Maharashtra Crisis : बागी विधायकों को SC से बड़ी राहत 11 जुलाई तक 'अयोग्यता' पर रोक, डिप्टी स्पीकर को नोटिस
Maharashtra Political Crisis: शिवसेना में बगावत करने वाले विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
Maharashtra Political Crisis : महाराष्ट्र (Maharashtra political News) में शिवसेना (Shivsena) में हुई बगावत के बाद पैदा राजनीतिक संकट का मसला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंच चुका है। आज सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। क्योंकि, आज इस अहम मसले पर सुनवाई हो रही है। शिवसेना (Shiv Sena) में बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में विधानसभा उपाध्यक्ष की ओर से जारी किए गए अयोग्यता के नोटिस और अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता जाने को चुनौती दी गई है।
इसके साथ ही, याचिका में बागी विधायकों और उनके परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराने की भी मांग की गई है। शिंदे के साथ ही एक और बागी विधायक भरत गोगावले ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस मामले में शिंदे की ओर से देश के मशहूर वकील हरीश साल्वे (Harish Salve) सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेंगे जबकि अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) शिवसेना का पक्ष रखेंगे।
बागी विधायकों को SC से बड़ी 'राहत'
शिंदे गुट के बागी विधायकों को आज 'अयोग्य' ठहराए जाने वाले नोटिस पर 5 बजे तक जवाब देने को कहा गया था। मगर, अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा है कि डिप्टी स्पीकर के इस नोटिस पर 11 जुलाई 2022 तक रोक लगाई जा रही है। कहने का मतलब है कि अब 11 जुलाई तक इन विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।
'39 MLA's की आजादी की हो रक्षा'
एकनाथ शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से फ़िलहाल राहत मिली है। वहीं, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि, राज्य सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखे तथा सभी 39 विधायकों की जिंदगी और उनके स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए। उनकी संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचे।
सर्वोच्च न्यायालय ने डिप्टी स्पीकर पर उठाये सवाल
अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि, क्या जिस स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो वो किसी सदस्य की अयोग्यता की कार्रवाई शुरू कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने ये भी पूछा कि, अपने खिलाफ आए प्रस्ताव में डिप्टी स्पीकर (नरहरी ज़िरवाल) खुद कैसे जज बन गए?
'ई-मेल वैरिफाइड नहीं था'
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी पूछा कि, एकनाथ शिंदे गुट ने मेल के जरिये डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। जिस पर विधायकों के हस्ताक्षर थे। इस पर डिप्टी स्पीकर नरहरी ज़िरवाल के वकील ने कहा, कि 'हां नोटिस आया था। लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था। डिप्टी स्पीकर जिरवाल के वकील राजीव धवन ने आगे कहा, ई-मेल वैरिफाइड नहीं था। इसलिए उसे खारिज कर दिया गया था।'
कोर्ट सख्त, दिया ये आदेश
इसपर कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए कहा कि, डिप्टी स्पीकर और विधान सभा दफ्तर को एक एफिडेविट दाखिल करना होगा। ये बताना होगा कि डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था कि नहीं और यदि आया था तो उसे क्यों रिजेक्ट किया गया?
शिंदे गुट का सुप्रीम कोर्ट में दावा - 39 विधायक हमारे साथ
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान शिंदे गुट ने दावा किया है कि उनके साथ 39 विधायक हैं। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार अल्पमत में है। बागी गुट ने ये भी कहा कि, डिप्टी स्पीकर की छवि संदेह के घेरे में है। ऐसे में वो 'अयोग्य' ठहराने का प्रस्ताव कैसे ला सकते हैं? इसके बाद, सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई कुछ देर के लिए रोक दी। सुनवाई दोबारा शुरू हो चुकी है।
स्पीकर की पोजीशन पर तब भी सवाल खड़े हुए थे?
