अष्टलक्ष्मी: प्रगति की सर्वोत्तम राह पर पूर्वोत्तर
Ashtlakshmi: सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सरकार ने भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई पहलें की हैं।
Ashtlakshmi: पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के आठ राज्य, जिन्हें अष्टलक्ष्मी के नाम से जाना जाता है, आज पहले से कहीं अधिक शांतिपूर्ण हैं। उग्रवाद, अलगाववाद समेत कानून-व्यवस्था की समस्याएं अब अतीत की बातें हैं। इसका सबसे ज्यादा श्रेय मौजूदा सरकार को जाता है, जिसने इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और क्षमता निर्माण की दिशा में काफी काम किया है। क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सरकार ने भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई पहलें की हैं। एनईआर में चल रही कुछ प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में राजधानी सड़क संपर्क, राजधानी रेल संपर्क, हवाई संपर्क, बिजली, दूरसंचार, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस आदि शामिल हैं। ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत मुख्य प्राथमिकता पूर्वोत्तर क्षेत्र और पड़ोसी देशों जैसे म्यांमार और बांग्लादेश के बीच संपर्क को बढ़ाना है। तीन महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय परियोजनाएं कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रासपोर्ट प्रोजेक्ट, भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और अगरतला-अखौरा रेल लिंक (बांग्लादेश की ओर) हैं। इनमें से अधिकांश बुनियादी ढांचा परियोजनाएं 2023-24 तक पूरी होनी हैं, जिससे पूर्वोत्तर में विकास को और गति मिलेगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए 10 फ़ीसद सकल बजटीय सहायता (जीबीएस) के तहत, पिछले कुछ वर्षों में आवंटित संसाधनों में काफी वृद्धि हुई है। 2014-15 में यह 27,359 करोड़ रुपये था, जो 2020-21 में बढ़कर 51,270 करोड़ रुपये पहुंच गया। 2020-21 के दौरान आरई के सापेक्ष वास्तविक व्यय प्रतिशत 94.72 फ़ीसद रहा। चालू वित्त वर्ष 2021-22 में, एनईआर के विकास के लिए 10 प्रतिशत जीबीएस के तहत आवंटन 68,020 करोड़ रुपये है।
99 परियोजनाएं पहले ही स्वीकृत हो चुकी है
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय अपनी प्रमुख योजना पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना (एनईएसआईडीएस) के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने और सामाजिक क्षेत्र में विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य के प्राथमिक और माध्यमिक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए जल आपूर्ति, बिजली और संपर्क से संबंधित भौतिक बुनियादी ढांचे के विशिष्ट क्षेत्रों में अंतर को पाटने के लिए व्यावहारिक कदम उठा रहा है। इस योजना के तहत, 31 मार्च, 2021 तक 2452.62 करोड़ रुपये की 99 परियोजनाएं पहले ही स्वीकृत हो चुकी हैं। शुरूआत से ही एनएलसीपीआर-राज्य योजना के तहत विभिन्न एनईआर राज्यों को 16233.78 करोड़ रुपये की 1635 परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं, जिनमें से 9433.29 करोड़ रुपये की लागत वाली सड़क और पुल, बिजली, जलापूर्ति और सीवेज, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि क्षेत्रों में 1195 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) अपनी योजना के तहत परिवहन और संचार, बिजली, मानव संसाधन विकास और रोजगार, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण आदि जैसे क्षेत्रों में परियोजनाओं को लागू कर रही है। वर्तमान में, एनईसी अपनी योजनाओं के तहत एनईआर में विभिन्न क्षेत्रों जैसे बांस, सुअर पालन, क्षेत्रीय पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा समेत तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल और पिछड़े इलाकों