अब तुर्की की खूबसूरती से जुड़ गए हैं ये शब्द- Come Soon Security....

Update: 2016-04-24 10:43 GMT

Yogesh Mishra

तुर्की: आधुनिकता के कैनवास पर इस्लाम को देखना हो तो टर्की आइए। इस देश की सुंदरता में अगर सिर्फ भाषा का फर्क हो जाए तो यह स्विट्जरलैंड की वादियों को मात दे सकता है। इस्तांबुल आधुनिकता और परंपरा का एक ऐसा संगम है जो कम ही देखने को मिलता है। तुर्की के एनटाल्या प्रांत में मैं हूं। यहां हिंदी संगीत, हिंदी बोलने वाले, भारत से गए लोग और पर्यटकों के लिए यह अहसास करना मुश्किल है कि हम किसी मुस्लिम देश में हैं। यहां पत्तियां भी वैसी हैं, पेड़ भी वैसे हैं और घास भी वैसी ही है जैसे भारत में होती है।

दरअसल, एनटाल्या प्रांत तुर्की का सबसे ज्यादा आबादी वाला आठवां प्रांत है। एंटाल्या शहर इस प्रांत का ही नहीं, बल्कि पूरे तुर्की के सबसे बड़े पर्यटक केंद्रों में से एक है। शायद इस्तांबुल के बाद सबसे बड़ा या फिर उसे बराबर ही। साल 2011 में तो यह दुनिया का तीसरा ऐसा शहर था, जिसमें दुनिया भर से पर्यटक आए। ये जितना आधुनिक है उतना ही पुराना इसका इतिहास है। पेरगामोन के एटालिड वंश द्वारा वर्ष 200ईसा. पूर्व में बसे इस शहर ने इटालिड वंश, रोमन साम्राज्य, ईसाई प्रभुत्व और अब मुस्लिम राज्य सब कुछ देखा है। हर कालखंड के स्मारक इसे और खूबसूरत बनाते हैं।

यहां के पहनावे में रहन-सहन में आधुनिकता साफ झलकती है। यहां महिलाएं पुरुषों की तरह ही या कहीं-कहीं उनसे ज्यादा कदम से कदम मिलाकर चलती हैं। उनकी ही तरह सारा काम भी संभालती है। अगर यहां कोई मुंह न खोले तो किसी को भी यूरोप में होने का एहसास हो सकता है।

यहां आकर प्रभु के प्रति आभार जगता है और शिकायत भी, कि दुनिया कितनी हसीन है और इस हसीन दुनिया को पूरी तरह देखने के लिए किसी का भी एक जन्म कम है।

सार्वजनिक इमारतों पर मीनारें बनवा दी गई हैं। आधुनिकता भी है, लेकिन लोग अभी टर्किश और अरबी भाषा के सिवाय कुछ नहीं जानते। इंग्लिश में वॉटर,नेम और मार्केट भी लोगों को नहीं पता है। हमारे साथ हमारी मर्सिडीज का ड्राइवर जो तुर्की का ही बाशिंदा है वो हमें बाजार तक नहीं ले जा पाया, क्योंकि वो अंग्रेजी में मार्केट नहीं जानता तो, हिंदी का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।

यहां लोग भी वादियों की तरह ही खूबसूरत हैं। सबकुछ खुदा की नेमत की तरह ही लगता है। यहां के मुस्लिम शिया और सुन्नी नहीं जानते। इस आधुनिक और खुशहाल देश को इन दिनों आईएस की नज़र लग गई है। आईएस की दहशत लोगों के चेहरों पर साफ दिखती है। तभी तो मरदान पैलेस होटल से निकलते समय गार्ड हमें जल्दी वापस आने की हिदायत देते हुए कहता है- कम सून, सिक्योरिटी

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