क्रिकेट का शौकीन Mukhtar Ansari कैसे बना अपराध की दुनिया का माहिर खिलाड़ी!
Mukhtar Ansari : गाजीपुर के मोहम्मदाबाद युसूफपुर में 3 जून 1963 को बेगम राबिया और सुबहानउल्लाह अंसारी के घर मुख्तार अंसारी का जन्म हुआ था।
प्रदेश की बांदा जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mafia Don Mukhtar Ansari) की गुरुवार शाम को दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ने के बाद मौत हो गई है। अंसारी की तबियत खराब होने के बाद जेल कार्मिकों ने बांदा मेडिकल कॉलेज (Banda Medical College) में भर्ती कराया था। मेडिकल कॉलेज की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक, मुख्तार को मेडिकल कॉलेज के आकस्मिक विभाग में उल्टी की शिकायत एवं बेहोशी की हालत में लाया गया। डॉक्टरों ने बचाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन कार्डियक अरेस्ट के कारण मौत हो गई है। प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।
प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान से था मुख्तार
प्रदेश के गाजीपुर के मोहम्मदाबाद युसूफपुर में 3 जून 1963 को बेगम राबिया और सुबहानउल्लाह अंसारी के घर मुख्तार अंसारी का जन्म हुआ था। मुख्तार के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की थी। मुख्तार के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसार स्वतंत्रता सेनानी थे, वह महात्मा गांधी के साथ काम करते हुए 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 की लड़ाई में शहीद हो गए थे, उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। भारत के पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तारी अंसारी के चाचा थे।
क्रिकेट का शौकीन था मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी क्रिकेट खेलने का बहुत शौकीन था, लेकिन कॉलेज के जमाने से ही वह साधु सिंह गैंग में शामिल हो गया था, इसके बाद उसके कदम इतने बढ़ गए कि उसे पीछे लौटना मुश्किल हो गया। अपराध की दुनिया में मुख्तार का नाम सबसे पीने मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर 1988 में स्थानीय ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या में सामने आया था। इसी समय कांस्टेबल राजेन्द्र सिंह की हत्या बनारस में कर दी गई, इसमें भी उसका नाम शामिल था। गाजीपुर में सरकारी ठेकों को लेकर माफिया बृजेश सिंह के गैंग से भी मुख्तार के गिरोह का आमना-सामना हुआ था।
पुलिस पर फायरिंग करने के बाद फरार हो गया था
वर्ष 1991 में पुलिस ने चंदौली जिले से मुख्तार को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन रास्ते में पुलिस कर्मियों पर फायरिंग करते हुए फरार हो गया था। इसी साल कांग्रेस नेता अजय राय की हत्या में भी मुख्तार सहित पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इन घटनाओं के बाद अपराध की दुनिया में उसका नाम काफी बड़ा हो गया था। इसके बाद उसने शराब के ठेके, कोयला खनन, अवैध खनन, सरकारी ठेके, वसूली सहित अन्य अवैध कामों को करना शुरू कर दिया। इसके 1996 में एएसपी उदय शंकर पर हुए जानलेवा हमले में उसका नाम सुर्खियों आया।
1996 में पहली बार बना था विधायक
मुख्तार अंसारी ने 1996 में पहली पर बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीत हासिल कर विधायक बना था। इसके बाद 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में मऊ से चुनाव जीता, इनमें से आखिरी तीन चुनाव उसने जेल में रहते हुए लड़े और जीते। वह भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर उत्तर प्रदेश की हर बड़ी पार्टी में शामिल रहा। राजनीति में आने के बाद अपराध की दुनिया में मुख्तार की जड़े और गहरी होती चली गईं।
भाजपा विधायक कृष्णानंद की हत्या मामले में मुख्य आरोपी था
वर्ष 2002 ने मुख्तार की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी, इस साल भारतीय जनता पार्टी के विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास साल 1985 में से गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट छीन ली थी, जो मुख्तार को नागवार गुजरी। इसके बाद भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की 2005 में हत्या कर कर दी गई। विधायक कृष्णानंद एक कार्यक्रम से लौट रहे थे, हमलावरों ने एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग करते हुए करीब 500 गोलिया बरसाईं। इस हमले में कृष्णानंद राय सहित गाड़ी मौजूद सभी सातों लोग मारे गए थे। इसी मामले में मुख्तार अंसारी मुख्य आरोपी था।
योगी सरकार बनने के बाद शुरू हो गई थी उल्टी गिनती
प्रदेश में मुख्तार अंसारी पर 52 केस दर्ज हैं। योगी सरकार बनने के बाद से उनकी उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। योगी सरकार उन्हें 15 केस के जल्द से जल्द सजा दिलाने की कोशिश में थी। सरकार ने अब तक उसकी या उसके गैंग की 192 करोड़ रूपये से ज्यादा की संपत्ति ध्वस्त या जब्त कर चुकी थी। अब तक अंसारी गैंग के 96 अभियुक्त गिरफ्तार हो चुके हैं, इनमें 75 के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट में कार्रवाई हो चुकी है।