Lonavala Ke Jungle: लोनावला के जंगल जहां खो चुके हैं एक हजार लोग, हो चुकी हैं सैकड़ों मौतें

Lonavala Ke Jungle: लोनावाला के घने जंगलों में 1,000 से अधिक पर्यटक और ट्रेकर्स अपना रास्ता खो चुके हैं और पिछले 20 वर्षों में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कई ट्रेकर्स का आज तक पता नहीं चल सका है।

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2022-05-25 06:15 GMT

 लोनावला के जंगल (फोटो-सोशल मीडिया)

Lonavala Ke Jungle: पहाड़ और जंगल हमेशा से लोगों को आकर्षित और रोमांचित करते आये हैं। लेकिन इन्हीं पहाड़ों और जंगलों में तमाम रहस्य भी छिपे होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि रोमांच, मौज मस्ती या प्राकृतिक छटा का आनंद लेने गए लोग वापस ही नहीं आते। ऐसा ही ताजा मामला दिल्ली के 24 वर्षीय इंजीनियर इरफान शाह का है, जो लोनावला(Lonavala Forest) के जंगल में ट्रेकिंग करते वक्त लापता हो गया था और चार दिन बाद उसका शव एक गहरी घाटी में मिला है।

पुलिस ने बताया है कि फरहान सेराजुद्दीन शाह, महाराष्ट्र के पुणे शहर से लगभग 65 किलोमीटर दूर स्थित लोनावाला के दर्शनीय स्थलों की यात्रा पर था। जब वह जंगल(Lonavala Forest) में ड्यूक्स नोज पर गया तो वापसी में वह अपना रास्ता भटक गया। शुरू में फरहान अपने दोस्त से मोबाइल फोन के जरिए संपर्क करने में कामयाब रहा था, लेकिन जल्द ही उसका फोन स्विच ऑफ हो गया।

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, पुलिस और कुछ स्थानीय ग्रुपों ने फरहान की तलाश की लेकिन कुछ पता नहीं चला। फरहान के परिजनों ने ने उसे खोजने के लिए एक लाख रुपये के नकद इनाम की भी घोषणा की थी।पुलिस ने उसका पता लगाने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया। अंत में मंगलवार को।ड्यूक्स नोज पॉइंट के पास एक खाई में 500 फीट की गहराई पर उसका शव मिला।

हो चुकी हैं 300 मौतें

लोनावाला के घने जंगलों (forest of lonavala) में 1,000 से अधिक पर्यटक और ट्रेकर्स अपना रास्ता खो चुके हैं और पिछले 20 वर्षों में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कई ट्रेकर्स का आज तक पता नहीं चल सका है।

2005 के बाद से यहां 600 से अधिक पर्यटकों रास्ता भटक चुके हैं। ज्यादातर मामलों में, पुलिस थाने में कोई औपचारिक गुमशुदगी दर्ज नहीं की जाती है क्योंकि पर्यटक कुछ घंटों के भीतर ही मिल जाते हैं।

क्षेत्र की बनावट और घनी हरियाली के उचित ज्ञान के बिना एकल यात्राएं लापता मामलों के लिए विशेषज्ञों द्वारा गिनाए गए कुछ कारण हैं। पुणे ग्रामीण पुलिस और शिवदुर्ग प्रतिष्ठान जैसे सामाजिक समूहों से एकत्र किए गए डेटा से पता चलता है कि उन्होंने लोनावला जंगलों से लगभग 600 लापता ट्रेकर्स को संयुक्त रूप से बचाया है।

शिवदुर्ग प्रतिष्ठान के अध्यक्ष आनंद गावड़े बताते हैं कि उन्होंने बीते कई वर्षों में लापता लोगों के 300 शव भी पाए हैं। इन मामलों में आत्महत्या से मौत, हत्या और चट्टानों से गिरने जैसी दुर्घटनाएं शामिल हैं। बीते 30 मार्च को लोनावला और राजमाची के बीच कुनेगांव इलाके की एक घाटी में एक युवती का शव मिला था।

