शरीर के अंदर रक्त और शरीर के बाहर दोस्ती, यही है "स्वस्थ जीवन शैली"

दुनिया भर में अलग-अलग देशों में फ्रेंडशिप अलग-अलग दिन भी मनाई जाती है। 27 अप्रैल 2011 को संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा ने 23 जुलाई को आधिकारिक रूप से "इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे" घोषित किया था। हालांकि, भारत सहित कई दक्षिण एशियाई देशों में यह आज भी अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है।

Written By :  rajeev gupta janasnehi
Published By :  Durgesh Bahadur
Update:2021-07-31 17:39 IST

"विश्व दोस्ती दिवस" मनाते लोग। 

ईश्वर ने मनुष्य की संरचना में जीवन देने वाले खून का संचार किया है, तो दूसरी तरफ सोचने और समझने के लिए मस्तिष्क दिया है। लेकिन ईश्वर को इतना देने के बाद उसे महसूस हुआ कि मानव जाति सांसारिक जीवन में उसे बाहर से भी कोई जीवन दे, हंसाए, उसके सुख-दुख में साथ दे, उसके लिए उसने एक दोस्ती स्वरूप रिश्ता मुहिम कराया जो कि मां-बाप, भाई-बहन से ऊपर नहीं है तो कम भी नहीं है।

आज पौराणिक कथाओं में भी हमें अनेक ऐसे उदाहरण मिलते हैं, जब भगवान स्वरूप कृष्ण ने भी अपने सुदामा जैसे मित्र की मदद के साथ सहानुभूति दिखाकर उसे अपने गले से लगाया, तो दूसरी तरफ महाभारत में दानवीर कर्ण जिसे यह मालूम था कि मैं अगर कौरवों का साथ ले लूंगा तो हार निश्चित है, फिर भी उसने अपने दोस्त दुर्योधन का साथ दिया। इस बात से यही प्रमाणित होता है कि दुनिया में दोस्ती से खूबसूरत एहसास, रिश्ता, सुख-दुख में साथ देने वाले मां-बाप के बाद यही रिश्ता है।

जिस प्रकार बाल्यवस्था, जवानी, बुढ़ापा जीवन के चक्र होते हैं, उसी तरीके से दोस्ती भी इन तीनों काल में अपने-अपने तरीके से पैर पसारती है। लेकिन जो बाल काल से दोस्त बनते हैं, वह बिना स्वार्थ के दोस्त होते हैं। वह सीधे दिल से जुड़े हुए दोस्त होते हैं। उनमें जवानी और वृद्धावस्था की तरह विवेक या स्वार्थ नहीं जुड़ा हुआ होता है। दोस्ती का सच्चा अर्थ होता है जो बिना किसी स्वार्थ के अपना संबंध निभाता है, लेकिन समय के बदलते स्वरूप में अनेक ऐसे दोस्त पनप जाते हैं, जो आपके किसी भी प्रतिष्ठा, पद, धन आदि के साथ जोड़ते हैं। लेकिन आज के दिन हम नकारात्मक नहीं सकारात्मक रूप से उस दोस्ती के चिंतन का वर्णन कर रहे हैं, जो कि बिना स्वार्थ के जीवन के अंतिम पायदान तक अनेक लोगों ने निभाई है और अपने दोस्त के लिए बड़ी से बड़ी मुसीबत में अपने आप को आर्थिक क्षति, शारीरिक क्षति पहुंचाते हुए निभाया है।

आज अनेक लोक कथाओं और इतिहास में, धर्मग्रंथ में उदाहरण हैं। दुनिया भर के फिल्मकारों ने दोस्ती की महिमा का बखान किया है और दोस्ती को लेकर अनेक ऐसे गाने, कविताएं, ग़ज़ल हैं, जिसने दोस्ती के चरित्र का वर्णन किया है। यहां पर हम रहीम के इस दोहे से दोस्ती के अर्थ को भलीभांति जान सकते हैं।

