कविताओं का जीवन में महत्व
विश्व कविता दिवस का जन्म संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने वर्ष 1999 में 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
राजीव गुप्ता जनस्नेही
Rajeev Gupta Janasnehi
लखनऊ: कवि, लेखक या साहित्यकार वह अपनी लेखनी से जब लिखता है तो भूत वर्तमान और भविष्य की कल्पना का वह रंग भर देता है कि आदमी को दुख ,सुख सपनों, सरकार की नीतियों, मनुष्य की सोच ,आनंद के साथ संस्कार और सभ्यता का एहसास करा जाता है| मानव की सभ्यता के साथ ही कविताओं का जन्म हुआ जो निरंतर जारी है और रहेगा कहते हैं। जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि। हां आज 21मार्च 2021 विश्व कविता दिवस रूप में विश्व में मनाया जाता है|
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विश्व कविता दिवस का जन्म
विश्व कविता दिवस का जन्म संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन(यूनेस्को) ने वर्ष 1999 में 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। यूनेस्को की 30 में सम्माननीय सम्मेलन के दौरान पेरिस में की गई थी ।यूनेस्को ने कवियों द्वारा की गई कृति ,कविता को सम्मान देने के लिए व समाज को नई दिशा देने हेतु उनके सम्मान व वैश्विक स्तर पर परसपर संबंध और कविताओं के उत्थान के लिए मनाया जाने लगा। विश्व कविता दिवस पर भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय और साहित्य अकादमी के द्वारा हर साल भारत में भी विश्व कविता दिवस बड़े उत्साह हर शहर के साथ तमाम उनके संगठन और अकादमी के माध्यम से प्रोग्राम किए जाते हैं।
कैसे विश्व कविता दिवस मनाया जाता है
विश्व में तमाम देशों में अपने अपने सांस्कृतिक साहित्यिक अकादमीयों के द्वारा अनेक प्रकार के सेमिनार गोष्ठी व अन्य देशों से साहित्यकारों को बुलाकर आयोजन किया जाता है ताकि यह चर्चा हो सके कि आने वाले भविष्य में हम कविताओं को किस तरीके से प्रस्तुत करें ताकि वह मानव के जन कल्याण में और आने वाली परेशानियों को के साथ उनमें आनंद और संस्कार दे सके |
कोरोना ने दी गति
वर्ष 2020 करोना के कारण पूरा विश्व इस महामारी से रूबरू रहा करुणा ने मानव की जिंदगी को एक तरीके से चक्का जाम कर दिया था लेकिन इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से साहित्य और कविताओं को वैश्विक स्तर पर जो गति मिली है वह प्रसंता की बात है। ईश्वर की अनुकंपा से करोना महामारी से काफी हद तक राहत मिली है परंतु अभी भी पूरी तरीके से मानव द्वारा प्रोग्राम उस गति में नहीं हो रहे हैं जो पिछले अनेक वर्षों में होते रहे| इस वर्ष भी ऑनलाइन तमाम आयोजनों का आयोजन किए जा रहे हैं|
आगरा नगर में भी अनेक संस्थाओं ने वैश्विक स्तर पर अनेक आयोजन करा कर विश्व में साहित्य के क्षेत्र में आगरे का नाम कर दिया है| अनेक अनेक आगरा की संस्थाएं आगरा के तमाम छुपी हुई साहित्य और लेखन क्षमता को उन्होंने बाहर निकाल कर विश्व कविता दिवस के उद्देश्य की पूर्ति की है |
कविता दिवस का महत्व
बचपन से ही हम लोगों को अंग्रेजी हो या हिंदी हो या उर्दू हो सभी भाषी के तमाम साहित्यकार जैसे भारत के सूर्यकांत त्रिपाठी हो या मैथिलीशरण गुप्त हो या कवयित्रियों सरोजिनी नायडू हो या महादेवी वर्मा द्वारा लिखी गई कविता जो हमें कंठस्थ कराई गई थी| संस्कार ,जीवन का अर्थ और आनंद के लिए वह आज भी इतनी सामयिक या प्रासंगिक है कि उनको पढ़कर न केवल आनंद आता है बल्कि अपने जीवन को नई दिशा देने का मन करता है| आज यह कविता ही है जो मनुष्य को दुख से निकालती हैं |आनंद का एहसास कराती हैं| आने वाले दुख के प्रति चेताती है| इस कारण मानव के जीवन में कविताओं का बहुत बड़ा योगदान है महत्व है |
दिवस का उद्देश्य
यूनेस्को द्वारा विश्व कविता दिवस मना कर समस्त कवियों का कविताओं का सम्मान प्रकट करती है |जिसका उद्देश्य कवियों और कविताओं के सर्जनात्मक व भाषाई विविधता का समर्थन करना और लुप्तप्राय भाषाओं को बढ़ावा देना था ।कविता माननीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और इसकी पौराणिक काल से ही स्थित है और इसका स्थिति बनाए रखने के लिए कविता दिवस बनाना जरूरी है |कविता की शक्ति को भी दुनियाभर के समक्ष प्रस्तुत करना ।इसके साथ ही दुनियाभर के कवि ,कवित्रीयों और कविताओं को सम्मानित करना तथा उन्हें समर्थन देना भी दिवस का मुख्य मकसद है ।
कैसे मनाया जाता हैं
दुनियाभर के कवि ,कवित्रीयों और कविताओं को सम्मानित करना तथा उन्हें समर्थन देकर ।दुनिया भर में कई देशों द्वारा काबिल और सफल कवियों को पुरस्कार भी वितरित किए जाते हैं और उन्हें सम्मानित किया जाता है ।कविता के उथान हेतु आयोजन में चर्चा की जाती है| कविता शब्दों और दूरदृष्टि और सकारात्मक सोच का परिणाम होती है| यह कला हर किसी के पास नहीं होती है और जिसके पास होती है वही कवि शायर या लेखक बन सकते हैं| ऐसे में चाहे हिंदी में हो उर्दू में हो इंग्लिश में हो या फिर किसी अन्य भाषा में हो कविता में चार चांद लगाने का काम व्याकरण और शब्दों का ज्ञान करते हैं साथ ही इसमें नए अलंकारों का काफी ज्यादा महत्व होता है| सेमिनार में नई-नई शब्दों का नए तरीके के सृजनात्मक का चर्चा करके नए शब्द कोष का भी गठन किया जाता है|
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आगरा का कविता जगत
इस विश्व कविता दिवस से 7 दिन पहले 14 मार्च को आगरा के राज गोपाल वर्मा को महावीर अकादमी पुरस्कार उत्तर प्रदेश सरकार से प्राप्त करके उन्होंने आगरा के साहित्यकारों का नाम रोशन किया है| उषा यादव जी ने पद्म श्री प्राप्त करके आगरा नगरी को साहित्य नगरी में एक सितारा और जड़ दिया।
(यह लेखक के निजी विचार हैं)
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