Maharashtra: आयोग का बड़ा फैसला, उद्धव गुट को मशाल चुनाव निशान आवंटित, शिंदे गुट दोबारा देगा विकल्प
Maharashtra: महाराष्ट्र में उद्धव गुट और शिंदे गुट के बीच चल रही सियासी जंग के बीच चुनाव आयोग ने उद्धव गुट को मशाल चुनाव चिह्न आवंटित किया है।
Maharashtra: महाराष्ट्र में उद्धव गुट (uddhav group) और शिंदे गुट (shinde group) के बीच चल रही सियासी जंग के बीच चुनाव आयोग (election commission) ने उद्धव गुट (uddhav group) को मशाल चुनाव चिह्न आवंटित किया है। आयोग के इस फैसले के बाद उद्धव गुट अंधेरी ईस्ट सीट पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में मशाल चुनाव निशान के साथ सियासी रण में उतरेगा। उद्धव गुट की ओर से आयोग को त्रिशूल, मशाल और उगते सूरज का विकल्प दिया गया था हालांकि उद्धव गुट की पहली प्राथमिकता त्रिशूल चुनाव निशान थी।
आयोग की तरफ से उद्धव गुट की पार्टी का नाम शिवसेना उद्धव बाला साहब ठाकरे दिया गया है। उद्धव गुट की ओर से पार्टी के नाम को लेकर आयोग के फैसले का स्वागत किया गया है। उद्धव गुट के नेता भास्कर जाधव ने कहा कि हमें बड़ी जीत हासिल हुई है। उद्धव ठाकरे ने पार्टी का नाम शिवसेना, उद्धव बालासाहेब ठाकरे दिया था। यह नाम मिलना हमारी बड़ी जीत है।
दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची दोनों गुटों की लड़ाई
उद्धव गुट की ओर से चुनाव निशान के रूप में पहली प्राथमिकता के रूप में त्रिशूल को रखा गया था। आयोग ने उद्धव गुट की इस मांग को खारिज करते हुए दलील दी है कि कोई भी धार्मिक निशान चुनाव चिह्न के रूप में आवंटित नहीं किया जा सकता। इस बीच चुनाव निशान को लेकर दोनों गुटों के बीच चल रही लड़ाई का मामला अब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है।
उद्धव ठाकरे की ओर से सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में इस बाबत एक याचिका दायर की गई है। इसी याचिका में चुनाव आयोग की तरफ से शिवसेना के चुनाव निशान को फ्रीज किए जाने का विरोध किया गया है। याचिका में मांग की गई है कि आयोग का यह फैसला उचित नहीं है। इसलिए इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
शिंदे गुट के चुनाव निशान के विकल्प खारिज
चुनाव आयोग ने सिंबल के लिए शिंदे गुट की ओर से सुझाए गए तीनों विकल्पों को खारिज कर दिया है। हालांकि उपचुनाव के लिए शिंदे गुट की पार्टी का नाम 'बालासाहेबांची शिवसेना' होगा। चुनाव आयोग का कहना है कि पार्टी के नाम को लेकर शिंदे गुट की ओर से जो पहली प्राथमिकता थी, वही विरोधी गुट की भी पहली प्राथमिकता थी। इस कारण दोनों ही गुटों को वह नाम आवंटित नहीं किया गया है।
शिंदे गुट की ओर से चुनाव निशान के रूप में चुनाव आयोग को त्रिशूल,गदा और उगते सूरज का विकल्प दिया गया था। आयोग ने त्रिशूल और गदा को धार्मिक निशान बताते हुए खारिज कर दिया जबकि डीएमके का चुनाव चिह्न भी उगता सूरज है। इस कारण इस चुनाव निशान का को भी आवंटित नहीं किया गया। अब शिंदे गुट की ओर से आयोग को दोबारा तीन नए विकल्प भेजे जाएंगे। इन विकल्पों के आधार पर ही शिंदे गुटको चुनाव निशान का आवंटन किया जाएगा।
लगातार तीखी होती जा रही है जंग
महाराष्ट्र की सियासत में दोनों गुटों के बीच सियासी जंग लगातार तीखी होती जा रही है। दोनों गुटों का पहला सियासी परीक्षण 3 नवंबर को अंधेरी ईस्ट सीट पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में होगा। इस उपचुनाव में उद्धव गुट को कांग्रेस और एनसीपी ने पहले ही समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। शिंदे गुट भाजपा के साथ मिलकर इस उपचुनाव में उद्धव गुट को पटखनी देने की कोशिश में जुटा हुआ है। चुनाव निशान के आवंटन के बाद दोनों गुटों की ओर से पूरी ताकत झोंकने की तैयारी है।