॥ कही रहीम संपत्ति सगे बनत बहुत बहु रीत, विपत्ति कसौटी जे कसे सोई सांचे मीत।।

दोहा जो अपने आप यह बता रहा है कि दोस्ती क्या होती है और दोस्त का क्या महत्व है, कौन दोस्त है। दुनिया भर की तमाम चिकित्सकों और रिसर्च में यह बात भी पूर्ण तरीके से साबित हो गई है कि अगर दुनिया में मुक़ाम हासिल करना काबिल और स्वस्थ रहना है और हष्ट पुष्ट रहकर जीवन जीना है तो उसमें रिश्ते निभाने की क्षमता होनी चाहिए और यह क्षमता ईश्वर द्वारा सांसारिक रूप में दोस्ती के अंदर उसने समावेश किया है। अनेकानेक आपको ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 75 साल की रिसर्च में व चिकित्सा विज्ञान जगत में, जिसमें निःस्वार्थ भाव से जिसने सेवा किया, संबंध निभाए और साथ दिया, उन दोस्तों ने सती सावित्री वाला रोल अदा किया है और अपने दोस्त को ना केवल आर्थिक, व्यापारिक, पारिवारिक और तो और कोविड-19 जैसी महामारी में भी उसे भगवान से छीन के लेकर आए हैं। रिसर्च व चिकित्सक कहते हैं- हम आधे घंटे शारीरिक वर्जिश कर लें और आधे घंटे दोस्तों के साथ खुलकर अपना जीवन जी लें, तो उनके चेहरे पर ना तो झुर्री पड़ेंगे, ना ही उन्हें कोई भी बीमारी छू सकेगी। अगर छुएगी भी तो वह उस बीमारी को बहुत आसानी से हरा देंगे। अनेक ऐसे उदाहरण समाज में भी मिलते हैं।

आज लेख पढ़ते हुए आप सभी लोग अपने-अपने दोस्तों के प्रति ना केवल चिंतन करें, बल्कि एक-दूसरे को कृतज्ञता भी पेश करें और अपने बच्चों में या आने वाली जनरेशन में इस विचारधारा को सुसंस्कृत करें कि निःस्वार्थ भाव से अगर आप दोस्ती करते हैं, तो ईश्वर भी आपका साथ देता है। आप जीवन के पथ पर अग्रसर रहते हैं और एक मुकाम हासिल करते हैं। मेरे क्या जितने भी पाठक पढ़ रहे हैं, उनके पास भी ऐसे तमाम दोस्ती के उदाहरण होंगे,  जो 50-50 साल तक अनेक चीजों में अंतर होने के बावजूद भी निरंतर चालू है। अगर आप उसकी पृष्ठभूमि देखेंगे तो आपको एहसास होगा कि हां दोस्ती ही नैसर्गिक स्वास्थ्य देने वाले रक्त की तरह से उन्नत खुशहाल बाहर से रखने वाला रक्त हैं।

आप देखें दोस्ती के लिए लोग क्या से क्या कर देते हैं। यह दोस्ती दिवस विश्व में बनाने के पीछे भी एक ऐसी घटनाक्रम है, जोकि दोस्ती के महत्व का वर्णन करती है। वर्ष 1935 में अमेरिकी सरकार द्वारा एक दोस्त को फांसी दी जा रही थी, उस दोस्त ने अपने दोस्त से जुदा होने का गम सहन नहीं कर पाया तो उसके फांसी के साथ ही उसने अपनी भी जीवन लीला आत्महत्या करके समाप्त कर ली। जब यह बात अमेरिकी सरकार की जानकारी में आई तो उसे ना केवल दुख हुआ, बल्कि उसने इस रिश्ते को उत्सव के रूप में बनाने हेतु प्रत्येक वर्ष अगस्त के पहले सप्ताह में "विश्व दोस्ती दिवस" के रूप में चिन्हित किया। यह दिवस बिना छुट्टी वाला दिवस है।

एक ओर किदवंती है दोस्तों के साथ फ्रेंडशिप डे मनाने का आईडिया दिया। पराग्वे में हुई इस घटना के बाद विश्व में फ्रेंडशिप डे मनाने की परंपरा का जन्म हुआ। पैराग्वे में इस दिन को काफी धूमधाम से मनाया जाता है।

दुनिया भर में अलग-अलग देशों में फ्रेंडशिप अलग-अलग दिन भी मनाई जाती है। 27 अप्रैल 2011 को संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा ने 23 जुलाई को आधिकारिक रूप से "इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे" घोषित किया था। हालांकि, भारत सहित कई दक्षिण एशियाई देशों में यह आज भी अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है।

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