उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में विकास की एक नई सुबह

Development of North-Eastern Region: उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों के अनूठेएवं खूबसूरत पहाड़ों व घाटियों में बदलाव की बयार बह रही है।दस वर्षों के अथक प्रयासों के बाद, यहां शांति और विकास का एक नया युग शुरू हुआ है।

Written By :  G. Kishan Reddy
Update:2024-02-08 21:54 IST

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में विकास की एक नई सुबह: Photo- Social Media

Development of North-Eastern Region: उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों के अनूठेएवं खूबसूरत पहाड़ों व घाटियों में बदलाव की बयार बह रही है।दस वर्षों के अथक प्रयासों के बाद, यहां शांति और विकास का एक नया युग शुरू हुआ है। जब माननीय प्रधानमंत्री ने इन आठ राज्यों को भारत की ‘अष्टलक्ष्मी’, विकास और समृद्धि का अग्रदूत कहा, तो पहली बार इनकी अंतर्निहित क्षमताओं को स्वीकार किया गया।इस क्षेत्र मेंतेज गति से स्थापित होती सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी के जरिए इतिहास रचा जा रहा है। जहां तक गुणवत्ता का प्रश्न है, तो ये अवसंरचनाएं शेष भारत में उपलब्ध विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे जैसी ही हैं। यहां का युवा अब बंद, चक्का जाम और हड़ताल से परेशान नहीं हैं, बल्कि अब उनके सपने पहले से कहीं ज्यादा सच हो रहे हैं। व्यापार को आसान बनाया गया हैऔर पर्यटकोंके लिए आकर्षण के नए केन्द्रबनाए गए हैं। यह सब बेहतर कनेक्टिविटी के कारण संभव हुआ है। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, अपने आप में, अभूतपूर्व राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रेरणादायक समर्पण और प्रत्येक भारतीय के लिए बेहद प्रिय एक लक्ष्य के सामूहिक स्वामित्व की गाथा है और वह लक्ष्य है-भारत के ईशान कोण में प्रगति व विकास की एक नई सुबह की शुरुआत! जैसा कि माननीय गृह मंत्री ने हाल ही में संपन्न एनईसी की 71वीं पूर्ण बैठक के दौरान सही ही कहा है किपिछला दशक उत्तर-पूर्वी भारत के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय रहा है।

इस परिवर्तनकारी दृष्टिकोण ने न केवल इस क्षेत्र में संघर्ष-केंद्रित-प्रशासन के पारंपरिक मॉडल की अवधारणा को तोड़कर शासन के विकास-उन्मुख मॉडल को खड़ा किया है, बल्कि एक मजबूत एवं अपेक्षाकृतअधिक एकजुट भारत को बढ़ावा देते हुए सांस्कृतिक और सामाजिक एकीकरण के बीज बोए हैं। हाल ही में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में पहली अंतर्राष्ट्रीय रेलवे कनेक्टिविटी, अगरतला-अखौरा रेल लिंक को हरी झंडी दिखाना, इस बात का गौरवपूर्ण उदाहरण है कि कैसे एक समय उपेक्षित रहा भारत का यह‘सुदूरवर्ती इलाका’ अब अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और पर्यटन मानचित्र पर उभर आया है।

जीवंत संस्कृतियों और प्रचुर संसाधनों से लैस भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, एक ऐसा इलाका है जिसने काफी लंबे समय तक राजनीतिक उदासीनता का दंशझेला है। वास्तविक प्रतिबद्धता की कमी को छुपाने के लिए अक्सर हिंसा और अस्थिरता को एक सुविधाजनक ओट के रूप में इस्तेमाल किया जाता था और सिद्धांत एवं व्यवहार के बीच की बड़ी खाई बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देती थी।

हालांकि, पिछले दशक में प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में किए गए निरंतर प्रयासों से इस क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में शांति और सुरक्षा का वातावरणबना है। सरकार भौगोलिक और सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों का डटकर सामना करते हुए विकास एवं समृद्धि के राजमार्ग तैयार कर रही है। अरुणाचल के किबिथू को देश के अंतिम गांव के बजायभारत के पहले गांव और राष्ट्रव्यापी ‘वाइब्रेंट विलेज’ कार्यक्रम के लॉन्च पैड के रूप में पुनर्कल्पित करना उत्तर-पूर्वी क्षेत्रएवं इसके सुदूरवर्तीइलाकों के विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

