Maharashtra: राज्य सभा चुनाव से पहले एमवीए को बड़ा झटका, मलिक और देशमुख नहीं दे पाएंगे वोट

Maharashtra: धनशोधन के मामले में जेल में बंद कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक (nawab malik) और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) अब राज्यसभा चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।

Update: 2022-06-09 11:56 GMT

कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक-पूर्व मंत्री अनिल देशमुख: Photo - Social Media

Mumbai: महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections) से ऐन पहले सत्ताधारी महाविकास अघाड़ी गठबंधन (Mahavikas Aghadi Alliance) को बड़ा झटका लगा है। धनशोधन के मामले में जेल में बंद कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक (cabinet minister nawab malik) और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख (Former Minister Anil Deshmukh) अब राज्यसभा चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।

अदालत ने इस संबंध में उनकी तरफ से दायर याचिका को खारिज कर दिया है। दरअसल एनसीपी के दोनों नेताओं ने 10 जून को राज्यसभा चुनाव में वोट डालने के वास्ते मुंबई की विशेष अदालत में एक दिन के लिए जमानत की अर्जी लगाई थी।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (Enforcement Directorate) ने नवाब मलिक और अनिल देशमुख की जमानत अर्जियों का कड़ा विरोध करते हुए कहा था कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत कैदियों का कोई वोटिंग अधिकार नहीं होता है। बुधवार को अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद गुरूवार यानि आज के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

बता दें कि मलिक और देशमुख मनी लॉन्ड्रिंग मामले (money laundering cases) में फिलहाल मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद हैं। अनिल देशमुख के वकील ने कहा कि विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ वो हाईकोर्ट जाएंगे।

एमवीए की डगर हुई मुश्किल

महाराष्ट्र में राज्यसभा का चुनाव दिलचस्प मोड़ ले चुका है। राज्यसभा की छह सीटों के लिए सात उम्मीदवार मैदान में उतरे हुए हैं। ऐसे में छठी सीट पर घमासन तय है। इस सीट के लिए सत्ताधारी एमवीए की अगुवाई कर रही शिवसेना और विपक्षी बीजेपी आमने–सामने है। कांटे की इस लड़ाई में अदालत के ताजा फैसले ने शिवसेना की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

दरअसल राज्यसभा की छह सीटों के लिए बीजेपी ने तीन, शिवसेना ने दो, एनसीपी ने एक और कांग्रेस ने एक उम्मीदवार खड़े किए हैं। बीजेपी दो, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक–एक सीट पर आराम से जीत हासिल कर सकते हैं। लेकिन छठी सीट पर बीजेपी और शिवसेना आमने –सामने है। दोनों में से कोई एक ही इस सीट को हासिल कर सकता है। इस दिलचस्प मुकाबले में छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों का रोल अहम हो गया है। दोनों पक्ष इन्हें साधने में जुटे हुए हैं।

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