Maharashtra Politics : महाराष्ट्र में सीएम पद पर संशय जल्द होगा खत्म, बीजेपी ने इन दो नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी

Maharashtra Politics : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन को मिली प्रचंड जीत के बाद नए मुख्यमंत्री को लेकर संशय बना हुआ है। इस बीच बीजेपी ने पर्यवेक्षक बना दिए हैं।

Newstrack :  Network
Update:2024-12-02 15:45 IST

Maharashtra Politics : महाराष्ट्र में विधायक दल का नेता के चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है। बीजेपी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को नेता चुनने के लिए जिम्मेदारी सौंपी हैं। हालांकि अभी भी नए मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सस्पेस बना हुआ है। अब पर्यवेक्षकों की टीम मुंबई जाएगी और विधायक दल की बैठक में शामिल होगी, उसके बाद नेता के नाम का ऐलान होगा। 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन को प्रचंड जीत मिली है। अब नई सरकार का गठन होना बाकी है। हालांकि अभी सीएम पद के चेहरे को लेकर सस्पेंस बना हुआ है, लेकिन इस बीच बीजेपी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि पर्यवेक्षकों की निगरानी में तीन दिसंबर को विधानमंडल दल की बैठक होनी है। इसमें विधायक दल का नेता चुना जाएगा। माना जा रहा है कि देवेन्द्र फडणवीस ही अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं। बीजेपी ने इस बैठक में सभी विधायकों के उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है।  

नई सरकार के शपथ ग्रहण को लेकर बीजेपी ने ऐलान कर दिया है, जो 5 दिसंबर को आजाद मैदान में शाम 5 बजे होगा। शपथ समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी सहित कई केंद्रीय मंत्री और बीजेपी व सहयोगी दलों द्वारा शासित राज्यों के सीएम शामिल हो सकते हैं। 

नेता कर रहे बयानबाजी

भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में सावधानी के साथ आगे बढ़ रही है, क्योंकि सहयोगी दलों - शिवसेना और एनसीपी के नेताओं की आकांक्षाएं और बढ़ा गई है। महायुति गठबंधन में एकता बनी रहे, इसके लिए एकनाथ शिंदे प्रयास कर रहे हैं। इसके बावजूद कुछ नेता अलग-अलग बयानबाजी कर रहे हैं। भाजपा नेता रावसाहेब दानवे ने कहा कि यदि अविभाजित शिवसेना और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा होता, तो उन्हें ज़्यादा सीटें मिल सकती थीं। वहीं, शिवसेना नेता गुलाबराव पाटिल ने कहा कि यदि अजित पवार की एनसीपी गठबंधन में नहीं होती तो शिवसेना 90 से 100 सीटें जीत सकती थी।

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