वर्ष 2014 के बाद से 50 से अधिक मंत्रालयों द्वारा क्षेत्रीय विकास में पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ, यह क्षेत्र विकास के अवसरों का लाभ उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है। वर्ष 2014 से, यहां एक वित्तीय क्रांति जारी है, जिसके तहत 54 केन्द्रीय मंत्रालयों द्वारा व्यय में 233 प्रतिशत की भारी वृद्धि (2014 में 24,819 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023 में 82,690 करोड़ रुपये) या डोनर मंत्रालय के लिए बजट आवंटन में 152 प्रतिशत की वृद्धि (2014 में 2,332 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023 में 5,892 करोड़ रुपये)की गई है।यह तथ्य एक ऐसे ठोस वित्तीय परिदृश्य की ओर इंगित करता है, जो परिवर्तनकारी एजेंडे को बढ़ावा देता है। हालिया पीएम-डिवाइन योजना, जिसमें विभिन्न राज्यों की जरूरतों के लिए 6,600 करोड़ रुपये की सहायता का वादा किया गया है, इस प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

वर्ष 2014 में, माननीय प्रधानमंत्री ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में ‘परिवहन से परिवर्तन’के अपने दृष्टिकोण को साझा किया था। आज10 साल बाद,हम उनकेइस दृष्टिकोण को अद्भुत रूप से साकार होते देख रहे हैं। कनेक्टिविटी अब सबसे गतिशील क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। चाहे वह 75 वर्षों में मणिपुर में पहली माल ढुलाई से संबंधित कनेक्टिविटी हो या 100 वर्षों के बाद नागालैंड में राज्य के दूसरे रेलवे स्टेशन की स्थापना हो या कई राज्यों से पहली बार हवाई सेवाओं का उड़ान भरना हो या75 वर्षों में पहली मालगाड़ी का 2022 में मणिपुर पहुंचना हो याफिर दुनिया के सबसे ऊंचे गर्डर रेल ब्रिज के साथ जिरीबाम-इम्फाल रेलवे लाइन पर 141 मीटर ऊंचे पाए का निर्माण,एनईआर में कनेक्टिविटी में सुधार विस्मय एवं प्रेरणा का विषय रहा है।


वर्ष 2014 से पहले, विशाल भारतीय रेलवे कभी भी गुवाहाटी या त्रिपुरा से आगे नहीं बढ़ पाई थी। लेकिन आज इसका नेटवर्क दूर-दूर तक फैला हुआ है और सभी राज्यों की राजधानियों को जोड़ने की योजना लगभग पूरी होने वाली है तथास्वीकृत किए गए सेक्शनों में 170 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि हुई है, जो प्रति वर्ष औसत से दोगुने से भी अधिक है (यूपीए-2 अवधि के दौरान 66.6 किलोमीटर प्रति वर्ष से बढ़कर वर्तमान में 179.78 किलोमीटर प्रति वर्ष)। राजनीतिक इच्छाशक्ति और सहयोग के भरोसे आएएक उल्लेखनीय वित्तीय उछाल ने इस बदलाव को संभव बनाया।यूपीए-2 युग की तुलना में वार्षिक बजट आवंटन में 384 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह वित्तीय वर्ष 2023-24 में बढ़कर 9,970 करोड़ रुपये हो गई।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी का यह प्रसिद्ध कथन कि“अमेरिका की सड़कें इसलिए अच्छी नहीं हैं क्योंकि अमेरिका अमीर है, बल्कि अमेरिका अमीर इसलिए है क्योंकि अमेरिका की सड़कें अच्छी हैं”, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में बिल्कुल सटीक तरीके से चरितार्थ होता है। एनईआर के विकास को प्राथमिकता देने के साथ, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग का विकास राष्ट्रीय औसत से भी आगे निकल गया है। इस सरकार के तहत उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सड़कों का निर्माण कार्य दोगुना से अधिक हो गया है, जो यूपीए सरकार के तहत प्रतिदिन केवल 0.6 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग से बढ़कर 2014 से 2019 के बीच 1.5 किलोमीटर हो गया है।

परिणामस्वरूप, आजादी के बाद से 2014 तक, एनईआर में केवल 10,905 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग थे, लेकिन केवल 10 वर्षों की अवधि में, 2023 तक यह आंकड़ा बढ़कर इस क्षेत्र में 16,125 किलोमीटरराष्ट्रीय राजमार्ग हो गया। आज 1.11 लाख करोड़ रुपयेकी लागत से 5,388 किलोमीटर की विभिन्न परियोजनाओं पर काम चल रहा है!