में विशेष पहल, आजीविका परियोजनाओं, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में परियोजनाएं संचालित कर रहा है। एनईसी की योजनाओं के तहत पिछले पांच वर्षों के दौरान 4227.88 करोड़ रुपये की 650 परियोजनाएं मंजूर की गईं और 4809.66 करोड़ रुपये के 752 प्रोजेक्ट पूरे किए गए। पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना (एनईआरएसडीएस) के तहत, एनईसी महत्वपूर्ण और रणनीतिक अंतर-राज्यीय सड़कों को अपग्रेड का काम कर रहा है। एनईआरएसडीएस के तहत 1566.75 करोड़ रुपये लागत की 24 परियोजनाएं शुरू की गईं, 87.86 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाएं पूरी हो गईं जबकि 1478.89 करोड़ रुपये की 21 परियोजनाएं अभी चल रही हैं।
77.45 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी है
हाल ही में सरकार ने पूर्वोत्तर के व्यापक कवरेज के साथ राष्ट्रीय खाद्य तेल/पाम ऑयल मिशन को मंजूरी दी है। सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरएएमएसी) के लिए 77.45 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी है। यह पैकेज एनईआर के किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने, बेहतर कृषि सुविधाएं देने, क्लस्टर में किसानों को प्रशिक्षण, जैविक बीज और उर्वरक, कटाई के बाद की सुविधाएं हासिल करने में मदद करेगा जिससे आयोजनों में भागीदारी, जीआई उत्पादों के पंजीकरण, एफपीओ को बढ़ावा देने आदि के माध्यम से वैश्विक बाजार में पूर्वोत्तर के किसानों के उत्पाद को बढ़ावा दिया जा सके।
कई चीजों के लिए संभावनाएं और अवसर मुहैया कराएगा
जहां तक एनईआर में पर्यटन की बात है, वहां अपार संभावनाएं हैं क्योंकि प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन संसाधनों के मामले में एनईआर अद्वितीय है। यह क्षेत्र इको-टूरिज्म, वन्य जीवन, माउंटेनियरिंग, ट्रेकिंग, साहसिक इवेंट, टी टूरिज्म, सांस्कृतिक पर्यटन, धार्मिक, क्षेत्रीय पर्यटन, गोल्फ और कई अन्य चीजों के लिए काफी संभावनाएं और अवसर मुहैया कराता है। इस क्षेत्र में असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, मानस राष्ट्रीय उद्यान और सिक्किम में खंगचेंदज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान स्थित हैं। इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई पहल कर रही है। हवाई, रेल, सड़क से संबंधित संपर्क के क्षेत्रों और मोबाइल कनेक्टिविटी में सुधार के लिए दूरसंचार और चल रही केंद्रीय मंत्रालय की प्रमुख बिजली परियोजनाएं, जो अलग-अलग चरण में हैं, के पूरा होने के बाद एनईआर में पर्यटन क्षेत्र को गति मिलेगी।
पूर्वोत्तर राज्यों के 103 जिलों के लिए सूचकांक तैयार किया गया
26 अगस्त, 2021 को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने नीति आयोग के साथ साझेदारी में और यूएनडीपी-भारत के तकनीकी सहयोग से 8 पूर्वोत्तर राज्यों के लिए पहला जिला स्तरीय एसडीजी सूचकांक और डैशबोर्ड तैयार किया। सूचकांक और डेशबोर्ड में राज्य-वार, जिले वार और एसडीजी वार तुलनात्मक विशेषताएं हैं। आंकड़ों की उपलब्धता के आधार पर पूर्वोत्तर राज्यों के 120 जिलों में से 103 जिलों के लिए सूचकांक तैयार किया गया। रैंक में सिक्किम का पूर्वी सिक्किम 75.87 के स्कोर के साथ शीर्ष पर रहा और सबसे कम स्कोर किफिर, नगालैंड (53.00) का था। यह सूचकांक एक अनोखा नीति उपकरण है, जिसमें जिले स्तर की प्रगति को मापने, महत्वपूर्ण कमियों को सामने लाने और संसाधन आवंटन में मदद करने की अपार क्षमता है। इसका उपयोग भविष्य के विकास की योजना बनाने के उपकरण के रूप में किया जा सकता है। आज यह स्पष्ट है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के तेजी से विकास का मार्ग प्रशस्त हो चुका है। सरकार एनईआर राज्यों के व्यापक परिवर्तन के लिए उन पर विशेष ध्यान देकर उन्हें भारत के अन्य विकसित राज्यों के बराबर लाने के लिए प्रतिबद्ध है।