Flood in Bihar 2021: बाढ़ में डूबा बिहार
Flood in Bihar 2021: वैसे बिहार में बाढ़ न तो पहली बार आयी है न आखिरी बार। अब नेपाल की सीमा से सटा है तो जो नेपाल से छूटता है सीधा यहीं गिरता है।
Flood in Bihar 2021: गुस्सा बहुत है। भर-भर के उमड़ घुमड़ के निकल रहा है। नहर, नदियाँ गुस्से से चढ़ी बैठी हैं। नाली नाला तक एटीट्यूड दिखा रहे हैं। बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) ने आतंक मचा रखा है । कम से कम दस जिले तो ऐसे डूबे हैं कि ढूंढें नहीं मिल रहे। ये समझ लीजिए कि लोगों के कदम जमीन पे नहीं पड़ रहे, क्योंकि सब छतों पे रहने को मजबूर हैं ।
ज्यादातर जगहों पर तो लोग घर बार छोड़ के सड़कों, स्कूलों, बांधों जैसी जगहों पर रह रहे हैं। वैसे प्रशासन एकदम मुस्तैद है, तभी तो नावें चलवा रहा है। हमारे चाचा जी बहुत दयालु हैं । जरूरत पड़ी तो पानी का असली वाला जहाज भी चलवा देंगे। हालांकि नावें चलवा दी हैं, लेकिन हमारें सम्मानित जनप्रतिनिधि अभी तक प्रभावित क्षेत्रों तक पहुँच नहीं सके हैं। क्या है कि अब नाव-वाव से वहां तक जाएंगे, तो क्या अच्छा लगेगा । बताइये भला नाव क्या कहेगी। और उनके हवाई जहाज कहीं गुस्सा हो गए तो ।
अभी हमाये चचा जी बाढ़ग्रस्त जिलों (Flood Prone Districts)का हवाई दौरा किये । बस वहीं ऊपर बैठे बैठे पूरा अनुमान लगा लिए । आँखे बनवा के अभी अभी लौटे हैं सो दिख भी बढ़िया से रहा है । जलस्तर तक वहीं से नाप लिए । लेकिन बाढ़ की जुर्रत तो देखिये । चचा जी के दौरे के बाद भी फैलती ही जा रही है । एक तो मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ मिला नहीं ऊपर से बाढ़ चढ़ी जा रही है । मतलब कोई सुनवाई नहीं है इनकी ।
लोगों की समस्याएं चढ़ती बाढ़ से ज्यादा तेजी से बढ़ती जा रही है । समस्तीपुर में तो गज़ब ही हो गया। एक दूल्हा अपनी दुल्हन को लेने नाव से ही पहुँच गया । सही भी है । आखिर कब तक इंतजार करेगा कोई । सामान्य आदमी हो तब तो ठीक भी है लेकिन दूल्हे राजा को रोकना पाप है । आखिर कब तक संभाल के रखेंगे । लेकिन दुल्हन के सपने तो बाढ़ के साथ ही बह गए । सोची होगी कि बढ़िया बलेनो में बैठ के ससुराल जायेगी लेकिन किस्मत में तो नाव के हिचकोले लिखे थे । लेकिन भैया यकीन मानिये आज के मॉडर्न जमाने में इसे ही एडवेंचर कहा गया है । अगर इवेंट मैनेजमेंट कम्पनियों के हत्थे गलती से भी ये आईडिया चढ़ गया तो वो दिन दूर नहीं जब अच्छे अच्छे पूरे चाव से नाव पे बारात लाते और ले जाते दिखेंगे ।
वहीँ खगड़िया में लोग अपने हाथों से अपना ही घर तोड़ रहे हैं । जो फसल यहाँ के किसान लगाये थे वो बाढ़ की भेंट चढ़ ही गई और फ़िलहाल नई लगने से रही । यहां लोगों के खाने तक के लाले हैं ।
वैसे बिहार में बाढ़ न तो पहली बार आयी है न आखिरी बार । अब नेपाल की सीमा से सटा है तो जो नेपाल से छूटता है सीधा यहीं गिरता है । नदियाँ उफान पर हैं । सड़कों से लेकर रेलमार्ग तक ठप हुए पड़े हैं । अभी तो पिच्चर बाकी है ।
अभी दौरों का दौर चलेगा । फिर हजारों करोड़ का पैकेज मिलेगा । फिर बिहार में नए वादे, नये इरादे होंगे । चारों और विकास की बयार चलेगी । ये और बात है कि अगली बाढ़ इन वादों, इरादों और बयारों को एक झटके में उड़ा ले जाएगी ।
खैर हम तो चिकोटी काटे हैं आप तो बस चिकोटी का आनन्द लीजिये...
Note- यह एक व्यंग्य आधारित लेख है । इस लेख का मकसद किसी भी रूप में किसी व्यक्ति, जाति, धर्म, सम्प्रदाय, स्थान या पद की छवि खराब करना नहीं है । न ही इसका कोई राजनीतिक मन्तव्य है ।