प्रदेश में सामाजिक समरसता को भंग करने की साजिशें ?
सामाजिक तत्वों ने पहले हाथरस की घटना पर जातीय दंगे कराने की साजिशें रची थीं लेकिन वह नाकाम रहीं। इसके बाद गाजियाबाद में धोखे से गरीब लोगों का धर्मपरिवर्तन कराकर माहौल खराब करने का असफल प्रयास किया गया
मृत्युंजय दीक्षित
नई दिल्ली: जब से अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य शांतिपूर्वक शुरू हो गया है तब से देश के अंदर विराजमान कुछ तथाकथित अवांछनीय शक्तियों को यह शांति पसंद नहीं आ रही है और लगातार इन तत्वों के द्वारा प्रदेश के वातावरण को अशांत करने के लिए लगातार गंभीर साजिशें की जा रही हैं। इन असामाजिक तत्वों ने पहले हाथरस की घटना पर जातीय दंगे कराने की साजिशें रची थीं लेकिन वह नाकाम रहीं। इसके बाद गाजियाबाद में धोखे से गरीब लोगों का धर्मपरिवर्तन कराकर माहौल खराब करने का असफल प्रयास किया गया गाजियाबाद प्रकरण की अभी जांच चल रही है लेकिन इस प्रकरण में प्रदेश की सियासत में पैर जमाने का प्रयास कर रही आम आदमी पार्टी का लिंक भी आ चुका है ।'
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जब यह असामाजिक तत्व हर जगह मात खा चुके तब जाकर इन लोगों ने पूरे प्रदेश को दंगों की आग में झोंकने के लिए एक बहुत ही गंभीर प्रयास कर डाला । मथुरा के ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण नंदबाबा मंदिर में फैजल खान और मोहम्मद चांद नाम के दो लोगों ने मंदिर में नमाज पढ़ते हुए अपना वीडियो सोषल मीडिया में वायरल कर दिया और उसके बाद जब मामला तूल पकडने लगा तब एक सोची समझी सुनियोजित साजिश के अंतर्गत फैजल खान का इंटरव्यू टीवी चैनलों में दिखाया जाने लगा कि हमने यह काम किसी साजिष व धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिये नहीं किया है अपितु प्रदेश में सामाजिक सदभाव व सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिये यह काम किया है ।
सेकुलर मीडिया चैनलों ने अपनी आदतों के अनुरूप फैजल खान को हीरो बनाकर पेश करना शुरू कर दिया था
कुछ सेकुलर मीडिया चैनलों ने अपनी आदतों के अनुरूप फैजल खान को हीरो बनाकर पेश करना शुरू कर दिया था। लेकिन सोशल मीडिया में हंगामा मचने व साधु संतों की नाराजगी के कारण फैजल खान को हिरासत में ले लिया गया है। फैजल खान ने जिस प्रकार से पूरी घटना को अंजाम दिया उसमें साजिशों के तार व राजनैतिक मंशा पूरी तरह से साफ नजर आ रही है। अभी पूरे घटनाक्रम के हर पहलुओं की गहराई से जांच चल रही है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि नंदबाबा मंदिर नमाज पढ़ने की घटना और आरोपी का इंटरव्यू टीवी चैनलों पर इतनी जल्द कैसे आ गया और फिर इन चैनलों ने इन तत्वों को टीवी पर नायक की तरह पेश करना शुरू कर दिया।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि सेकुलर प्रवक्ताओं ने इन लोगों की तीखी निंदा करने की बजाय इसे गंगा- जमुनी- तहजीब का उदाहरण बताना शुरू कर दिया और अभी तक किसी भी फतवा संगठन ने फैजल खान के कृत्यों पर विरोध जताते हुए फतवा भी नहीं जारी किया है। कांग्रेस सहित सपा, बसपा जैसे मुस्लिम परस्त राजनैतिक दलों ने भी निंदा बयान नहीं जारी किया है। समाजवादी नेता अखिलेश यादव अपने आपको कृष्णभक्त कहते हैं लेकिन नंदबाबा मंदिर की घटना पर एक भी बयान नहीं जारी किया है।