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि, क्या 1992 के उस मामले में भी स्पीकर की पोजिशन पर सवाल खड़े हुए थे? इसपर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि, 'रेबिया केस बताता है कि चाहे स्पीकर गलत फैसला लें, लेकिन उसके फैसले के बाद ही अदालत दखल दे सकता है।'
डिप्टी स्पीकर जल्दबाजी में दिखाई दिए
एकनाथ शिंदे के गुट ने कहा कि, डिप्टी स्पीकर को उन लोगों को नोटिस का जवाब देने के लिए 14 दिनों का समय देना चाहिए था। मगर, डिप्टी स्पीकर जल्दबाजी में दिखाई दिए। जब विधायकों के वकील नीरज किशन कौल (Neeraj Kishan Kaul) ने ये कहा, कि डिप्टी स्पीकर जल्दबाजी में दिखाई पड़ रहे हैं। तो कोर्ट ने कहा कि विधायकों ने पहले डिप्टी स्पीकर से ही बात क्यों नहीं की?
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- हाईकोर्ट क्यों नहीं गए?
सर्वोच्च न्यायालय ने बागी विधायकों की अर्जी पर सुनवाई के दौरान पूछा कि, बागी पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? इस पर उनके वकील ने कहा, कि मामला गंभीर था, इसलिए सीधा यहीं का रुख किया गया। एकनाथ शिंदे के वकील ने आगे कहा कि, 'आर्टिकल- 32 में याचिका दाखिल कर सकते हैं। हमारे साथ शिवसेना के कुल 39 विधायक हैं। हमें धमकी भी दी जा रही है। जान से मारने की भी धमकी दी जा रही है। घर तथा अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
बागी विधायकों ने दो अर्जी दी है
सुप्रीम कोर्ट ने बताया, कि 'बागी विधायकों ने दो अर्जी दी है। पहली अर्जी में उन्होंने अपनी जान को खतरा बताया तथा दूसरी में डिप्टी स्पीकर की तरफ से उनको कम वक्त दिया गया है, ऐसा कहा गया है।'
सर्वोच्च न्यायालय में शिंदे गुट की नई याचिका, जानें क्या कहा?
सर्वोच्च न्यायालय में शिवसेना के बागी एमएलए एकनाथ शिंदे की ओर से नई याचिका दायर की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि बागी विधायकों की जान को शिवसेना कार्यकर्ताओं से खतरा है। सुप्रीम कोर्ट को ये भी कहा गया है कि महाराष्ट्र की कानून-व्यवस्था पर अब महाविकास अघाड़ी सरकार का कंट्रोल नियंत्रण नहीं है। बता दें कि, 163 पन्नों की इस याचिका में संजय राउत के अलग-अलग बयानों का भी जिक्र किया गया है।
संजय राउत को ED का समन
महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच लगातार संजय राउत 'उत्तेजक और आक्रामक' बयान देते नजर आ रहे हैं। इसी बीच प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिवसेना सांसद संजय राउत को समन भेजा है। ईडी (ED) ने राउत को कल यानी मंगलवार को पेश होने को कहा है। इससे पहले संजय राउत ने कहा था कि, 'हम लोग रोड टेस्ट और फ्लोर टेस्ट दोनों के लिए तैयार हैं। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, कि जिन्होंने महबूबा मुफ्ती के साथ हाथ मिलाया वो हम पर कमेंट ना करें।'
ठाणे में एकनाथ शिंदे समर्थक सड़क पर उतरे
महाराष्ट्र की सड़कों पर अब शिवसेना समर्थकों और शिंदे समर्थकों की लड़ाई खुलकर सामने आ गई है। सोमवार को शिंदे के गढ़ ठाणे में बड़ी संख्या में उनके समर्थक सड़क पर उतरे। इन लोगों ने शिवसेना से बागी हुए विधायकों के समर्थन में प्रदर्शन किया। वहीं, राजनीतिक दलों के बैठकों का दौर अब भी जारी है। आज दोपहर एकनाथ शिंदे बागी विधायकों के साथ बैठक करने वाले हैं। जबकि, बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आज एक बार फिर दिल्ली जा रहे हैं जहां उनकी मुलाकात अमित शाह से होगी।
एकनाथ शिंदे ने ट्वीट कर साधा उद्धव पर निशाना
इधर, एकनाथ शिंदे ने आज एक बार फिर ट्वीट किया है। शिंदे ने ट्वीट में लिखा कि, 'क्या आपको सरकार में छगन भुजबल के साथ बैठने में पीड़ा नहीं होती? जिस शख्स ने हिंदुहृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे को कैद किया था। यह सवाल पूर्व विधायक सुभाष सबने (Subhash Sabne) ने मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पूछा। बता दें कि, सुभाष सबने को विधानसभा में यही सवाल पूछने पर निलंबित कर दिया गया था।
'ज़िंदा लाश' वाले बयान पर राउत ने दी सफाई
शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने आज अपने 'ज़िंदा लाश' वाले बयान पर सफाई दी है। राउत ने कहा, कि जो लोग 40-40 साल तक पार्टी में रहते हैं और फिर भाग जाते हैं, उनका ज़मीर मर गया है, तो उसके बाद क्या बचता है? ज़िंदा लाश। राउत ने अपने पिछले बयान पर सफाई देते हुए कहा, ये शब्द राम मनोहर लोहिया के हैं। मैंने सत्य कहा है। किसी की भावना को ठेस पहुंचाने का काम नहीं किया।'
अवकाशकालीन बेंच करेगी सुनवाई
शिवसेना में बगावत के बाद महाराष्ट्र में कई दिनों से राजनीतिक संकट का दौर चल रहा है और जबर्दस्त सियासी उठापटक दिख रही है। शिवसेना नेतृत्व की ओर से बागी विधायकों को मनाने की सारी कोशिशें अभी तक नाकाम साबित हुई हैं। यही कारण है कि दोनों पक्षों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मूड बना लिया है। इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में आज न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला की अवकाशकालीन बेंच इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करेगी। बागी विधायकों की ओर से हरीश साल्वे तो शिवसेना की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी के दौरान आमने-सामने होंगे। महाराष्ट्र विधानसभा उपाध्यक्ष की ओर से रविशंकर जंध्याला सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखेंगे।
दो तिहाई विधायकों के समर्थन का दावा
बागी विधायकों की ओर से दायर याचिका में शिवसेना विधायक दल के दो तिहाई से ज्यादा विधायकों के समर्थन होने का दावा किया गया है। याचिका में कहा गया है कि विधानसभा उपाध्यक्ष ने 21 जून को विधायक दल का नया नेता नियुक्त कर दिया और इसके साथ ही कई बागी विधायकों को अयोग्यता का नोटिस भी जारी किया गया है। बागी विधायकों और उनके परिजनों को मिल रही धमकियों का भी याचिका में उल्लेख किया गया है और सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि शिवसेना नेताओं की ओर से पार्टी कार्यकर्ताओं को लगातार भड़काया जा रहा है जिसकी वजह से कई स्थानों पर हमले और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई हैं। याचिका में विधायकों की ओर से अभी तक शिवसेना की सदस्यता न छोड़ने का जिक्र भी किया गया है।
डिप्टी स्पीकर पर लगाया आरोप
याचिका में आरोप लगाया गया है कि डिप्टी स्पीकर सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और बागी विधायकों को जल्दबाजी में अयोग्य ठहराने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अयोग्यता नोटिस में नियमों का पूरी तरह उल्लंघन किया गया है। नोटिस का जवाब देने के लिए बागी विधायकों को सिर्फ 48 घंटे का समय दिया गया जबकि नियमानुसार नोटिस का जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाना चाहिए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार विधानसभा में अपना बहुमत खो चुकी है। शिवसेना के 38 विधायकों ने उद्धव सरकार से समर्थन वापस ले लिया है मगर इसके बावजूद उद्धव सरकार जोड़-तोड़ करके किसी भी तरह सत्ता में बने रहने की कोशिश में लगी हुई है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।
बागी विधायकों को संजय राउत की धमकी
इस बीच शिवसेना सांसद संजय राउत लगातार बागी विधायकों को धमकी देने की कोशिश में लगे हुए हैं। रविवार को उन्होंने कहा कि गुवाहाटी से 40 बागियों के शव आएंगे। जो 40 लोग गुवाहाटी में हैं,वे जिंदा लाशों के सिवा कुछ नहीं है। इन लोगों की आत्मा मर चुकी है। जब ये लोग वहां से निकलेंगे तो उनका दिल जिंदा नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि शिवसेना में बगावत के बाद शिवसैनिकों में जबर्दस्त गुस्सा है और वे लगातार सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन शिवसैनिकों को बस एक इशारे का इंतजार है।
संजय राउत की इस बयान से साफ हो गया है कि वे शिवसैनिकों को बागी विधायकों के खिलाफ भड़का रहे हैं। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए बागी विधायकों को वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराने का फैसला किया है।