अश्वमेध

बधाई हो, महाराज ! हम फिर जीत गये । बज रही है दश दिश हमारी विजय दुंदुभी, तक्षशिला से कामरूप कश्मीर से कन्याकुमारी

Written By :  Anand Tripathi
Published By :  Monika
Update:2021-04-23 20:38 IST

आनंद त्रिपाठी द्वारा लिखा काव्य 

बधाई हो, महाराज !

हम फिर जीत गये ।

बज रही है दश दिश

हमारी विजय दुंदुभी,

तक्षशिला से कामरूप

कश्मीर से कन्याकुमारी

बंग,कलिंग, केरलपुत्र, सतियपुत्र

सौराष्ट्र,विदर्भ, मध्य देश

आटविक क्षेत्र,सिंधु और समूचे

गंगा यमुना के मैदानों तक ।

दौड़ रहा है हमारा अविजित अश्व

निरंतर सबको रौंदता हुआ।

मगर यह क्या ?

सब ज़न स्तब्ध हैं

नहीं जला रहा कोई दिये

बज नहीं रहे नक्कारे

और शंख घोष।

लगता है जनपदों में

नहीं रह गया है कोई

महाराज ! ताज मुबारक हो ।

अच्छा है ! जितने हों

रोग शोक में डूबे लोग,

विप्लव की सोच नहीं सकते ।

हम जानते हैं इनकी याददाश्त को

हम मल देंगे उनके घावों पर

वादों के ढेरों मरहम

कुछ दिन बाद

वे सब भूल जाएंगे ।

फिर उठाएंगे हमारा विरुद

और करेंगे चारण घोष

आप निश्चिंत रह सकते हैं महाराज

आत्मरति में डूबे हुए

इसअंतराल में !

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