लोनावला शहर पुलिस ने लापता लड़की को खोजने के लिए शिवदुर्ग प्रतिष्ठान बचाव दल को बुलाया। मार्च में इस दस्ते ने 11 आईटी पेशेवरों के एक समूह को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिन्हें मधुमक्खियों ने काटा था। उनमें से कुछ मधुमक्खियों द्वारा काटे जाने के बाद बेहोश हो गए थे।

- अप्रैल 2011 में मुंबई की एक निजी टेलीकॉम कंपनी के 28 वर्षीय कर्मचारी वीरेंद्र उर्फ विकी प्रताप राठौड़ की लोनावला के टाइगर पॉइंट पर 250 फुट गहरी खाई में गिरकर मौत हो गई।

लोनावला के जंगल (फोटो-सोशल मीडिया)

- 2013 में लोनावाला(Lonavala) के पास राजमाची किले के एक ट्रेकिंग अभियान में छह इंजीनियरिंग छात्र और एक वरिष्ठ नागरिक जंगल में फंस गए थे।

अक्टूबर 2016 में मुंबई के कलिना के रहने वाले 25 वर्षीय एग्नेल सिरिल पेरिस लोनावला के पास लायंस पॉइंट वैली में अपने दोस्तों के साथ सेल्फी लेते समय खाई में गिर पड़े।

- सितंबर 2018 में खंडाला में ड्यूक्स नोज़ पर चट्टान से गिरकर मध्य रेलवे के 30 वर्षीय सेक्शन इंजीनियर रोहन महाजन की मौत हो गई। वे दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने वहां गए थे।

- सितंबर 2019 में 24 वर्षीय महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर अलीजा राणा का शव लोनावला के पास लायन पॉइंट पर 300 फीट की घाटी में मिला था। वह हैदराबाद की रहने वाली थी और कई दिन से लापता थी।

आसान है खो जाना

लोनावाला(Lonavala Tlrekking) और खंडाला क्षेत्र ट्रेकिंग के लिए प्रसिद्ध हैं। इन स्थलों को देखने के लिए देश भर से पर्यटक आते हैं। भूशी बांध, राजमाची प्वाइंट, लोहागढ़, एकवीरा-भजे गुफाएं और पवन बांध मुख्य आकर्षण हैं। इसी तरह, क्षेत्र में घना जंगल ट्रेकिंग के लिए पसंदीदा स्थान है। कई शौकिया ट्रेकर्स और कॉलेज समूह क्षेत्र में ट्रेकिंग के लिए आते हैं और वे इस क्षेत्र के भूगोल से अवगत नहीं होते।

वे काफी हद तक नेविगेशन सिस्टम पर निर्भर रहते हैं। कई बार ग्रुप से बिछड़ने के बाद वो खो जाते हैं या फिर अपना रास्ता भूल जाते हैं। ऐसे अनगिनत रास्ते हैं जो उन लोगों के लिए भ्रमित कर सकते हैं जो इस क्षेत्र से अच्छी तरह वाकिफ नहीं हैं। ऐसे में खो जाना बहुत आसान होता है।

शिवदुर्ग प्रतिष्ठान के अध्यक्ष आनंद गावड़े ने कहा कि लोनावला के जंगलों(Lonavala Forest) में वर्षों से लापता लोगों के 300 शव मिले हैं। इन मामलों में आत्महत्या से मौत, हत्या और चट्टानों से गिरने जैसी दुर्घटनाएं शामिल हैं। वे बताते हैं कि उन्होंने पिछले 20 वर्षों में 1,000 से अधिक लापता पर्यटकों को सफलतापूर्वक बचाया है। उनके पास 200 ट्रेकर्स और प्रशिक्षित स्कूबा ड्राइवरों की एक टीम है जो पानी के भीतर फंसे उन्होंने लोगों को बचाती है। 

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