कानून के बावजूद 'सरोगेसी का स्वर्ग' है भारत, महिलाओं को दे रहा बड़ा रोजगार

Update:2017-05-10 14:31 IST
कानून के बावजूद 'सरोगेसी का स्वर्ग' है भारत, महिलाओं को दे रहा बड़ा रोजगार

Vinod Kapoor

लखनऊ: कथाकार मैत्रेयी पुष्पा व्यंग्य में कहती हैं कि 'कौन कहता है कि भारत में महिलाओं के लिए कोई खास रोजगार नहीं है। किराए की कोख उनके लिए बहुत बड़ा रोजगार है।'

विज्ञान ने 'सरोगेसी' यानि किराए की कोख का आविष्कार किया, तो उन महिलाओं की आंखों में खुशी के आंसू तैर गए जो किसी शारीरिक अक्षमता के कारण मां बनने में सक्षम नहीं थी। उन्हें लगने लगा कि अब तक उनकी कोख भले ही सूनी रही हो, लेकिन मां बनना अब संभव है। हालांकि, किसी और के बच्चे को गोद लेने के विकल्प थे लेकिन अपने पति के बच्चे की मां बनने का सुख और अनुभूति से वो महरूम थीं।

मां बनना एक अलग एहसास

विज्ञान के इस आविष्कार का जिस तरह से दुरुपयोग और व्यावसायिकरण हुआ, वो चौंकाने वाला था। भारत ही नहीं पूरी दुनिया में किराए की कोख के जैसे कारखाने खुल गए। किसी दूसरे के बच्चे को अपने गर्भ में पालना ऐसे ही काफी दुश्कर काम है। गर्भाधारण से मां बनने तक औरत जिस पीड़ा और आंनद से गुजरती है उसका एहसास कर पाना काफी मुश्किल है। गर्भ में बच्चे की हलचल को तो बनने वाली मां ही समझ सकती है। इसे वो मां नहीं समझ पातीं, जो किराए की कोख में पल रहे अपने बच्चे को बाद में पाती है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें पूरी खबर ...

'कमर्शियल सरोगेसी' होगी बैन

किराए की कोख के व्यावसायिकरण को रोकने के लिए पिछले साल केंद्र सरकार सेरोगेसी बिल लेकर आई। जिसके बाद भारत में 'कमर्शियल सरोगेसी' पूरी तरह से बैन हो जाएगी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कहती हैं 'आजकल सरोगेसी एक व्यापार बन गया है। प्रसव पीड़ा से बचने के लिए कई औरतें सरोगेसी का सहारा ले रही हैं। भारत में यह फैशन सा बन गया है।'

सरोगेसी के लिए ये जरूरी

अब बदले कानून में सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही सरोगेसी का अधिकार होगा। दंपति शादी के पांच साल बाद ही संतान सुख हासिल करने के लिए सरोगेसी का सहारा ले सकते हैं। सरोगेट मदर बनने के लिए महिला का शादीशुदा और एक स्वस्थ बच्चे की मां बनना जरूरी होगा। एक महिला अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही बार सरोगेट मदर बन सकती है। सरोगेसी क्लीनिक्स का रजिस्टर्ड होना जरूरी होगा। ऐसा न होने पर सजा और जुर्माना लगेगा।

ये नहीं ले सकते सरोगेसी का सहारा

सरोगेट चाइल्ड के लिए दंपति में से किसी एक का मेडिकल अनफिट होने का सर्टिफिकेट जरूरी होगा। कानूनी रूप से विवाहित दंपतियों को ही सरोगेसी का अधिकार होगा। वहीं, ऐसे दंपति जिनके अपने बच्चे हैं वो सरोगेसी का सहारा नहीं ले सकते। अगर किसी दंपति ने बच्चा गोद ले रखा है, तब भी उसे सरोगेसी का अधिकार नहीं होगा।

एक अनुमान के मुताबिक, देश में करीब 2,000 कमर्शियल क्लीनिक चल रहे हैं। कमर्शियल सरोगेसी के जरिए गरीब महिलाओं को पैसा देकर खरीदा जा रहा है और उनका शोषण हो रहा है।

सुषमा का सेलीब्रिटीज पर तंज

इस मुद्दे पर सुषमा स्वराज ने शाहरुख खान और आमिर खान जैसे अभिनेताओं का नाम लिए बिना कहा था कि 'पत्नी दर्द नहीं सह सकती, इसलिए सेलीब्रिटीज सेरोगेसी का सहारा ले रहे हैं। पत्नी है, दो बच्चे पहले थे, एक बेटा और एक बेटी। फिर भी सरोगेसी का सहारा लिया।' दरअसल, स्वराज की ये तंज समाज के उन लोगों के लिए थी जो शौकिया तौर पर सरोगेसी के जरिए माता-पिता का सुख प्राप्त कर रहे हैं।

