MP News: सफेद शेरों की धरती में क्या हैं राजनीतिक मुद्दे, जानें रीवा विधानसभा का जातिगत समीकरण
MP News Today: मध्य प्रदेश की विधानसभा रीवा में स्थित है। लेकिन आज भी जिला मुख्यालय की इस विधानसभा सीट में आज भी कई समस्याएं हैं, जिनका निदान अभी तक नहीं हो पाया है।
Rewa News: मध्य प्रदेश का रीवा जिला सफेद बाघों के लिए जाना जाता है। रीवा को सफेद बाघों की भूमि भी कहा जाता है। दुनिया में वर्तमान में जहां भी सफेद बाघ हैं, उन सबका डीएनए विंध्य और रीवा से जुड़ा हुआ है। पहला जीवित सफेद बाघ मोहन के रूप में पकड़े जाने का दावा है। बात 27 मई 1951 की है जब सीधी जिले के कुसमी क्षेत्र के पनखोरा गांव के नजदीक जंगल में बाघिन का शिकार करने महाराजा मार्तण्ड सिंह के साथ शाही मेहमान जोधपुर के महाराजा अजीत सिंह पहुंचे थे।
तीन शावक तो जंगल की ओर भाग गए लेकिन सफेद रंग वाला वहीं पर एक गुफा में छिप गया। जिसे मारने के बजाय मार्तण्ड सिंह ने पकडऩे की योजना बनाई। पिंजड़ा लगाकर उसे पकड़ा गया। इसलिए इस व्हाइट टाइगर सफारी की सैर करने देश-विदेश से पर्यटक आते है। रीवा अपने जलप्रपात के लिए भी खूब जाना जाता है क्योंकी मध्यप्रदेश के प्रमुख जल प्रपात की लिस्ट में सब से ज्यादा रीवा के ही है। रीवा एक पठारी क्षेत्र के अंतर्गत आता इसलिए यहाँ अधिक जलप्रपात का होना स्वाभाविक है।
रीवा विधानसभा सीट में कई समस्याएं
वन्य जीव, प्राकर्तिक सुंदरता के साथ इस जिले का कुछ इतिहास में भी योगदान है, जिसका उदाहरण यहाँ मौजुद किला है। मध्य प्रदेश का एकमात्र सैनिक स्कूल भी रीवा में स्थित है। लेकिन आज भी जिला मुख्यालय की इस विधानसभा सीट में आज भी कई समस्याएं हैं, जिनका निदान अभी तक नहीं हो पाया है। जबकि इस सीट पर 2002 से भाजपा का कब्जा है , जो अब तक बरकरार है फिर भी रीवा शहर में जाम के झाम से कराह रहा है वही , नालियों कि सफाई,टूटे रोड, अन्ना गोवंश का रोडो पर घूमना , आदि बड़ी समस्याएं है । जिनसे यहां के लोगों को हर दिन दो चार होना पड़ता है।
राजनीतिक मिजाज
2003 से पहले तक रीवा कांग्रेस के किसी अभेद किले से कम नहीं था।लेकिन 2003 में हुए चुनाव के बाद से यहां लगातार बीजेपी ही जीती। पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक राजेंद्र शुक्ल यहां से लगातार 5 बार विधायक चुने गए। एक तरह से इसे अब बीजेपी का गढ़ कहा जा सकता है। 2003 के चुनाव के बाद से यहा कांग्रेस का सफाया हुआ है । बीजेपी की टिकट पर राजेंद्र शुक्ल यहां से विधायक चुने गए जो वर्तमान में है ।
जातिगत समीकरण
रीवा जिले की कुल 8 विधानसभा सीट है जिस पर सभी विधान सभा सीटो पर बिजेपी का कब्जा है ।रीवा विधानसभा में ब्राह्मणों का खास दखल रखता है। रीवा के आठों विधान सभा सीटो में जाति समीकरण इस प्रकार है
