K.Vikram Rao: क्या गुल खिले दलित-मुस्लिम जोड़ से यूपी में !

K.Vikram Rao: गत माह निजामशाही द्वारा सदियों से शोषित हो रहे नवाबी शिकंजे से हिन्दू-बहुल हैदराबाद रियासत के मुक्त हुये 74 वर्ष हुये।

Written By :  K Vikram Rao
Update:2022-10-12 20:19 IST

K.Vikram Rao: क्या गुल खिले दलित-मुस्लिम जोड़ से यूपी में !

K.Vikram Rao: मियां असदुद्दीन ओवैसी (Mian Asaduddin Owaisi) और बहन कुमारी मायावती (Mayawati) के विघटनकारी तथा संकीर्ण सियासी मकसद से यदि भली भांति अवगत होना हो तो हर प्रबुद्ध नागरिक, विशेषकर शोधार्थी, को पूर्व पुलिस मुखिया बृजलाल (Former Police Chief Brijlal) की नवप्रकाशित (2021-22) कृतियों को पढ़ना चाहिये। इस दलित सांसद ने जोरदार शैली अपनाकर माकूल शब्दों में इन दस्तावेजी तथ्यों को उघाड़ा है। किताबों के शीर्षक हैं: ''इंडियन मुजाहिदीन'' और ''सियासत का सबक'', प्रकाशक: शिवांक प्रकाशन, अंसारी रोड दिल्ली, लेखक का फोन: 9839016876। दलित तथा मुस्लिम वोटरों के गुटों को गठित कर भारतीय गणराज्य और समाज के विखण्डन के प्रयास का बोध होता है।

नवाबी शिकंजे से हिन्दू-बहुल हैदराबाद रियासत के मुक्त हुए 74 वर्ष

गत माह (17 सितम्बर 2022) निजामशाही द्वारा सदियों से शोषित हो रहे नवाबी शिकंजे से हिन्दू-बहुल हैदराबाद रियासत के मुक्त हुये 74 वर्ष हुये। इस स्वातंत्रोत्सव को ओवैसी ने ''एकीकरण कदम'' बताया था, आजादी नहीं। कल्पना कीजिये कि यदि हैदराबाद रियासत का मसला बजाये गृहमंत्री सरदार पटेल के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जिम्मे होता तो ? दक्षिण में दूसरा कश्मीर निर्मित हो जाता। कराची की भांति हैदराबाद इस्लामी पाकिस्तान की दूसरी राजधानी बन जाती। गंगा-गोदावरी के मार्ग में काजीपेट जंक्शन रोड़ा बन जाता क्योंकि वह एक मात्र कड़ी है इस ओर से उस पार के भारत की। लेखक बृजलाल ने इस पहलू को इतिहास के परिप्रेक्ष्य में उजागर किया है।

ओवैसी के पूर्वज सैय्यद मीर काजिम रिजवी एमआईएम के रहे थे अध्यक्ष

ओवैसी के पूर्वज सैय्यद मीर काजिम रिजवी मजलिसे इतिहादे मुसलमीन (एमआईएम) के अध्यक्ष रहे थे। लेखक बृजलाल ने पृष्ठ 106-7: ''सियासत का सबक'' में लिखा है: ''अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी से पढ़े घोर कट्टरपंथी सैयद कासिम रिजवी को एमआईएम का तीसरा अध्यक्ष बनाया गया। उसने रियासत में मुसलमानों की एक हथियारबंद फौज ''मुस्लिम मिलीशिया'' तैयार की। इस व्यक्तिगत फौज में शामिल मुसलमानों को ''रजाकार'' यानि मुसलमानों के लिए अपनी इच्छा से काम करने वाला कहा जाता था। इस इस्लामिक मिलीशिया में लाखों की संख्या में मुसलमान भर्ती थे, जिसमें अधिकांश, एमआईएम के सदस्य थे।

हथियारों का प्रशिक्षण देने के लिए शुरू किए थे 52 प्रशिक्षण केन्द्र

कासिम रिजवी ने इन रजाकारों को हथियारों का प्रशिक्षण देने के लिए 52 प्रशिक्षण केन्द्र शुरू किये थे। उसने अपने भाषण में कहा था कि: ''हैदराबाद एक इस्लामिक राज्य है, इस अधिराज्य (भारत) में 4 करोड़ 50 लाख मुसलमान हैं। ये मुसलमान इस्लाम का झंडा बुलंद करने के लिये हमारी ओर देख रहे है।

इस्लाम की सर्वोच्चता को स्थापित करने के लिये हम मुसलमानों को एक हाथ में कुरान और दूसरे तलवार लेकर दुश्मनों को काटते हुए आगे बढ़ना है।'' आगे हिन्दुओं का उपहास करते हुए कासिम रिजवी कहता है: ''हिन्दू जो कि काफिर है, बंदरों और पत्थरों की पूजा करते हैं और धर्म के नाम पर गोमूत्र पीते है और गोबर खाते है, हर तरह से असभ्य हैं। वे हम पर राज करना चाहते हैं, परन्तु वे राज करने लायक नहीं हैं।''

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