Maharashtra News : पुणे सिविल कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा MNC में काम करने वाली महिला को गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार नहीं
Maharashtra News : पुणे सिविल कोर्ट ने महिला की पति से गुजारा भत्ता की गुहार याचिका को खारिज कर दिया।
Maharashtra News : महाराष्ट्र में पुणे सिविल कोर्ट ने एक महिला की गुहार को सिरे से मना कर दिया। महिला ने कोर्ट से पति से गुजारा भत्ता मांगने की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने महिला की इस गुहार को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। कोर्ट का कहना है की महिला अपना भरण पोषण करने में पूरी तरह से सक्षम है। उसे अपने पति के पैसों की कोई जरूर नही है।
कोर्ट का क्या कहना है
जज माधवी खानवे ने कहा कि महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और अपने जीवन-यापन कर सकती है। महिला को अपने पति से अंतरिम गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार नहीं है। बता दें की महिला ने अपने भरण पोषण के लिए पति से प्रति महीना 25 हजार रूपये की मांग की थी। महिला का पति सीआरपीएफ (CRPF) में काम करता है। वहीं, महिला ने कोर्ट में पति से तलाक की याचिका भी दायर कर रखी है।
क्या है पूरा मामला
महिला की शादी 2017 में छिंदवाड़ा में हुई थी। उस समय भी महिला पुणे की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थीं, जबकि उसका पति दिल्ली में पोस्टेड था। महिला ने बताया कि शादी के समय ये तय हुआ था की दोनों अपने अपने कार्यस्थल पर रहेंगे, लेकिन शादी के दूसरे दिन ही उसके ससुराल वाले उससे दहेज की लिए प्रताड़ित करने लगे।
महिला का आरोप
महिला का आरोप है कि ससुराल वालों ने उससे कहा की अगर वो दहेज नहीं देती है, तो वह अपने मायके चली जाए। ससुराल वाले उसे उपवास रखने के लिए भी मजबूर करते थे। ससुराल वालों की हरकत से उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ा। महिला ने ससुराल वालों पर गाली गलौज का भी आरोप लगाया,
25 लाख रूपए की गुहार
महिला ने अलग रह रहे पति से भरण पोषण के लिए प्रति महीना 25 हजार रुपये देने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी. महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि उसका पति इसलिए उनसे हर महीने 25 रुपये दिलाया जाए।