Ramadan Mubarak: रहमतों का महीना है, रमजान मुबारक

Ramadan Mubarak: रमज़ान मुबारक,इन्सानियत को बढ़ावा, दया,संयम,प्रेम सौहार्द,अल्लाह की इबादत करने ,अपनी भूल की माफ़ी और दोबारा भूल ना करने का रहमतों का महीना हैं;

Update:2025-02-27 22:24 IST

Ramdan Mubarak News (Image From Social Media)

Ramadan Mubarak: रमज़ान मुबारक,इन्सानियत को बढ़ावा, दया,संयम,प्रेम सौहार्द,अल्लाह की इबादत करने ,अपनी भूल की माफ़ी और दोबारा भूल ना करने का रहमतों का महीना हैं

रमज़ान के रोज़े फर्ज़ हैं और तरावीह को नफ्ल (सुन्नत मुक़दह) करार दिया गया है। यह सब्र का महीना है और सब्र का इनाम जन्नत है। यह करुणा और परोपकार का महीना है, इसमें मोमिन की जीविका बढ़ा दी जाती है, इसमें रोजेदार को मगफिरत, गुनाहों की माफी और नर्क से आजादी मिलती है, साथ ही रोजेदार के बराबर ही सवाब मिलता है, भले ही वह खजूर या एक घूंट पानी से अपना रोजा तोड़ता हो।

रोजा बुराई से खुद को रोकने का मुख्य जरिया है व्रत का ध्यान रखना चाहिए. रोज़े की उत्पत्ति अल्लाह ताला की ओर अधिक से अधिक आकर्षित होने से मानी जाती है, तरावीह चारों वक़्त और नफ़लो की नमाज़े ,कुरान पाक को समझ कर पढ़ना, कि अल्लाह पाक हम सबको, नेक इन्सान होने की क्या शिक्षा दे रहा है, विशेष कर किसी से अपशब्द ना कहना, किसी से भी बेमानी,धोखा ,जुल्म ना करना अनाथों, बेबसों, ज़रूरत मर्दों का हक़ ना मारना वो सारे कार्य जो इन्सानियत को चोट पहुचाए वो ना करें वर्ना रोज़ा नमाज़ अल्लाह कुबूल नही करे गा।

कुरान की तिलावत, अल्लाह ताला की याद, सदक़ा, रोज़े के साथ दान, पिछले दस दिनों के एतिकाफ़ का प्रयास, क़यामत की रात की तलाश और दुआओं की प्रचुरता को एक दिनचर्या बना लिया जाना चाहिए और जितना संभव हो सके इसका पालन किया जाना चाहिए।

इस महीने में गरीबों, अनाथों, विधवाओं और जरूरतमंदों के प्रति त्याग और दया करनी चाहिए और उनके प्रति उदार होना चाहिए, ऐसा इसलिए है क्योंकि एक तो उनका अधिकार है और दूसरा इसलिए कि दान देने से अल्लाह के बंदे का दिल खुश होता है ,

और अल्लाह इसे स्वीकार करता है, और हमारा, तो अल्लाह इसे स्वीकार करें और हमारा लक्ष्य पूरा हो जाएगा।' या हो सकता है कि हमारी इबादत, हमारी तिलावत, हमारी दुआओं में कोई कमी रह गई हो या वो कुबूल न हो पा रही हो तो अल्लाह तआला की राह में खर्च करने से हो सकता है कि अल्लाह तआला उसे कुबूल कर लें, इसलिए इस महीने में हमें दान-पुण्य पर पूरा ध्यान देना चाहिए। हालाँकि, इसकी महानता, आशीर्वाद और विशेषताओं के लिए आवश्यक है कि ,रमज़ान का पूरी तरह से सम्मान किया जाए

रमज़ान अल्लाह का शाही मेहमान है, जो हमारे पास बोझ बनकर नहीं बल्कि रहमत की लहर बनकर आता है, इसलिए इसके विपरीत कुछ भी न करें।

अल्लाह पाक से दुआ है,हमारे देश में और संपूर्ण विश्व में शान्ती अमन,ख़ुशहाली समाजी न्या फूले फले.जयहिंद।

शाइस्ता अंबर, समाज सेविका ,अध्यक्ष, आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड। 

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