यूपी विधानसभा चुनाव में क्या है एक्सप्रेस-वे की राजनीति?

आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का एक अहम पहलू प्रदेश के एक्सप्रेस वे बनने जा रहे हैं...

Written By :  Vikrant Nirmala Singh
Published By :  Ragini Sinha
Update: 2021-07-16 11:48 GMT

यूपी विधानसभा चुनाव में क्या है एक्सप्रेस-वे की राजनीति? (Social media)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक दिलचस्प पहलू यहां राज्य सरकारों के जरिए बनाए जाने वाले एक्सप्रेस-वे का है। आगरा से दिल्ली के बीच एक्सप्रेस-वे बनाने वाली मायावती अपना अगला चुनाव हार गयी। लखनऊ से आगरा तक एक्सप्रेस-वे बनवाने वाले अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव हार गए। अब नजर इन दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों से बड़ा एक्सप्रेस-वे बनाने वाले वर्तमान मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ पर टिकी हुई है। खैर पूर्व की घटनाएं संयोग भर मात्र थी और राजनीति में कोई भी चीज स्थाई नहीं होती है। 

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक्सप्रेस-वे खूब चर्चा में रहने वाला है

यह तो तय है कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का एक अहम पहलू प्रदेश के एक्सप्रेस वे बनने जा रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी होने का तमगा अखिलेश की समाजवादी पार्टी के पास है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के मीडिया साक्षात्कार में एक चर्चा सामान्य तौर पर हमेशा मौजूद रही है कि "हमने एक्सप्रेस-वे बनवाएं"। समाजवादी पार्टी का छोटा से बड़ा हर नेता एक्सप्रेस-वे की चर्चा अपनी उपलब्धि के रूप में करना नहीं भूलता है। यही कारण है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक्सप्रेस-वे खूब चर्चा में रहने वाला है। 2007 से 2012 के बीच मुख्यमंत्री रही बहन मायावती जी के कार्यकाल में दिल्ली से आगरा के बीच 165 किलोमीटर के आगरा एक्सप्रेस-वे बना था। फिर अखिलेश यादव की सरकार में आगरा से लखनऊ तक 302 किलोमीटर का एक्सप्रेस-वे तैयार किया गया था। वर्तमान की योगी सरकार भी दो बड़े एक्सप्रेस-वे को इस वर्ष के अंत तक पूरा कर लेगी। 


एक्सप्रेस-वे की इस राजनीति के बीच जान एफ केनेडी का एक कथन याद आता है। वह कहा करते थे कि अमेरिका की सड़कें इसलिए अच्छी नहीं है कि यह एक समृद्ध देश है बल्कि अमेरिका इसलिए समृद्ध है क्योंकि इसके पास अच्छी सड़कें है। किसी भी देश या राज्य के विकास में सड़कों की बड़ी भूमिका होती है। सिर्फ यात्रियों के चलने की एक जगह नहीं होती है बल्कि अर्थव्यवस्था को चलाने की एक बहुत महत्वपूर्ण कड़ी होती है। केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों का जाल तो पूरे देश में बिछाने का कार्य हमेशा से कर ही रही है लेकिन राज्य सरकारों ने भी क्षेत्र में अपने कदम तेजी से बढ़ाएं हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इसके संदर्भ में 15 वर्षों में प्रयास किए हैं। अखिलेश यादव और बहन मायावती के कार्यकाल को देखें तो कुल 467 किलोमीटर के एक्सप्रेस-वे बनाए गए थे। वहीं योगी आदित्यनाथ की सरकार में कुल 641 किलोमीटर के एक्सप्रेस-वे बनाए गए हैं। प्रसिद्ध लेखक शांतनु गुप्ता लिखते हैं कि योगी आदित्यनाथ को एक्सप्रेस-वे मैन कहा जाना चाहिए। इसके पीछे कुछ कारण भी बताते हैं। योगी सरकार के दौरान बन रहे एक्सप्रेस-वे की ढेर सारी जानकारी साझा कर उन्होंने यह दावा किया है। 

1. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे 

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 341 किलोमीटर की है। यह एक विश्वस्तरीय एक्सप्रेस-वे है जो उत्तर प्रदेश के 9 जिलों को आपस में जोड़ता है। लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर। यह एक्सप्रेस-वे बिहार से थोड़ा पहले समाप्त होता है। इस एक्सप्रेस-वे के चालू होने की निर्धारित तिथि अगस्त 2021 रखी गई है। यह पूर्ण रूप से दिसंबर 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा। यह एक्सप्रेस-वे बिहार के सीमावर्ती गाजीपुर से लखनऊ होते हुए दिल्ली को जोड़ने में सक्षम रहेगा।

2. बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे 

इस एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 300 किलोमीटर है। यह एक्सप्रेस-वे चित्रकूट से इटावा के बीच तैयार किया जा रहा है जो 7 जिलों से होकर गुजर रहा है। चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा। यह एक्सप्रेस भी दिसंबर 2021 तक चालू हो जाएगा। 

3. गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे 

यही छोटा एक्सप्रेस-वे है जिसकी कुल लंबाई 92 किलोमीटर की है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पूर्वांचल के कुछ जिलों को सम्मिलित नहीं कर पा रही था जिसकी वजह से एक लिंक एक्सप्रेस-वे भी बनाया जा रहा है। यह लिंक एक्सप्रेस-वे चार जिलों को जोड़ता है। गोरखपुर, अंबेडकर नगर, संतकबीर नगर, आजमगढ़। यह परियोजना भी अप्रैल 2022 में पूरी कर ली जाएगी। 

4. गंगा एक्सप्रेस-वे 

यह किसी राज्य सरकार द्वारा बनाई जा रही भारत की दूसरी सबसे बड़ी एक्सप्रेस-वे परियोजना है। इसकी कुल लंबाई 600 किलोमीटर की होगी। मेरठ से प्रयागराज के बीच यह एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के 12 जिलों से होकर गुजरेगी। जिसमें मेरठ, हापुर, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज शामिल होंगे। इस एक्सप्रेस-वे के लिए 75 फ़ीसदी भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा किया जा चुका है।

सड़कों के मामले में योगी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती क्या है? 

बड़ी एक्सप्रेस-वे बनवा रही योगी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती जिलों की वे सडकें हैं जो गांव कस्बों को जिला मुख्यालय से जोड़ती है। एक्सप्रेस-वे वाली उपलब्धियों के बीच सबसे बड़ी चुनौती राज्य के सामान्य सड़कों की है। जब योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला था उन्होंने 100 दिन के अंदर प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का आदेश दिया था लेकिन सरकार की अवधि खत्म होने को है और प्रदेश की हजारों सड़कें गड्ढों से भरी पड़ी हुई है। यह वह सडकें हैं जहां से प्रदेश की निर्णायक आबादी गुजरती है। अभी भी प्रदेश में जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली छोटे कस्बों की सड़कें बड़ी चिंता का सबब बनी हुई है। हाईवे की चकाचौंध से दूर प्रदेश की 90 फ़ीसदी से अधिक आबादी इन्हीं सड़कों से होकर गुजरती। योगी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह स्थानीय परेशानीयां एक्सप्रेस-वे के जरिए कैसे संभाल लेगी?

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