यूएन के आंकड़े से समझें इस बाजार को

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक स्टडी के मुताबिक, जुलाई 2012 में भारत में सरोगेसी का व्यापार 400 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा का था। यह कमाई भारत के अंदर और बाहर करीब 3,000 से ज्यादा बने फर्टिलिटी क्लीनिक्स से होती है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है सरोगेसी का कारोबार कितने बड़े पैमाने पर चल रहा है।

भारत सस्ता बाजार

'आउटसोर्सिंग दि वॉम्ब: रेस, क्लास एंड गेस्टेशनल सरोगेसी इन ए ग्लोबल मार्केट' के लेखक फ्रांस विंडडेंस टि्वन के मुताबिक, 'सरोगेसी की ग्लोबल डिमांड है। 160 मिलियन यूरोपियन नागरिक संतान सुख पाने के लिए सरोगेसी का सहारा लेते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें सरोगेट मदर अपने देश में नहीं मिलती है। वहीं, भारत और थाईलैंड में सरोगेट मदर कुछ पैसे खर्च करके आसानी से मिल जाती हैं। विदेशों में अगर किराए की कोख के लिए 15 से 20 लाख रुपए खर्च करने होते हैं तो भारत में ये दो से तीन लाख में ही हो जाता है । इसीलिए विदेशी इसके लिए भारत का रुख करते हैं। विदेशियों को जब सेरोगेसी का इतना सस्ता बाजार मिला तो उन्होंने भारत का अपना अड्डा बनाया ।

कड़ाई पहले भी, लेकिन असर नहीं

साल 2012 में सरोगेसी से जुड़ा एक अध्यादेश पास किया गया था। इसके मुताबिक, सिंगल पेरेंट्स और सेम सेक्स वाले कपल्स को सरोगेसी का अधिकार नहीं होगा। इस पर बैन लगाया गया था, लेकिन इसके बावजूद भारत में और बाहर सरोगेट इंडस्ट्री पर कोई असर नहीं पड़ा। कई विदेशी सरोगेसी एजेंसी सरोगेट मदर के लिए भारत से संपर्क करती रहीं।

जानें, सरोगेसी के प्रकार

सरोगेसी दो प्रकार की होती है- एक 'ट्रेडिशनल सरोगेसी' और दूसरी 'जेस्टेशनल सरोगेसी'। ट्रेडिशनल सरोगेसी में पिता के शुक्राणुओं को एक अन्य महिला के अंडाणुओं के साथ निषेचित किया जाता है। इसमें जैनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है, जबकि जेस्‍टेशनल सरोगेसी में माता-पिता के अंडाणु और शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्‍चेदानी में प्रत्‍यारोपित कर दिया जाता है। इसमें बच्‍चे का जैनेटिक संबंध माता-पिता दोनों से होता है।

सख्त कानून के आभाव में 'स्वर्ग' बना भारत

भारत में सरोगेसी पर पाबंदी लगाने वाला कोई कानून नहीं है, जबकि ब्रिटेन और कुछ दूसरे देशों में सरोगेट मदर को मां का दर्जा मिलता है। फ्रांस, नीदरलैंड्स, नॉर्वे में कमर्शियल सरोगेसी की इजाजत नहीं है। अभिनेता आमिर खान और उनकी निर्देशक पत्नी किरण राव को सरोगेसी अर्थात किराए की कोख के जरिये संतान सुख प्राप्त हुआ है। हालांकि इस 'इडियट' अभिनेता की पूर्व पत्नी रीना दत्ता से एक बेटी और एक बेटा है। देश में दूध की राजधानी के नाम से मशहूर गुजरात का आणंद अब सरोगेसी का भी बड़ा केन्द्र बन चुका है। भारत में दूध के सबसे बड़े ब्रांड अमूल का ताल्लुक आणंद से ही है। यहां 150 से भी ज्यादा सेरोगेसी केंद्र हैं। एक जानकारी के मुताबिक सरोगेसी के मामले में दुनिया में सर्वाधिक भारत में ही होते हैं। यदि पूरी दुनिया में साल में 500 सरोगेसी के मामले होते हैं तो उनमें से 300 सिर्फ भारत में होते हैं।

सेरोगेट मदर मां क्यों नहीं?

भारत में अभी तक सेरोगेट मदर को मां का दर्जा नहीं दिया जाता रहा है। वो सिर्फ इसलिए कि उसने अपनी कोख का किराया ले लिया है। लेकिन विदेशों में सेरोगेट मदर को मां का दर्जा मिलता है। भले ही बच्चा उस मां बाप के पास रहे, जिनके लिए उसने अपनी कोख किराए पर दी थी।

Tags:    

Similar News