अंतत: हर-हर गंगे, भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने की ‘भीष्म प्रतिज्ञा’

Update:2018-02-09 13:53 IST
uttarakhand chief minister trivendra singh rawat says on cancer day

आलोक अवस्थी

राजाओं को घोषणा करते समय हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए, वरना बड़ी फजीहत होती है। खासकर जो राजा ठाकुर हो, हां भाई.. रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाय पर वचन न जाई। अब देखो न उत्तराखण्ड के मुखिया ने ताल ठोक डाली। कहां तो बोलते नहीं थे, बोले तो भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने की ‘भीष्म प्रतिज्ञा’ कर बैठे। पता नहीं किस सलाहकार ने ये बहादुरी करने को प्रेरित कर दिया। सोचकर कहना चाहिए न। एक तो पूरी बीजेपी मोदी जी की नकल करने पर अमादा है। मोदी जी के कपड़े-लत्ते तक तो ठीक है। चलो डिजाइनर जॉकेट पहन लो.. मोदी बनने की क्या जरूरत है।

कह तो गये त्रिवेंदर बाबू कि पूरे उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचार के दल-दल से बाहर निकाल कर रहेंगे। ये भूल गये कि उनके अपने दल में कांग्रेस दल के जो सूरमा अपना ‘पाणिग्रहण’ करवा चुके हैं उनके ‘एकाउण्टों’ का क्या ?

घोषणा ही करनी थी तो साफ-साफ करनी थी कि भाई जी जिनका मूल प्रमाण पत्र भाजपाई है वो ही घर के सदस्य हैं। बाहर से आए.. मेहमान इस घोषणा के दायरे में नहीं आतेेेेेे हैं। अर्थात जब जीरो टालरेन्स की बात होगी तो जीरो के बाईं ओर यानी इन महापुरुषों को जीरो के आगे लिखा जाएगा और अपने घर के दो सदस्यों को जीरो के दाहिने ओर, उक्त घोषणा इसी के रूप में देखी जाएगी।

अब त्रिवेन्द्र जी इतना कान्फीडेन्स ठीक नहीं है। अरे बीजेपी कोई पतित पावनी गंगा थोड़े ही है जहां स्नान कर सारे पाप धुल जाएं। अब कहां तक सफाई देंगे कि यशपाल जी पहले कांग्रेस में थे अब भाजपा में हैं या हरक भइया के काण्ड उनके गंगा स्नान के पहले के हैं।

नित नए पुराने मुर्दे जाग रहे हैं.. कब तक त्रिवेंद्र भइया राजा विक्रमादित्य की तरह बेताल को ढोते फिरेंगे। बेताल के पास किस्सों को कमी नहीं है। मुंह तो खोलना ही पड़ेगा और जरूरत पड़ी तो कार्यवाही भी करनी पड़ेगी। अपने सीनियर रावत जी और हरदा से सलाह ले लेते रावत होने का कुछ तो फायदा उठाते। उनके ही भेजे सारे बेताल हैं उन्होंने तो उतार दिया और आप पर लदवा दिया। एक से निपटोगे दूसरा इतिहास, भूगोल लेकर अखाड़े में कूद पड़ेगा। एक फायदा जरूर है मुखिया को इन सबके चक्कर में डालकर अपने घर के कारीगर मौज से अपना कार्य निपटा लेंगे। नए भाजपाईयों की कृपा से उनके कारनामे छुपे रहेेंगे। जब भी महफिल सजेगी पुराने शायर ही वाहवाही लूृटेंगे और अपनों की छोटी-मोटी लूट तालियों के शोर में गुम हो जाएगी।

सही है भाई! ईश्वर जो करता है उनमें भलाई ही ढूंढऩी चाहिए। आफत जिस पर टूटती हो टूटे अपने मदन गोपालों की रक्षा होती रहनी चाहिए और क्या..।

अब त्रिवेंद्र दा ने संकल्प ले लिया है तो ले लिया....

हरदा को जो उखाडऩा हो उखाड़ लें, हर तीर के निशाने पर उनके ही पुराने दशाननों की नाभियां हैं .. हर तीर पर ‘जय श्रीराम’ का नारा ही तो लगाना है। पूरी पार्टी को पुरानी प्रैक्टिस है। लगाएंगे जोर-जोर से। हरदा भी सही मौके पर निकले हैं आत्मविश्लेषण करने, जैसे-जैसे उनके घाव हरे होंगे। मामला गरमाएगा उनकी हर उठी उंगली अपने पुराने ‘रकीबों’ को ताने मारेगी और त्रिवेंद्र की कसम को चुनौती देगी। एसआईटी है ही कुछ खोदने के लिए और ‘कर्मकाण्डों’ की भी कमी नहीं है। राज्य छोटा चाहे भले हो लेकिन रहस्य- रोमांच से भरा हुआ है। हमें क्या है अंतत: लिखने को तो मिलेगा ही। सब अपने-अपने हिस्से का मजा लेंगे। कुछ कबरें खुदवाने का, कुछ खबरें लिखवाने का। बाकी मौज मनाने का! हर-हर गंगे... मौज में नंगे।

(संपादक उत्तराखंड संस्करण)

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