देशमुख के इस्तीफे के बाद सियासी घमासान, BJP के हमलों से ठाकरे की मुश्किलें बढ़ीं

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने देशमुख मामले में मुख्यमंत्री ठाकरे को घेरा।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update:2021-04-06 09:43 IST

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस्तीफा दे दे दिया है मगर राज्य में सियासी घमासान भी छिड़ गया है। भाजपा ने अब इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को घेरते हुए उनसे इस्तीफा देने की मांग की है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में मुख्यमंत्री ठाकरे की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि राज्य की स्थितियों को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। भाजपा के हमलावर रवैये से साफ है कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री ठाकरे की सियासी मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं।

ठाकरे को पद पर रहने का नैतिक हक नहीं

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीबीआई जांच के आदेश के बाद उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र में शासन करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि अनिल देशमुख के प्रकरण पर उद्धव ठाकरे चुप्पी साधे हुए हैं।

दूसरी ओर शरद पवार का तर्क है कि मंत्री के बारे में फैसला मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है जबकि कांग्रेस व शिवसेना का शुरू से ही तर्क था कि अनिल देशमुख के बारे में फैसला एनसीपी के हाथों में है। ऐसे में यह विचारणीय प्रश्न है कि क्या उद्धव ठाकरे का पूरे प्रकरण में कोई नैतिक दायित्व नहीं बनता है।

ठाकरे की चुप्पी से उठे कई सवाल

उन्होंने कहा कि अनिल देशमुख ने नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की बात कही है, लेकिन इस पूरे प्रकरण पर ठाकरे की चुप्पी से कई सवाल पैदा होते हैं। उन्हें इस बात का जवाब देना होगा कि क्या उनकी कोई नैतिकता बाकी नहीं रह गई है। सच्चाई तो यह है कि अब उन्हें महाराष्ट्र में शासन करने का नैतिक अधिकार ही नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है और ठाकरे की सरकार विभिन्न मोर्चों पर फंसी हुई है। सचिन वाझे प्रकरण के बाद उगाही मामले के खुलासे से पता चलता है कि महाराष्ट्र में बड़ी लूट का खेल चल रहा है।

सच्चाई का खुलासा करें ठाकरे

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी देशमुख प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को घेरा है। उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि देशमुख को उसी समय इस्तीफा दे देना चाहिए था जिस समय उन पर आरोप लगे थे।

अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद देशमुख इस्तीफा देने पर मजबूर हो गए। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की चुप्पी तमाम सवालों को जन्म देती है। उन्हें वसूली के इस बड़े खेल पर अपनी स्पष्ट राय देनी चाहिए ताकि सच्चाई का खुलासा हो सके।

एनसीपी ने दी सफाई

देशमुख के इस्तीफे के प्रकरण पर एनसीपी नेता नवाब मलिक का कहना है कि मुंबई हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद देशमुख ने एनसीपी के मुखिया शरद पवार से मुलाकात की थी और उन्होंने स्वेच्छा से पद छोड़ने की बात कही थी। देशमुख की ओर से इस्तीफा देने की इच्छा जताए जाने के बाद पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंपने के लिए कहा।

अठावले की राष्ट्रपति शासन की मांग

इस बीच केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी देशमुख को बचाने में जुटी हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही एनसीपी की ओर से उन्हें इस्तीफा देने की इजाजत दी गई। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए लगता है कि महाराष्ट्र सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी। देश में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में सामने आ रहे हैं और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है। इसीलिए मैंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कराने के मांग की है।

भाजपा का हमलावर रवैया
सियासी जानकारों का कहना है कि वसूली प्रकरण में देशमुख के इस्तीफे के बाद भी राज्य में सियासी तूफान शांत होने वाला नहीं है। भाजपा इस मामले को गरमाए रखने में जुटी हुई है और देशमुख के बहाने अब पार्टी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर सीधे हमले शुरू कर दिए हैं। भाजपा के रवैये से साफ है कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री ठाकरे की सियासी मुश्किलें और बढ़ेंगी।
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