 2023-01-03 05:07 GMT

Liquor Shops in Rewa (Photo: social media )

Rewa News: रीवा शराब दुकान ठेकेदारों की मनमानी पूरी तरह आबकारी विभाग पर हावी है। नियमों को दरकिनार करने वाले ठेकेदारों ने शराब दुकानों पर ना तो रेट लिस्ट लगाई है और ना ही चेतावनी के बोर्ड लगा रखे हैं। जबकि यह दोनों ही अनिवार्य हैं। इस ओर आबकारी विभाग के अफसर को सख्ती दिखानी चाहिए, लेकिन काम की व्यस्तता में शायद उन्हें यह सब नजर नहीं आ रहा। ऐसे में बिना बिल, मनमाने रेट पर शराब बेच रहे ठेकेदारों के अपने नियम रीवा जिले में चल रहे हैं।

रीवा के आबकारी विभाग के नियमों की बात करें तो दुकान में शराब उत्पादों की रेट लिस्ट ऐसे प्रदर्शित करना होती है कि ग्राहक को सामने ही नजर आए। इसके साथ ही प्रत्येक दुकान में मदिरापान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस चेतावनी वाले बोर्ड लगाना भी अनिवार्य है। इस साइन बोर्ड के आसपास मदिरा विज्ञापन संबंधी कोई दूसरा पोस्टर या प्रचार सामग्री प्रदर्शित नहीं की जा सकती। रीवा के अधिकांश शराब दुकानों में रेट लिस्ट के बोर्ड नहीं हैं। इस नियम का पालन इसलिए नहीं किया जा रहा ताकि मनमाने रेट पर शराब की बिक्री की जा सके।

हर शराब दुकान पर प्रचार सामग्री

शराब की हर दुकान पर प्रचार प्रसार के लिए बड़े ग्लासाइन बोर्ड लगाए गए हैं। जबकि यह नियमों के विपरीत है। आबकारी विभाग के अधिकारी इस ओर इसलिए भी नहीं देखते कि उन्हें इतनी शिकायत होने के बावजूद भी आपकारी अधिकारी धृतराष्ट्र की तरह मौन क्या कारण है। शिकायत का इंतजार रहता है। कोई शिकायत के बावजूद भी नहीं संज्ञान नहीं लेते हैं। कई शराब की दुकानें तो ऐसी हैं, जहां चेतावनी से जयादा विज्ञापन के बोर्ड लोगों को आकर्षित करने के लिए लगाए गए हैं।

आबकारी विभाग की अनदेखी, शराब दुकानों पर होने लगी मनमानी

रीवा में शराब की दुकानों पर फिर से मनमानी शुरू हो गई है। यानि शराब की दुकानों पर शासन की तय कीमत से अधिक पर शराब बेची जा रही है। लेकिन आबकारी विभाग इन पर कार्रवाई नहीं कर रहा है।

महंगी कीमत पर शराब बेचने के लिए बनाया सिंडिकेट

रीवा में शराब की दुकानों पर फिर से मनमानी शुरू हो गई है। यानि शराब की दुकानों पर शासन की तय कीमत से अधिक पर शराब बेची जा रही है। लेकिन आबकारी विभाग इन पर कार्रवाई नहीं कर रहा है। खासबात यह है कि आबकारी विभाग की जांच में भी यह बात सामने आ चुकी है। शराब के महंगा होने की वजह के पीछे बताया जा रहा है कि शहर में फिर से सिंडीकेट पनप गया है और अधिकतर दुकानों पर कब्जा कर लिया है।

मध्य प्रदेश सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत इस बार कंपोजिट शराब की दुकानों का सूत्र लागू किया है। इसमें दुकानों की संख्या भले ही नहीं बढी है लेकिन देसी और विदेशी शराब दुकानों को कामन कर दिया गया है। जहां विदेशी शराब मिलेगी वहां देसी शराब भी मिलेगी। यही कारण है कि इस बार शराब दुकानों के ठेके होने के बाद बड़े और छोटे शराब कारोबारी इसमें उतरे और ठेके लिए। जगह जगह शराब की शोरूम जैसी दुकानें आसानी से देखी जा सकतीं है,जो अभी तक नहीं दिखीं थीं।

अवैध शराब की धड़पकड़ के लिए शहर से लेकर गांवों तक दी दबिश लेकिन पुलिस द्वारा आबकारी विभाग पर सवालिया निशान खड़ी करती प्रकरण एक भी नहीं आबकारी विभाग नहीं बनाये प्रकरण।

सिंडिकेट दुकान जो ज्यादा चलते हैं उनपर मनमाने दामों पर बिक रही शराब। आबकारी की कंपोजिट दुकानों पर नाम न छापने की शर्त पर शराब दुकानदार ने बताया कि शराब दुकानों पर एक ही रेट की शराब अधिकतर जगह मिलेगी। जो शराब व बीयर के ब्रांड ज्यादा चलते हैं,उनपर एमआरपी से भी ज्यादा दाम वसूले जा रहे हैं। यह एमआरपी से पचास से सौ रूपए तक ज्यादा वसूल किया जाता है। शहरी दुकानों में ऐसे मुख्य मुख्य ब्रांडों को चिन्हित कर एक ही रेट ठेकेदारों द्वारा लागू कर दिया जाता है। ऐसे में ग्राहक की मजबूरी बन जाती है कि उसे अपना निर्धारित ब्रांड चाहिए तो मनमाने दाम देना ही पड़ेंगें।

रेट लिस्ट दिखावा के आदेश हवा में

शराब दुकानों पर रेट लिस्ट को लेकर आबकारी आयुक्त ने आदेश जारी किए थे और इसके बाद दुकानों पर रेट लिस्ट नहीं लगी । आबकारी अधिकारी विभाग के अफसर सब जानते हुए भी कार्रवाई नहीं करते।

विभाग का डर नहीं, निगरानी भी सुस्ती आबकारी अफसरों का शराब ठेकेदारों में कितना डर है, यह पिछले दिनों की कार्रवाई में सामने आ चुका है। विभाग ने दो से तीन जगह कार्रवाई की और एमआरपी से अधिक दाम में शराब बेचना मिला, इसके बाद एक दिन के लिए दुकान निलंबन की कार्रवाई की गई। लेकिन आज तक रेट लिस्ट नहीं तनी गई है लोगों का जेब से ज्यादा पैसा निकालने को मजबूर हैं और शासन को राजस्व कभी नुकसान होता है।

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