Maharashtra Election: महाराष्ट्र में चुनाव से पहले रेवड़ियाँ देने की घोषणा

Maharashtra Election: चुनावी प्रक्रिया के दौरान यह दृष्टिगोचर होने लगा है कि प्रत्येक मुख्यमंत्री के द्वारा, चाहें वह किसी भी दल का हो, चुनाव से पूर्व जनता को लुभाने हेतु अनेकों अव्यवहारिक प्रलोभन देने का प्रचलन हो गया है।

Report :  Yogesh Mohan
Update:2024-10-18 18:01 IST

Maharashtra Election

Maharashtra Election: महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे जी अपने मुख्यमंत्री पद की द्वितीय पारी की सम्भावना हेतु जनता की अदालत में प्रस्तुत होने के लिए तत्पर हैं। उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति हेतु चुनावों की घोषणा से 2 दिन पूर्व, महाराष्ट्र की जनता को आकर्षित करने हेतु अनेकों आकर्षित करने वाली घोषणाएं की, जोकि दीपावली पर दिए जाने वाले उपहारों से भी अधिक आकर्षक हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या उनको अपने मुख्यमंत्री काल में किए हुए कार्यो पर विश्वास नहीं हैं? उन्होंने विगत 4 मंत्रीमंडल की बैठक शीघ्रातिशीघ्र सम्पन्न करके, उनमें 150 से अधिक प्रस्ताव पारित कर जनता को आकर्षित करने का प्रयास किया है, यथा - प्रत्येक गाय पालक को 50 रूपये प्रतिदिन प्रति गाय हेतु भुगतान, वृद्ध स्त्रियों को बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा, निर्धन महिलाओं को साड़ी तथा रसोई के बर्तन, राज मिस्त्री को उनके नए औजार, मदरसों में कार्यरत अध्यापको की वेतन वृद्धि, राजनेताओं के द्वारा संचालित ट्रस्टों को भूमि अनुदान आदि।

यह अचम्भित करने वाला विषय है कि उपरोक्त में से कोई भी योजना, सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए विगत बजट के प्रावधानों में सम्मिलित नहीं थी, जब बजट में इनका कोई प्रावधान उपलब्ध नहीं था, तो इनका लाभ जनता को कैसे प्राप्त होगा और मुख्यमंत्री चुनाव की घोंषणा के पश्चात जनता को किस प्रकार लाभान्वित कर पायेंगे और पुनः सत्तासीन होने पर उपलब्ध कराएंगे भी अथवा नहीं। मुख्यमंत्री जी के प्रलोभनों पर जनता कितना विश्वास करेगी, यह तो चुनाव परिणाम से ही स्पष्ट होगा।

चुनावी प्रक्रिया के दौरान यह दृष्टिगोचर होने लगा है कि प्रत्येक मुख्यमंत्री के द्वारा, चाहें वह किसी भी दल का हो, चुनाव से पूर्व जनता को लुभाने हेतु अनेकों अव्यवहारिक प्रलोभन देने का प्रचलन हो गया है। क्या इस प्रकार का प्रचलन, ईमानदारी से कर का भुगतान करने वाली जनता के साथ विश्वासघात नहीं है? ईमानदार जनता देश की प्रगति एवं देश के सर्वांगीण विकास के लिए कर का भुगतान करती है, जिससे देश की समस्त जनता लाभान्वित हो सके। निर्धन जनता का उत्थान आवश्यक है, परन्तु वह चुनाव में विजयश्री प्राप्त करने हेतु लुभावनी घोंषणाओं से संभंव नहीं होगा। प्रायः यह देखा जाता है कि अधिकांश चुनावी घोंषणाएं, समाचार पत्रों में सुर्खियां बटोरने के लिए होती हैं, क्योंकि वो धरातल पर उतर ही नहीं पातीं और जनता इनके वशीभूत होकर वोट देती है। परन्तु अब जनता शनै-शनै जागरूक हो रही है और उन्हें ऐसी सभी घोंषणाओं का संज्ञान होना प्रारम्भ हो गया है कि इससे उनको कोई लाभ नहीं होगा। इसके इतर यदि येन-केन-प्रकारेण इन सब चुनावी घोषणाओं का क्रियान्वन हो भी जाता है तो प्रदेश का समस्त विकास कार्य अवरूद्ध हो जाएगा और ऐसा होने पर प्रदेश कुछ ही समय में कंगाल हो जाएगा।

देश का जिम्मेदार नागारिक होने के नाते मेरी सभी राजनीतिक दलों से करबद्ध प्रार्थना है कि जनता को चुनावी रेवड़ियाँ बांटना अतिशीघ्र बन्द करें और प्रदेश व देश को ऊँचा उठाने के विषय में व्यवहारिक व श्रेष्ठ योजनाएँ बनाकर उनको अविलम्ब क्रियान्वित करें।

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