इसी तरह, 2014 के बाद से आठ नए हवाई अड्डों के निर्माण के साथ हवाई कनेक्टिविटी को एक बड़ा प्रोत्साहन मिला है। क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी योजना एनईआर में हवाई यात्रा की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुई है, जो चुनौतीपूर्ण मार्गों के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण की पेशकश करती है।उड़ान योजना के तहत आज 64 नए मार्गों पर परिचालन शुरू किया गया है। पहली बार, प्रत्येक राज्य में एक सक्रिय हवाई अड्डाउपलब्ध है। हाल ही में पाकयोंग, उमरोई और ईटानगर जैसे हवाईअड्डे पर हवाई सेवाएं शुरू हुईं हैं।

नदियां, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की जीवनरेखा मानी जाती हैं।विभाजन से पहले कई नौगम्य परिवहन मार्ग उपलब्ध थे जिससे माल तक पहुंचना सुलभ था। अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के टूट जाने से लोगों के लिए आर्थिक अवसर समाप्त हो गए। आश्चर्यजनक रूप से, अंतर्देशीय जलमार्ग संपर्क को बहाल करने में सात दशक लग गए। कुल 19 नए राष्ट्रीय जलमार्ग (2014 तक केवल एक के साथ) और बांग्लादेश के साथ अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) प्रोटोकॉल तथा चटगांव एवं मोंगला बंदरगाहों के उपयोग सहित विभिन्न द्विपक्षीय समझौते, आसियान और पड़ोसी देशों के साथ व्यापार को आगे बढ़ाते हुएनए आर्थिक अवसरोंका मार्ग प्रशस्त करेंगे।

चूंकि कनेक्टिविटी के बदलते प्रतिमान आर्थिक परिदृश्य से कहीं आगे तक जाने वाले लाभों के साथ जबरदस्त प्रभाव पैदा करतेहैं, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र न केवल बुनियादी ढांचे के मामले में समृद्ध हो रहा है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिभाओंको भी निखार रहा है। उभरते उद्यमियों से लेकर विश्वस्तरीय खेल सितारों तक, इस क्षेत्र में अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। मणिपुर में देश का पहला खेल विश्वविद्यालय और 2018 से खेलो इंडिया के तहत पर्याप्त आवंटन जैसी पहल इस क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं का निखारने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसके अलावा, दिसंबर 2022 तक लगभग 4000 स्टार्टअप का पंजीकरण और 670 करोड़ से अधिक के माइक्रोफाइनेंस ऋण की मंजूरी उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के भीतर त्वरित विकास और व्यापक संभावनाओं को रेखांकित करती है।

पिछले दशक में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में हासिल की गई प्रगति ने इस क्षेत्र को भारत के एक सुदूरवर्तीइलाके से बदलकर विकास के नए इंजन के रूप में स्थापित कर दिया है। कनेक्टिविटी के क्षेत्र में आई क्रांति ने ऐसे रास्ते खोले हैं जिनपर पहले कभी ध्यान भी नहीं दियागया था। आज हम इस क्षेत्र के पर्यटन, अर्थव्यवस्था, कृषि-आधारित उद्योग, सेवा क्षेत्र की संभावनाओंएवं युवा श्रमशक्ति, प्राकृतिक व जैविक खेती, नवीकरणीय ऊर्जा और दशकों तक अछूते रहे कई अन्य क्षेत्रों का दोहन करके इस क्षेत्र के आर्थिक विकास के विभिन्न मोर्चों पर एक साथ काम कर रहे हैं। हमने इस क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है तथा अभी कई और उपलब्धियां हासिल करनी हैं। श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हमने आधी लड़ाई जीत ली है। निम्नलिखित पंक्तियां भारत के पूर्वोत्तर में एक नई सुबह के प्रति हमारी दृष्टिकोण और दृढ़ संकल्प को दर्शाती हैं:

"एक नई सुबह को गले लगाते हुए, एक यात्रा को इतना उज्ज्वल बनाते हुए,

उत्तर-पूर्व की यात्रा, एक चमकता हुआ प्रकाशस्तंभ

ऊंची उड़ान भरने को उत्साहित, महत्वाकांक्षाओंसे प्रेरित,

उत्तर-पूर्वविकास की एक ऐसी गाथा है, जो सुनाईजानी है।”

(लेखक- जी. किशन रेड्डी, भारत सरकार के केन्द्रीयउत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री हैं)

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