Maharashtra Cabinet Vistar : फडणवीस ने दिखाई सियासी बाजीगरी, क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को इस तरह साधा

Maharashtra Cabinet Vistar : मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने कैबिनेट विस्तार में क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने में कामयाबी हासिल की है। मंत्री पद की शपथ लेने वाले नेताओं की सूची से साफ हो गया है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों के नेताओं को इसमें मौका मिला है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-12-15 18:55 IST

Maharashtra Cabinet Vistar : महाराष्ट्र में लंबे इंतजार के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की कैबिनेट का विस्तार हो गया है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का नतीजे आने के 21 दिन बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है। नए मंत्रियों को आज नागपुर में शपथ दिलाई गई। 33 साल बाद कैबिनेट विस्तार और शपथ ग्रहण का कार्यक्रम नागपुर में आयोजित किया गया। फडणवीस कैबिनेट के पहले विस्तार में 39 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है। भाजपा कोटे से 19, शिवसेना शिंदे की शिवसेना के कोटे से 11 और अजित पवार की एनसीपी के कोटे से 9 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने कैबिनेट विस्तार में क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने में कामयाबी हासिल की है। मंत्री पद की शपथ लेने वाले नेताओं की सूची से साफ हो गया है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों के नेताओं को इसमें मौका मिला है। इसके साथ ही राज्य के उलझे जातीय समीकरण को साधने में भी काफी मेहनत की गई है।

ओबीसी और एससी समीकरण साधा

भाजपा कोटे से शपथ लेने वाले मंत्रियों में ओबीसी, मराठा, एससी और आदिवासी समीकरण का पूरी तरह ध्यान रखा गया है। मराठवाड़ा से ताल्लुक रखने वाली भाजपा एमएलसी पंकजा मुंडे ओबीसी वर्ग से आती हैं। उन्हें मंत्री बनाकर ओबीसी वर्ग के साथ ही महिला समीकरण को भी साधने का प्रयास किया गया है। उत्तर महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले गिरीश महाजन भी ओबीसी वर्ग से जुड़े हुए हैं।

विदर्भ के पंकज भोयर और आकाश फुंडकर कुनबी मराठा बिरादरी से आते हैं और उन्हें मंत्री बना कर भी ओबीसी समीकरण साधने की कोशिश की गई है। ठाणे के गणेश नाईक, पुणे की माधुरी पिसाल और विदर्भ के चंद्रशेखर बावनकुले के जरिए भी ओबीसी वर्ग को संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है। सतारा के जय कुमार गोरे और औरंगाबाद के अतुल सावे को मंत्री बनाकर माली समुदाय को साधने की कोशिश की गई है।

मराठा समीकरण का भी पूरा ध्यान

छत्रपति शिवाजी के वंशज शिवाजी राव भोसले को भी मंत्री बनाया गया है। 2019 के चुनाव से पहले भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले शिवेंद्र ने सतारा सीट से जीत हासिल की है। पश्चिम महाराष्ट्र के चंद्रकांत पाटिल, शिरडी सीट से जीतने वाले राधा कृष्ण विखे पाटिल, मुंबई के आशीष शेलार,मेघना बोर्डिकर (मराठवाड़ा) और कोंकण के नितेश राणे को मंत्री बनाकर मराठा बिरादरी को संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है।

भुसावल के संजय सावकारे एससी बिरादरी से जुड़े हुए हैं। विदर्भ के अशोक भुइके आदिवासी कोटे से मंत्री बनने में कामयाब रहे हैं।

शिंदे गुट से विभिन्न वर्गों के विधायकों को मौका

शिवसेना के शिंदे गुट की ओर से कई नए चेहरों को मौका देने के साथ ही समाज के विभिन्न वर्गों का भी पूरा ख्याल रखा गया है। मराठवाड़ा से ताल्लुक रखने वाले शिंदे के करीबी संजय शिरसाट एससी वर्ग से जुड़े हुए हैं। कोल्हापुर के प्रकाश आबिटकर, कोंकण के योगेश कदम और थाने के प्रताप सरनाइक को मौका देकर मराठा बिरादरी पर डोरे डालने का प्रयास किया गया है।

ओबीसी वर्ग से जुड़े कई चेहरे भी मंत्री बनने में कामयाब हुए हैं। इनमें विदर्भ के संजय राठौड़, भारत गोगावले, गुलाबराव पाटिल (गुर्जर ओबीसी) के नाम शामिल हैं। रामटेक के आशीष जायसवाल को मंत्री बनाकर बनिया वर्ग को साधने का प्रयास किया गया है। रत्नागिरी के उदय सामंत के जरिए ब्राह्मण वर्ग को रिझाने का प्रयास किया गया है।

एनसीपी कोटे में भी हर वर्ग को प्रतिनिधित्व

यदि अजित पवार की एनसीपी के कोटे से मंत्री बनने वाले विधायकों की बात की जाए तो इन चेहरों के जरिए भी जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है। उत्तर महाराष्ट्र से आने वाले छगन भुजबल को ओबीसी वर्ग का बड़ा चेहरा माना जाता है। मराठावाड़ा के धनंजय मुंडे और कोंकण की अदिति तटकरे को मंत्री बनाकर ओबीसी समीकरण साधारण का प्रयास किया गया है।

अजित पवार कोटे के मंत्रियों में मराठा बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले कई चेहरे शामिल हैं। इनमें बाबा साहब पाटिल, अनिल पाटिल, मकरंद पाटील और नासिक के माणिक राव कोटाटे के नाम शामिल हैं।

उल्लेखनीय बात यह है कि अजित पवार के कोटे से मंत्री बनने वालों में एक मुस्लिम चेहरा भी शामिल है। कोल्हापुर से ताल्लुक रखने वाले हसन मुशरिफ ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। उत्तरी महाराष्ट्र के नरहरि झिरवाल को मंत्री बनाकर आदिवासी समीकरण का ध्यान रखा गया है। पश्चिम महाराष्ट्र के दत्ता भरने के जरिए धनगर समाज को प्रतिनिधित्व दिया गया है।

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