Maharashtra Politics: दो मंत्रियों पर टेढ़ी हुईं उद्धव की नजरें, विधान परिषद का टिकट काटा, दो नए चेहरों को मौका

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधान परिषद में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने दो वरिष्ठ मंत्रियों का टिकट काटकर दो नए चेहरों को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-06-08 22:31 IST

Maharashtra Politics mlc election shiv sena ticket (Social Media)

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधान परिषद के चुनाव में शिवसेना की सूची ने सबको चौंका दिया है। पार्टी के मुखिया और राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने दो वरिष्ठ मंत्रियों का टिकट काटकर दो नए चेहरों को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है। ठाकरे का यह फैसला काफी हैरान करने वाला है क्योंकि ये दोनों मंत्री लंबे समय से शिवसेना के मजबूत स्तंभ माने जाते रहे हैं। मुख्यमंत्री की ओर से टिकट काटने के इस फैसले के बाद दोनों मंत्रियों की कुर्सी जानी तय हो गई है। इन दोनों मंत्रियों की विधान परिषद सदस्यता जुलाई के पहले हफ्ते में समाप्त हो रही है। पार्टी के मुखिया ने टिकट न देकर इन दोनों मंत्रियों को बड़ा झटका दिया है।

टिकट काटने के फैसले पर हैरानी 

महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में शिवसेना की ओर से राज्य के दो वरिष्ठ मंत्रियों सुभाष देसाई और दिवाकर राउते का टिकट काट दिया गया है। इन दोनों मंत्रियों के स्थान पर पार्टी में सचिन अहीर और आमश्या पदवी को चुनाव मैदान में उतारा है। सुभाष देसाई का टिकट काटे जाने के फैसले पर शिवसेना के लोग भी हैरान हैं। देसाई शिवसेना की स्थापना के समय से ही पार्टी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने पार्टी का मजबूत नेता माना जाता रहा है। उद्धव ठाकरे ने अपने मंत्रिमंडल में देसाई को महत्वपूर्ण उद्योग मंत्रालय सौंप रखा था मगर अब विधान परिषद चुनाव में उनका टिकट काट दिया है। ऐसे में देसाई जल्द मंत्री पद से बेदखल हो सकते हैं। राउते को भी शिवसेना का मजबूत नेता माना जाता रहा है और उनका टिकट कटना भी लोगों के गले के नीचे नहीं उतर रहा है।

राउत ने अनदेखी की बात नकारी

हालांकि टिकट कटने के बाद देसाई की ओर से काफी सधी हुई प्रतिक्रिया जताई गई। उन्होंने कहा कि पार्टी की ओर से दो नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया गया है। उन्होंने टिकट काटने की बात को नकारते हुए कहा कि मैंने खुद चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। 

शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि पार्टी की ओर से दोनों मंत्रियों देसाई और राउते की अनदेखी नहीं की गई है। दोनों नेता लंबे समय से शिवसेना से जुड़े रहे हैं और पार्टी के लिए पूरी मजबूती से काम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों नेता आगे भी शिवसेना संगठन को मजबूत बनाने में जुटे रहेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी की ओर से दो नए चेहरों को मौका दिया गया है।

आदित्य की नजदीकी का मिला लाभ 

शिवसेना की ओर से टिकट पाने वाले सचिन अहीर पहले एनसीपी में थे। एनसीपी की स्थापना 1999 में हुई थी और वे उस समय से ही एनसीपी से जुड़े हुए थे। 2004 में उन्होंने मुंबई की वर्ली सीट से चुनाव भी लड़ा था मगर शिवसेना के उम्मीदवार से उन्हें पराजित होना पड़ा था। मौजूदा समय में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे इसी सीट से विधायक है। 

अहीर ने 2019 में शिवसेना की सदस्यता ग्रहण की थी। माना जा रहा है कि आदित्य ठाकरे का करीबी होने के कारण उन्हें विधान परिषद का टिकट पाने में कामयाबी मिली है। शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार पदवी आदिवासी बहुल इलाके का प्रतिनिधित्व करते हैं और माना जा रहा है कि इसी कारण पार्टी ने उन्हें चुनाव मैदान में उतारकर समीकरण साधने की कोशिश की है।

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