Mumbai Politics: मुंबई में फिर शुरू मराठी पॉलिटिक्स, नगर निगम चुनाव पर नजर
Mumbai News: रिपोर्टर में बताया गया है कि मुंबई में 40 फीसदी जनसंख्या मराठी भाषी है।
Mumbai News: महाराष्ट्र और खासकर मुंबई में भाषाई राजनीति फिर शुरू हो गई है। मुंबई में दुकानों के साइनबोर्ड मराठी में लिखने का आदेश इसी क्रम में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है। एक अनुमान है कि मुंबई में 40 फीसदी जनसंख्या मराठी भाषी है। नगर निगम चुनाव में ये आबादी निर्णायक भूमिका निभाती है।
जानकारों का कहना है कि शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार द्वारा मराठी पर जोर को बीएमसी चुनावों से पहले मराठी वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास है। 25 वर्षों तक शिवसेना ने बीएमसी को नियंत्रित किया था जिसे अब राज्य द्वारा नियुक्त प्रशासक द्वारा चलाया जा रहा है क्योंकि निर्वाचित निकाय का कार्यकाल मार्च में समाप्त हो गया था।
शिवसेना ने 84 सीटें जीतीं
दरअसल, शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के लिए मराठी साइनबोर्ड एक राजनीतिक मुद्दा रहा है। 2008 में मनसे के आंदोलन के बाद बीएमसी ने आदेश जारी किया था कि सभी दुकानों और प्रतिष्ठानों को मराठी साइनबोर्ड लगाना चाहिए। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद निगम को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।
2017 के निकाय चुनाव में, जिसे बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग लड़ा था, शिवसेना ने 'मराठी मानुस' एजेंडे को पुनर्जीवित किया था। उस वर्ष शिवसेना ने 84 सीटें जीतीं और नागरिक निकाय पर नियंत्रण बनाए रखा।
1 से 10 तक मराठी भाषा को अनिवार्य विषय बना दिया
पिछले दो वर्षों में शिवसेना मराठी भाषा में अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रही है।जुलाई 2021 में महाराष्ट्र विधानसभा में सभी सरकारी कार्यालयों में प्रशासनिक कार्यों में मराठी भाषा के प्रभावी उपयोग के लिए महाराष्ट्र राजभाषा अधिनियम, 1964 में संशोधन करने वाला एक विधेयक पारित किया था। फरवरी 2020 में एक और विधेयक ने सभी बोर्ड स्कूलों में कक्षा 1 से 10 तक मराठी भाषा को अनिवार्य विषय बना दिया।
क्या है मामला
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने एक आदेश में कहा है कि अब मुंबई में सभी दुकानों और प्रतिष्ठानों के साइनबोर्ड मराठी में होंगे। आदेश में कहा गया है कि यदि किसी दुकान या व्यवसाय के साइनबोर्ड में एक से अधिक भाषा में नाम लिखे हैं प्रदर्शित तो देवनागरी में लिखा नाम बड़े प्रकार में होना चाहिए।
बीएमसी ने कहा कि शराब की दुकानों या बार में दिग्गज हस्तियों और ऐतिहासिक किलों के नाम इस्तेमाल नहीं होने चाहिए। बीएमसी के पत्र में कहा गया है कि संशोधित नियम तत्काल लागू होगा।हालांकि, बीएमसी अधिकारियों ने कहा कि दुकानों, रेस्तरां, बार और अन्य प्रतिष्ठानों को नए नियम के अनुसार डिस्प्ले बोर्ड बदलने के लिए कुछ समय मिलेगा। बीएमसी ने बदलाव को लागू करने के लिए कोई समय सीमा निर्दिष्ट नहीं की है।
दरअसल महाराष्ट्र विधानसभा ने पिछले महीने दुकानों और प्रतिष्ठानों के लिए देवनागरी लिपि में मराठी साइनबोर्ड अनिवार्य करने वाले एक विधेयक को मंजूरी दे दी थी। ये अनिवार्य कर दिया गया है कि मराठी-देवनागरी लिपि का फ़ॉन्ट अन्य लिपियों के फ़ॉन्ट से छोटा नहीं हो सकता है। उल्लंघन के मामले में, दुकान अधिनियम 2017 के प्रावधान के अनुसार कार्रवाई शुरू की जा सकती है। संशोधन सभी प्रकार के प्रतिष्ठानों जैसे किराना दुकानों, कार्यालयों, होटलों, रेस्तरां, बार और थिएटर पर लागू होता है।