जय शाह के बचाव में BJP सरकार के आने से कुछ गलत का अंदेशा

Update:2017-10-09 17:22 IST
जय शाह के बचाव में BJP सरकार के आने से कुछ गलत का अंदेशा

vinod kapoor

लखनऊ: पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि 'न खाऊंगा और न खाने दूंगा।' हाल ही में अपनी सरकार के तीन साल पूरे होने पर भी बीजेपी शीर्ष नेतृत्व की तरफ से यही कहा गया। लेकिन बीजेपी अध्यक्ष अतिम शाह के बेटे जय शाह की कंपनी के कथित टर्नओवर और उसके मुनाफे में आए एकाएक उछाल पर विपक्ष का आक्रमण क्या हुआ कि पूरी केंद्र सरकार और राज्यों में बीजेपी की सरकार इसके बचाव में उतर आई। बीजेपी सरकारें जिस तरह से बचाव कर रही हैं उससे आशंका जाहिर होती है कि दाल में कुछ काला है।

ये ठीक उसी तरह हो रहा है जब हरियाणा में जमीन सौदे को लेकर सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा पर सवाल उठे थे और पूरी कांग्रेस पार्टी उनके बचाव में उतर आई थी। गौरतलब है कि एक वेब पोर्टल ने जय शाह की कंपनी के बारे में रविवार को खबर दी। फिर क्या था ये खबर पूरे पोर्टल और सोशल मीडिया पर ट्रोल करने लगी।

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'दाग' से सशंकित बीजेपी

इसके बचाव में जब रेल मंत्री पीयूष गोयल उतरे तो लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। पीयूष गोयल बीजेपी के प्रवक्ता नहीं हैं। बीजेपी को लगने लगा, कि ये ऐसा 'दाग' लग रहा है जिस पर लोगों की उंगलियां उठेंगी ही। उन्होंने रविवार को ही जय शाह के स्वामित्व वाली कंपनियों द्वारा किए गए लेन-देन पर सवाल उठाने वाली एक रिपोर्ट को ‘दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक’ बताया। साथ ही धमकी दी, कि जय शाह रिपोर्ट के लेखक और समाचार वेबसाइट ‘द वायर’ के संपादकों और मालिकों के खिलाफ 100 करोड़ रुपए की दीवानी और आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे।

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पीयूष गोयल क्यों मुकदमा करेंगे?

अब पीयूष गोयल क्यों मुकदमा करेंगे, ये समझ नहीं आया। यही बयान यदि अध्यक्ष अमित शाह या उनके बेटे जय शाह की तरफ से आता तो ज्यादा उचित था। पीयूष गोयल ने कहा, कि 'जय शाह की कंपनियों- टेम्पल एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और कुसुम फिनसर्व द्वारा किए गए सभी लेन-देन और लिए गए ऋण पारदर्शी थे। ऋण को ब्याज के साथ वापस अदा किया गया था।'

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दाग तो कांग्रेस पर भी हैं

गोयल ने कहा, 'दुर्भावनापूर्ण तरीके से रपट के जरिए अमित शाह की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।' गोयल ने कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों को भी खारिज करते हुए कहा कि यह ‘पुरानी कांग्रेस शैली’ है। उन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि कांग्रेस भी स्पष्ट करे कि यदि उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो उन्हें गांधी परिवार के लेन-देन से संबंधित जस्टिस ढींगरा आयोग की रपट को रोकने के लिए अदालत में नहीं जाना चाहिए था।'

बता दें, कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के जमीन खरीद में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए राज्य में सत्ता में आने के बाद, हरियाणा सरकार ने ढींगरा आयोग का गठन किया था।

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गोयल की सफाई

जय शाह की कंपनियों के लेन-देन के बारे में गोयल ने कहा, कि शाह व्यावसायिक रूप से 'पूरी तरह जायज और कानून सम्मत कारोबार' करते हैं, जो उनके बही-खातों और आयकर रिटर्न से स्पष्ट है। गोयल ने ये भी कहा, कि सभी लेन-देन बैंकों के माध्यम से किए गए हैं।

दे दी 'सुपारी जर्नलिज्म' की संज्ञा

जय शाह पर लगे आरोपों के दूसरे दिन बारी यूपी की थी। यहां भी पार्टी नहीं बल्कि यूपी सरकार जय शाह के बचाव में उतरी। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह यूपी सरकार के प्रवक्ता हैं लेकिन पार्टी कार्यालय में वो जय शाह के बचाव में उतरे। उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा, कि 'अब नैपकीन से बाहर निकलें।' बीजेपी अध्यक्ष के बेटे के खिलाफ खबर क्या छपी उन्होंने तो पूरी मीडिया को ही कटघरे में खड़ा कर दिया और कहा, कि ये 'सुपारी जर्नलिज्म' है ।

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राहुल ने पूछा- आप चौकीदार थे या भागीदार?

कांग्रेस को तो बिना मेहनत किए ही मौका मिल गया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले में कई ट्विट किए और पीएम से पूछा- जय 'जादा' खा गया। आप चौकीदार थे या भागीदार? पीएम मोदी देश का पीएम नहीं चौकीदार होने का दावा करते हैं।

राजबब्बर ने बताया 'बेटा मॉडल'

यूपी प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने भी जय शाह की कंपनी पर सवाल उठाए और कहा, कि 'अमित शाह के बेटे की कंपनी के कारोबार में आए उछाल से लगता है कि देश में बेटा मॉडल का विस्तार हुआ है। किसी भी स्कूल कालेज में 'बेटा मॉडल' सिलेबस में नहीं होता।' उन्होंने पीएम पर चुटकी लेते हुए कहा कि जिस कंपनी के मालिक का अंकल देश का पीएम हो, वो कंपनी तो जबरदस्त मुनाफा कमाएगी ही।

दाग मिटाने सब कूदे

खबर की सच्चाई को अगर दरकिनार भी कर दिया जाए, तो जिस तरह बीजेपी की सरकारें इस मामले में बचाव में उतरी हैं, उससे कुछ गलत का अंदेशा नजर आता है। देश में तीन साल के कार्यकाल में बीजेपी पर लगा ये पहला दाग है, जिसे मिटाने के लिए पूरी सरकार और पार्टी जी जान से जुटी है।

 

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