रीवा- 59 प्रतिशत सामान्य मतदाता, जिसमें 38 प्रश ब्राह्मण, 10 प्रश राजपूत और 11 प्रश अन्य, 18 प्रश ओबीसी, 11 प्रश अजा एवं 6 प्रश अजजा।
सेमरिया- सामान्य 46 प्रश, इनमें ब्राह्मण 36 फीसदी, अजा 17, ओबीसी 22 एवं अजजा 13 प्रतिशत कोल आदिवासी ज्यादा।
सिरमोर- सामान्य 47 प्रश (ब्राह्मण 36 प्रश), ओबीसी 17, अजा 17 एवं अजजा 17 प्रतिशत।
त्योंथर- सामान्य 43 प्रश (ब्राह्मण 31, राजपूत 8प्रश), ओबीसी 21, अजा 18 एवं अजजा 14 फीसदी।
मऊगंज- सामान्य 45 प्रश (ब्राह्मण 32, राजपूत 10प्रश), ओबीसी 18, अजजा 19 (कोल 10 व गोंड 9 प्रश) एवं अजा 14 फीसदी।
देवतालाब- सामान्य 34 प्रतिशत (ब्राह्मण 22, राजपूत 9 प्रश), ओबीसी 34 (कुरमी 23 प्रश), अजा 18 एवं अजजा 10 फीसदी।
मनगवां- सामान्य 45 प्रश (ब्राह्मण 30, राजपूत 10प्रश), ओबीसी 26 (कुरमी 15 प्रश), अजा 18 एवं अजजा 9 प्रतिशत।
गुढ़- सामान्य 50 प्रतिशत (ब्राह्मण 34, राजपूत 12), ओबीसी 20, अजा 15 एवं अजजा 11 प्रतिशत मतदाता।
विधानसभा के मुद्दे
- अच्छी शिक्षा बिजली पानी सड़के यहां सबसे बड़ा मुद्दा है, इसी मुद्दे को लेकर यहां चुनाव तक की स्थिति निर्मित हुई...पर अभी भी अच्छी सड़के नहीं बन पाई है।
- विधानसभा में बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा है। रोजगार नहीं होने से लोग यहां से पलायन कर रहे हैं। बीते समय में लॉकडाउन में जब मजदूर अपने घरों को लौटे तब पता चला कि यहां से पलायन करने वालों की संख्या लाखों से भी उपर है।
- निर्माण की गुणवत्ता और उसमें हो रहे भ्रष्टाचार का मुद्दा भी यहां सुर्खियों में हमेशा बना रहता है। सड़क बनती है पर कुछ ही समय में उखड़ भी जाती है। कुछ जगह तो सड़के भी बनी नही है लेकिन कागज में सड़के बनी हुई भी दर्शाई जाती है ।
- बीते 4 सालों में क्राइम भी बढ़ा है, हालांकि क्राइम का स्वरूप आर्गेनाइज्ड नहीं है। रीवा में 112 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, पर इनसे से अधिकतर बंद ही है।
- इस विधानसभा में पेयजल अच्छी सड़के व बिजली की समस्या अभी भी बनी हुई है, अब भी 25 से 30 प्रतिशत इलाकों में पानी की समस्या बनी हुई है।
आज हुए चुनाव तो जीतेगे कौन?
बीजेपी यहां दो गुटों में बंटी नजर आती है। पहला गुट दिव्यराज सिंह का समर्थक है और दूसरा गुट पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक राजेंद्र शुक्ल को सपोर्ट करता है। जिसके वजह से बीजेपी यहां थोड़ा कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं,और कांग्रेस मजबूत । यदि आगामी समय 2023 में चुनाव हुए तो एक बड़ा उलटफेर हो सकता है। क्योंकि इसके पहले भी बीते समय में कांग्रेस ने बीजेपी को एक बड़ी फटकनी देकर के राज्य ने अपनी सरकार स्थापित की थी लेकिन कांग्रेस पार्टी में मंत्री पद को लेकर के आपसी भिड़ंत की वजह से एक बड़ा उलटफेर हुआ और बीजेपी ने पूरी तरीके से अपनी सरकार बना ली।