G-20 Summit 2023: स्वच्छ भविष्य की ओर भारत के बढ़ते तेज कदम
G-20 Summit 2023: भारत की अध्यक्षता आशाओं, सपनों और आकांक्षाओं को रेखांकित करती है, विशेष रूप से ऐसे समय में, जब दुनिया कोविड के बाद धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस आ रही है।
G-20 Summit 2023: भारत ने 1 दिसंबर, 2022 को जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की, जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक प्रमुख अंतर-सरकारी मंच है। भारत की अध्यक्षता आशाओं, सपनों और आकांक्षाओं को रेखांकित करती है, विशेष रूप से ऐसे समय में, जब दुनिया कोविड के बाद धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस आ रही है। लेकिन वैश्विक मंदी का खतरा भी मंडरा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां कभी इतनी गंभीर नहीं रही हैं। दुनिया इन सर्वाधिक महत्वपूर्ण मुद्दों में से कुछ के समाधान के लिए तत्काल उपाय चाहती है।
जी-20 की अध्यक्षता थीम 'एक पृथ्वी, एक परिवार,
भारत की अध्यक्षता का उद्देश्य सभी के स्थायी भविष्य के लिए वैश्विक सहयोग के नए क्षेत्रों में प्रवेश करना है तथा पूर्व अध्यक्षों के कार्यकाल के दौरान हुए प्रयासों और परिणामों के आधार पर आगे बढ़ना है। भारत की अध्यक्षता की थीम- 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' या 'वसुधैव कुटुम्बकम' के अनुरूप, हम अपनी 'एक पृथ्वी' को पर्यावरण-अनुकूल बनाने, 'एक परिवार' के भीतर सद्भाव पैदा करने और 'एक भविष्य' के प्रति आशान्वित होने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
वैश्विक औसत से काफी कम है प्रति व्यक्ति उत्सर्जन
भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इस तथ्य के बावजूद कि यह दुनिया की लगभग 17 प्रतिशत आबादी का समर्थन करता है, हमने विकास के प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के क्षेत्र में काफी अच्छा काम किया है। भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 2.4 टी-कार्बन डाइऑक्साइड-ई (टन कार्बन डाइऑक्साइड के समतुल्य) 2020 में 6.3 टी-कार्बन डाइऑक्साइड-ई के वैश्विक औसत से काफी कम है (संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा जारी 'एमिशन गैप रिपोर्ट 2022: द क्लोजिंग विंडो के अनुसार)। जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई), 2022 में, हमें 5 शीर्ष प्रदर्शन करने वाले देशों में स्थान दिया गया है।
भारत निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था को अपनाने के क्षेत्र में भी विश्व का नेतृत्व कर रहा है। हमने गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता वृद्धि के सन्दर्भ में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रतिबद्धताओं (एनडीसी) को 2030 के लक्षित वर्ष से बहुत पहले ही हासिल कर लिया है। इसके बाद से अपने लक्ष्यों को अद्यतन भी किया है। अद्यतन किए गए एनडीसी के अनुसार, भारत अब 2005 के स्तर से अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 2030 तक 45 प्रतिशत तक कम करने के साथ 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से संचयी विद्युत ऊर्जा स्थापित क्षमता का लगभग 50 प्रतिशत हासिल करने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
युवा आबादी, बढ़ते शहरीकरण, डिजिटलीकरण, प्रौद्योगिकी का बड़े पैमाने पर अनुकूलन, स्टार्ट-अप की बढ़ती संख्या के साथ भारत का प्राथमिक उद्देश्य, स्थायी तरीके से सस्ती बिजली तक सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करने का रहा है। देश ने हाल के दिनों में स्थितियों को बदलने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। कुछ साल पहले तक बिजली की कमी का सामना करने वाली स्थिति से अब हम एक बिजली अधिशेष राष्ट्र हैं। हमने एक एकीकृत राष्ट्रीय ग्रिड स्थापित किया है, वितरण नेटवर्क को मजबूत किया है, हम नवीकरणीय ऊर्जा में एक महत्वपूर्ण ताकत के रूप में उभरे हैं। हमने सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण हासिल किया है।
भारत का ऊर्जा मिश्रण काफी विविध है। बिजली उत्पादन, विभिन्न स्रोतों के माध्यम से होता है, जिसमें कोयला, लिग्नाइट, प्राकृतिक गैस, तेल, जल और परमाणु से लेकर सौर, पवन और बायोमास जैसे अक्षय स्रोत शामिल हैं। सरकार नई तकनीक और नवाचार के माध्यम से स्वच्छ बिजली का उत्पादन करने के लिए देश की क्षमता को बढ़ाने की दिशा में पूरा ध्यान दे रही है।
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जो 2026 तक नई क्षमता वृद्धि के साथ दोगुनी हो जायेगी। भारत के ऊर्जा मिश्रण में सौर और पवन ऊर्जा का हिस्सा अभूतपूर्व रूप से बढ़ा है। देश आधुनिक जैव-ऊर्जा के लिए दुनिया के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में कार्बनीकरण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और देश का लक्ष्य हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में वैश्विक केंद्र के रूप में उभरना है।
भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षमता वाले देश के रूप में उभरा है। इसने देश को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए सबसे आकर्षक निवेश का केंद्र भी बना दिया है। ये प्रयास भारत को अपनी जरूरतों को पूरा करने में मदद कर रहे हैं और दुनिया भर में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के वैश्विक प्रयासों में भी योगदान दे रहे हैं। अब चुनौती, ऊर्जा को किफायती बनाने की है, वस्तुओं की बढ़ती कीमतें और कठिन बाजार स्थितियां ऊर्जा सुरक्षा के जोखिमों को बढ़ा रही हैं।
हालांकि नीतिगत उपायों और शमन पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, ठोस/मापने योग्य परिवर्तन लाने के लिए व्यक्तियों और समुदायों पर ध्यान देना भी जरूरी है। भारत ने स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला योजना या इसे त्याग दें (गिव इट अप) अभियान जैसी पहलों में बड़े पैमाने पर सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से विकास और सामाजिक व व्यवहारिक परिवर्तनों के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण सफलताओं का प्रदर्शन किया है।
भारत ग्लासगो, 2021 के कॉप 26 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई वैश्विक पहल – लाइफ या पर्यावरण के लिए जीवनशैली- को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार है। पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए लाइफ लोगों व समुदायों का आह्वान करता है कि 'नासमझ और विनाशकारी खपत' के बजाय 'सचेत और सोच-समझकर उपयोग' के लिए वे इसे अंतर्राष्ट्रीय जन आन्दोलन का स्वरूप प्रदान करें। लाइफ प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत और सामूहिक कर्तव्य का उत्तरदायित्व देता है कि वे ऐसी जीवनशैली को अपनाएं, जो पृथ्वी के अनुकूल हो और इसे नुकसान न पहुंचाए।
1.4 बिलियन से अधिक लोगों के साथ एक बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत की जलवायु अनुकूलन और शमन महत्वाकांक्षाएं न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी पृथ्वी के लिए परिवर्तनकारी हैं। नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए, बदलाव के दौर में भारत की प्रभावशाली प्रगति दर्शाती है कि कोई भी देश अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने संसाधनों के उपयोग के बारे में उचित विकल्प चुनकर सफल हो सकता है।
सभी के लिए एक स्थायी भविष्य का निर्माण करने के क्रम में, भारत की जी-20 अध्यक्षता सदस्य देशों के बीच ट्रस्टीशिप की भावना के साथ साझा, सहयोग और निर्माण का मार्ग अपनायेगी।
(लेखक केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री हैं।)