अभी तक जो जांच हुई है उससे पता चला है कि फैजल खान षाहीन बाग में सीएए विरोधी धरने में शामिल था व खुदाई खिदमतगार नामक संस्था बनाकर मुस्लिमों को भड़काया था । अभी फिलहाल व कोरोना पाजिटिव भी निकल आया हैं। इन लोगों का कांग्रेस से भी संबंध निकल रहा है।
असमाजिक तत्वों को खूब अच्छी तरह से ट्रेनिंग दी गई होगी
इन असमाजिक तत्वों को खूब अच्छी तरह से ट्रेनिंग दी गई होगी लेकिन जब इन तत्वों की साजिष बेनकाब हो गयी तब एक बार फिर एक के बाद एक ऐसी ओछी हरकतें हो गयी कि अब तो दंगा हो ही जायेगा लेकिन इसे प्रशासन की सतर्कता कहें या फिर प्रदेष की जनता की समझदारी कि अभी तक प्रदेश को दंगों की आग में झोंकने की तमाम साजिशें बेनकाब होती जा रही हैं।
मजार पर एक युवक ने हनुमान चालीसा का पाठ कर वीडियो वायरल कर दिया
नंदबाबा मंदिर में नमाज प़ढ़ने की घटना के बाद मथुरा के थाना गोवर्धन क्षेत्र में ईदगाह में चार युवको ने हनुमान चालीसा का पाठ कर डाला और उसमें भी चार असमाजिक तत्वों को हिरासत में ले लिया गया। आगरा में भी खुराफातियों ने आगरा कालेज के सामने एमजीरोड स्थित मजार और बिजलीघर पर स्थित मजार पर भगवा रंग कर दिया इससे पूर्व शमसाबाद क्षेत्र में स्थित मजार पर एक युवक ने हनुमान चालीसा का पाठ कर वीडियो वायरल कर दिया।
यह सभी घटनाएं जिस अंदाज व तरीकों से घट रही है उसमें साजिश की एक बहुत बड़ी गंध का पता चल रहा है। कुछ असमाजिक राजनैतिक तत्वों को प्रदेष में सामाजिक समरसता और शांति का वातावरण पसंद नहीं आ रहा है। ऐसी घटनाओें के पीछे अवष्य ही अदृष्य नकारा शक्तियों का हाथ नजर आ रहा है जिनकी गहराई्र से जांच और कड़ी कर्यवाही की आवश्यकता है।
आखिर फैजल खान ने नंदबाबा मंदिर को ही क्यों चुना
आखिर फैजल खान ने नंदबाबा मंदिर को ही क्यों चुना वह भी उस समय जब बिहार सहित कई राज्यों में उपचुनावों के लिए प्रक्रिया चल रही थी। अभी आगामी 18 नवंबर से श्रीकृष्णजन्मभूमि मामले की सुनवाई भी शुरू होने जा रही है। नंदबाबा मंदिर प्रकरण पर हिंदू संगठनों ने कहा कि यह हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिये ऐसा किया गया है। इस पूरे घटनाक्रम को अगर ध्यान से देखा जाये तो हिंदू जनमानस ने अपनी भावनाओं को बहुत ही संयमित रखा और धैर्य का परिचय दिया है ।
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वह भी उस समय जब फ्रांस की एक घटना पर पूरे विश्व में मुस्लिम समाज अपनी कटटरता का बहुत ही आक्रामक परिचय दे रहा है । आमतौर पर आजकल हिंदू जनमानस पर असहनशीलता और असहिष्णुता के गंभीर आरोप लगाये जा रहे हैं। घटना होने के बाद भी किसी हिंदू ने शहर को नहीं जलाया नारेबाजी नहीं की फिर भी कुछ लोग आरोप लगाते हैं कि भारत की बहुसंख्यक आबादी असहनशील हो गई है। प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का कहना है कि कुछ लोग लगातार जातीय और धर्म के नाम पर माहौल खराब करने की कोषिष कर रहे हैं। ऐसे लोगों को कतई बख्शा नहीं जायेगा।
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