Trimbakeshwar Jyotirlinga: त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग का ऐसा कुंड, स्नान करने से मिलता है मोक्ष, जानिए पूरा इतिहास
Trimbakeshwar Jyotirlinga:इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने पर भक्तों को त्रिदेव यानि भगवान शिव के साथ ब्रह्मा और विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।
Trimbakeshwar Jyotirlinga: त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में 28 किमी दूर त्रयंबक गांव में स्थित है। गोदावरी नदी के किनारे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग त्रयंबकेश्वर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश एक ही स्थान पर विराजमान है। यहां मुख्य पूजा भगवान शिव की होती है। इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने पर भक्तों को त्रिदेव यानि भगवान शिव के साथ ब्रह्मा और विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है। गर्भ गृह में आंख के समान एक इंच के तीन ज्योतिर्लिंग एक जगह दिखते हैं।
इस शिवलिंग का आकार काफी छोटा होने के कारक भक्तों को गर्भ गृह में प्रवेश नहीं दिया जाता। इसके दर्शन के लिए शिवलिंग के ऊपर एक शीशा लगा हुआ है, जिसमें श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं। यहां बने एक कुण्ड में मान्यता अनुसार स्नान करके शिवलिंग के दर्शन करने चाहिए। गर्भगृह में प्रवेश के लिए पुरुषों को ऊपर किसी भी प्रकार का वस्त्र पहनना मना है और चमड़े की किसी भी वस्तु को ले जाना वर्जित है। ऐसा माना जाता है गौतम ऋषि और गोदावरी के आग्रह पर भगवान शिव इस गोदावरी नदी के तट पर वास करने को राजी हुए और त्रयंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए। ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान राम अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध करने के लिए यहाँ आये थे| इस ज्योतिर्लिंग के श्रावण मास में पूजा करने से तीनों देवों का आशीर्वाद मिलता है।
माना जाता है कि जब बृहस्पति सिंह राशि में आते हैं तो इस पावन धाम में कुंभ महापर्व होता है और उस दौरान सभी तीर्थ, देवतागण यहां उपस्थित होते हैं। इस कुंभ मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक मां गोदावरी में पवित्र स्नान करने और भगवान त्र्यंबकेश्वर के दर्शन और पूजन के लिए आते हैं। सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक भक्तगण इस मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। श्रावण महीने के सोमवार और शिवरात्रि को दर्शन करना ज्यादा पवित्र माना जाता है। कुंडली में कालसर्प दोष को दूर करने के लिए कालसर्प योग और नारायण नागबलि नामक खास पूजा के लिए भी साल भर लोग यहां आते रहते हैं।
यहां ज्योतिर्लिंग के अलावा अन्य कई दर्शनीय स्थल भी हैं
दूधसागर झरना
यह झरना महाराष्ट्र राज्य में सबसे अच्छे झरनों में से एक माना जाता है। यह नासिक शहर से 8 किलोमीटर की दूरी पर सोमेश्वर में स्थित है। मानसून के दौरान इस झरने को देखने का अलग मजा है। यह झरना सफेद दूधिया रंग के होने के कारण दूधसागर कहलाता है।
पांडवलेनी गुफाएं
ये गुफाएं नासिक स्थित त्रिवाष्मी पहाड़ियों के पठार पर बसी हैं। 20वीं सदी की ये गुफाएं वास्तुकला प्रेमियों को बहुत भाती हैं। कई जैन संत जैसे अंबिका देवी, मनिभाद्र जी तीर्थंकर ऋषभदेव यहां रहते थे। इस गुफा में गौतम बुद्ध की मूर्तियों को भी देखा जा सकता है।
मुक्तिधाम मंदिर
यह मंदिर नासिक शहर से 8 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की दीवारों पर भगवद्गीता के 18 अध्याय लिखे हैं।
कालाराम मंदिर
यह मंदिर अपनी स्थापत्य शैली में त्र्यंबकेश्वर मंदिर जैसा दिखता है। काले पत्थरों से बने इस मंदिर की लंबाई 70 फुट है और तांबे के बने शिखर पर सोना चढ़ाया गया है। इस मंदिर में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के अलावा गणपति और हनुमान की मूर्तियां भी मौजूद हैं।
रामकुंड
रामकुंड नासिक का मुख्य पर्यटक आकर्षण केंद्र है। 12 मीटर से 27 मीटर के एक विशाल क्षेत्र में फैले इस कुंड का निर्माण 300 से अधिक वर्ष पूर्व 1616 में किया गया। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम और सीता ने वनवास के दौरान इस कुंड में स्नान किया था। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में अस्थि विसर्जित करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पंचवटी
गोदावरी नदी के तट पर स्थित इसी जगह पर लक्ष्मण ने शुर्पनखा का नाक काटा था। नाक को नासिका भी कहते हैं और इसी से इस शहर का नाम नासिक पड़ा। इस पंचवटी जगह पर पांच बरगद के पेड़ हैं और इसी वजह से इस जगह का नाम पंचवटी पड़ा था। राम कुटिया के पास ही तपोवन था। इस जगह भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को समर्पित कई मंदिर हैं।
सीता गुफा
ये वो जगह है जहां रावण ने सीता का अपहरण किया था। इस गुफा में भगवान राम, सीता और लक्ष्मयण की मूूर्तियां बनी हैं। इस गुफा में प्रवेश के लिए बहुत संकरा मार्ग है।
कैसे पहुंचें?
नासिक एयरपोर्ट देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। महाराष्ट्र का प्रमुख जिला होने के कारण रेल और सड़क मार्ग से यात्रा करना भी आसान है। नासिक के अलावा मुंबई , पुणे और औरंगाबाद से भी हवाई मार्ग से आकर सड़क के रास्ते त्र्यंबकेश्वर पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा रेल यातायात भी नासिक रोड तक देश के हर कोने से जुड़ा है। बस और टैक्सी सेवा आसानी से उपलब्ध है।
यहां ठहरने के लिए होटल और धर्मशाला ऑनलाइन या यहां आकर बुक किया जा सकता है। अक्टूबर से फरवरी तक का मौसम यहां घूमने लायक रहता है इसके अलावा मानसून में भी सैलानी आस पास के झरनों का लुत्फ उठाने के साथ दर्शन का लाभ ले सकते हैं।