यूपी की मशहूर खिलाड़ी अरुणिमा को रेलवे देगा मुआवजा, हादसे के बाद भी नहीं छोड़ा हौसला

Update: 2018-01-29 10:37 GMT

लखनऊ: कहते हैं न कि जब एक इंसान का हौसला बुलंद हो तो मुश्किल सफर भरी राह में आने वाले काटों को फूलों से सजा देता है। कुछ ऐसी ही कहावत राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वालीबाल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा पर बिल्कुल सटीक बैठती है। ट्रेन में पड़ी डकैती की शिकार हुई अरुणिमा ने एक पैर खोने के बाद भी कृत्रिम पांव लगाकर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर अपना पहला परचम लहराया था।

यूपी के अंबेडकर जिले की रहने वाली अरुणिमा सिन्हा ने रेलवे से 7 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अपना हक पाया है। भारतीय रेलवे मुआवजे के तौर पर उनको 7 लाख 20 हजार रुपये देगा। मुआवजा राशि पर एक जनवरी 2017 से छह प्रतिशत ब्याज भी देय होगा। रेलवे क्लेम्स ट्रिबुनल लखनऊ बेंच ने मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

आपको बता दें कि हादसे में एक पैर गंवाने के बाद रेलवे ने इसके लिए अरुणिमा को ही जिम्मेदार माना था। इसके बाद से पूर्व खिलाड़ी रेलवे से लगातार मदद के लिए संघर्ष कर रही थी। लंबे समय के बाद अरुणिमा को सफलता मिली है।

ऐसे हुआ था हादसा

पूर्व वालीबाल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा 11 अप्रैल 2011 को पद्मावती एक्सप्रेस ट्रेन से लखनऊ से दिल्ली जा रही थीं। रास्ते में धनेती स्टेशन के पास डकैतों ने उन्हें बुरी तरह से मारपीट कर ट्रेन से नीचे ढकेल दिया जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं थीं। इसके बाद इलाज के दौरान उनका बायॉं पैर काटना पड़ा था।

तब से रेलवे से कर रही थीं संघर्ष

इसको लेकर अरुणिमा ने रेलवे पर लापरवाही का मुकदमा ठोका था। रेलवे ने मुकदमे के दौरान पहले तो उन्हें रेल यात्री नहीं माना और फिर यह कहा कि वह अपनी लापरवाही से दुर्घटना की शिकार हुई। इसलिए मुआवजे की हकदार नहीं है। तब से लेकर पीड़ित खिलाड़ी एक पैर गंवाने के बाद भी रेलवे से मुकदमा लड़ रही थी। इसके बाद जाकर आज रेलवे उनको मुआवजा देगा। वकील जानकी शरण पांडेय ने बताया कि अरुणिमा टिकट लेकर यात्रा कर रही थीं और इस दौरान उन्हें लुटेरों ने ट्रेन धक्का दे दिया था। इसी को लेकर हम भारतीय रेलवे से लड़ रहे थे।

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