लखनऊ: बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती और अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की चाल ने लगता है बसपा प्रमुख मायावती को डरा दिया। बाबा साहब की जयंती बसपा हर साल धूमधाम से मनाती है, लेकिन बीजेपी की इस साल जयंती मनाने की तैयारी ने उन्हें कुछ ज्यादा ही चौकन्ना कर दिया।
हर साल की तरह इस साल भी बसपा का मुख्य आयोजन अंबेडकर पार्क ही था। हजारों की संख्या में लोगों को बसों में भरकर लाया गया था। लखनऊ की सडकों पर आज बस ही बस नजर आ रही थी। हर रोड पर बसों का अंबार लगा था।
मायावती बीजेपी और कांग्रेस पर आक्रामक तो थी, लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज डिफेंसिव थी। भाषण की शुरूआत में ही उनका दर्द छलक आया जब कहा कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में बीजेपी और कांग्रेस दोनों मेरे खिलाफ फ्रेश पिटीशन दाखिल करवाकर कानूनी पचड़ों में व्यस्त रखना चाहती हैं। ताकि वो राजनीतिक फायदा उठा सकें।
दरअसल आय से अधिक संपत्ति उनकी ऐसी दुखती रग है जिसका फायदा केंद्र में आई हर सरकार उन्हें घुटने टेकने पर मजबूर कर देती है । मनमोहन सिंह के पीएम के कार्यकाल में भी मायावती इसी मामले को लेकर उस सरकार को समर्थन देने पर मजबूर हो गई थीं। अब सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल को फिर उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है । आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा उन पर साल 2003 में भी चला था जो 9 साल बाद तकनीकी कारणों से खत्म हुआ, जब केन्द्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी।
हालांकि एसेसमेंट ईयर 2008 में मायावती ने 26 करोड का इनकम टैक्स जमा किया था और वो देश के 20 बडे टैक्स पेयर में शामिल थीं। करोडों के गहने, हीरे, जवाहरात और नगदी पर उनकी हमेशा दलील रही कि ये सब उन्हें उपहार में मिले। हजारों कार्यकर्ताओं की छोटी-छोटी बचत का नतीजा है इतनी बडी संपत्ति। कोर्ट में भी मायावती की ओर से यही बात कही गई है।
मायावती कहती हैं कि ये दलित मूवमेंट को रोकने की कोशिश है। जब कि सच तो यह है कि उन्हें आगामी चुनाव को लेकर अपने पैर जकडते हुए दिखाई दे रहे हैं।
कांग्रेस पर निशाना
मायावती ने कहा कांग्रेस ने बाबा साहब को भारत रत्न नहीं दिया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी हैदराबाद के सुसाइड करने वाले स्टूडेंट राहुल वेमुला की तुलना बाबा साहब से करते हैं जो ठीक उसी तरह है जैसे उनकी तुलना गांधी या नेहरू से की जाए। कांग्रेस के कार्यकाल में हैदराबाद यूनिवर्सिटी में 10 दलित स्टूडेंट्स ने सुसाइड की थी, लेकिन तब कांग्रेस के युवराज वहां नहीं गए और न अपना मुंह खोला। अब राहुल को दलितों पर अत्याचार होता दिखाई दे रहा है। उन्होंनें कहा कि बाबा साहब का महत्व कम करने के लिए कांग्रेस ने जगजीवन राम को आगे बढाया।
अपनी गलती का हुआ अहसास
सत्ता से हट जाने के बाद अब मायावती को अपनी गलती का अहसास हो रहा है। अपने कार्यकाल में उन्होंनें पार्कों में पत्थर और दलित नेताओं की मूर्तियों का अंबार लगा दिया था। घोटालों में बने पार्क और मूर्तियां चर्चा ओर विवादों में रहे। हालांकि बडी जांच की जहमत तो सपा सरकार ने भी नहीं उठाई, जिसने वादा ओर दावा दोनों किया था कि पार्क और मूर्ति बनाने में घोटालों की सही जांच होगी और कुसूरवार जेल में होंगे, लेकिन न तो सही जांच हुई और न कोई जेल गया। अब उन्होंनें पार्क बनाने से तौबा कर ली है। उनका कहना है कि बसपा सत्ता में आई तो न कोई पार्क बनेंगे और न मूर्ति। अब पूरा ध्यान उनका विकास पर होगा।
चुनावी बिगुल फूंका
मायावती ने कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाने को कह दिया। उन्होंनें कहा सिर्फ जीतना नहीं है, बल्कि विरोधियों की जमानत जब्त करानी है। दलित अब सुसाइड नहीं बल्कि राज करेंगे। उन्होंनें दलितों को बीजेपी और कांग्रेस की चाल से बचने की भी हिदायत दी।
बीजेपी, बाबा साहब के कब से हो गए
मायावती ने कहा कि बाबा साहब के प्रति बीजेपी का प्यार दिखावे के अलावा और कुछ नहीं है। बीजेपी पिछडा और दलित कार्ड सिर्फ चुनाव के लिए खेल रही है। उसके लिए यूपी चुनाव काफी अहम है। बीजेपी ने बाबा साहब के नाम पर जो स्मारक बनवाए हैं, वो अंबेडकर पार्क के सामने बच्चे हैं।
दलित बीजेपी के साथ कभी नहीं जाने वाले हैं। उन्होंनें कहा कि दलितों के खिलाफ केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने अभद्र टिप्पणी की थी, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीएम नरेंद्र मोदी बाबा साहब की जयंती मनाने मध्यप्रदेश के महू तो गए, लेकिन जगजीवन राम की जयंती मनाने सासाराम नहीं गए। इसलिए कि जगजीवन राम से उन्हें कोई चुनावी लाभ मिलता दिखाई नहीं दे रहा था।
बीजेपी ने दिया मायावती को करारा जवाब
मोदी ने अंबेडकर की जन्मस्थली महू में रैली कर मायावती को करारा जवाब दिया। उन्होंनें जय भीम से भाषण की शुरूआत की। राजनीति की रग-रग से वाकिफ मोदी ने बसपा के कलर की नीली जैकेट पहनी थी। मोदी अंबेडकर की तुलना अश्वेत नेता नेल्सन मंडेला से पहले ही कर चुके थे। मायावती भी यही कहती हैं कि उनकी तुलना सिर्फ मंडेला से ही की जा सकती है।
यूपी में बीजेपी के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं पार्टी के लिए बाबा साहब का स्मारक कंकड पत्थर की इमारत नहीं प्रेरणा स्थली है। ये तो सिर्फ मायावती हैं, जो भव्य स्मारक बना इतरा सकती हैं। यही सवाल उनसे भी किया जा सकता है कि बाबा साहब की जयंती मनाने वो महू क्यों नहीं गईं। अपने कार्यकाल में बसपा ने मुलायम सिंह के कार्यकाल में हुई लूट और भ्रष्टाचार पर जेल भेजने की बात कही थी, लेकिन नतीजा सब के सामने है।
दरअसल बीजेपी, कांग्रेस और बसपा अगले साल होने वाले यूपी चुनाव में दलितों के 20 प्रतिशत वोट पर नजर गडाए हैं। अब तक ये वोट बसपा के पास थे जिस पर बीजेपी की सेंध लगती दिखाई दे रही है। कांग्रेस भी इस वोट पर बारीकी से नजर रखे है। चुनाव में दलितों का एकमुश्त वोट किसे मिलेगा ये अभी भविष्य के गर्त में है। यदि ये वोट बंटे तो बसपा के लिए मुश्किल खडी हो सकती है और मायावती का यूपी का पांचवी बार सीएम बनने का सपना मिट्टी में मिल सकता है।