ट्रम्प, रूस और चीन का यह त्रिकोणीय संबंध क्या नया गुल खिला सकता है

Trump Victory: भारत की नीति रूस व अमेरिका के साथ, समान रूप से संबंधो को बनाए रखने की रही है परन्तु ट्रम्प, रूस और चीन का यह त्रिकोणीय संबंध विश्व में नया गुल खिला सकता है।;

Written By :  Yogesh Mohan
Update:2025-01-25 17:08 IST

Trump News (Photo Social Media)

अमेरिकी नागरिक व्यापारिक प्रवृत्ति के होते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में अमेरिकी नागरिक व व्यापारी होने के दोनों ही गुण विद्यमान हैं। उनमें एक व्यापारी सदृश कर्मठता का गुण विद्यमान है, जो अपने स्वार्थ के लिए किसी भी सीमा को पार कर सकता है। ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण समारोह के पश्चात, सर्वप्रथम जो आदेश दिए हैं, उनसे स्पष्ट हो गया है कि वे एक व्यापारी की भांति ही अपना शासन चलाएंगे और एलन मस्क की सहायता से संपूर्ण विश्व में अपने प्रतिद्वंदियों को धूल धूसरित करने में कोई कोताही नहीं होने देंगे।

भारत, ट्रम्प को अपना मित्र समझता था, परंतु ट्रंप ने हमारे प्रधानमंत्री को निमंत्रण न देकर उस विश्वास को तोड़ दिया है। शपथ ग्रहण समारोह में ट्रंप ने विश्व के समक्ष यह प्रकट किया कि वह चीन से मित्रता हेतु कितना अधिक व्याकुल है। यदि ट्रंप व चीन की मित्रता हो जाती है, तो यह भारत के लिए अत्यधिक प्रतिकूल स्थिति हो जाएगी। परिणामस्वरूप भारत को नितान्त अलगाव की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि चीन और रूस के मध्य संबंधो में अत्यधिक प्रगाढ़ता है। इसके विपरीत भारत की नीति रूस व अमेरिका के साथ, समान रूप से संबंधो को बनाए रखने की रही है परन्तु ट्रम्प, रूस और चीन का यह त्रिकोणीय संबंध विश्व में नया गुल खिला सकता है।

ट्रम्प ने सत्तारूढ़ होते ही भारत के नागरिकों के विरुद्ध दो आदेश निर्गत किये। प्रथम आदेश, अमेरिका की नागरिकता प्राप्त करने के नियमों में परिवर्तन, जिसके अन्तर्गत अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चों को अब वहाँ की नागरिकता प्राप्त नही हो पायेगी। दूसरा आदेश, प्रवासी नीति में परिवर्तन के कारण बहुत बड़ी संख्या में भारतीयों को अमेरिका को छोड़ना पड़ सकता है।

अमेरिका व चीन की मित्रता के परिणामस्वरूप भारत चहुँ ओर से शत्रुओं से घिर जाएगा, क्योंकि वर्तमान समय में भारत के संबंध पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका व म्यांमार से भी घनिष्ठ मित्रता वाले नहीं चल रहे हैं।

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने, अमेरिकी को आयातित सामान पर शुल्क वृद्धि करने की घोषणा की है। यदि भारतीय वस्तुओं पर भी शुल्क वृद्धि हुई तो, निश्चितः भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात की दर में भी कमी आ जाएगी, जोकि भारतीय व्यापारियों के लिए एक निराशाजनक स्थिति होगी, क्योंकि अमेरिका, भारतीय व्यापारियों के लिए एक वृहद व्यापारिक स्थल है।

ट्रंप व्यापारिक मानसिकता के व्यक्ति हैं और भारत विश्व का सर्वाधिक शस्त्र क्रेता है। अब राष्ट्रपति ट्रंप, भारत को अपने अप्रचलित शस्त्रों को मुंह मांगे दामों पर खरीदने हेतु बाध्य कर सकते हैं और भारत को निःसहाय होकर उस कबाड़ स्वरूप शस्त्रों को क्रय करने हेतु विवश होना पड़ सकता है।

भारत का औद्योगिक बाजार सूचकांक, शेयर मार्केट में ट्रंप की मंशा का पूर्वानुमान लगाकर, बिकवाली का दौर आरम्भ हो चुका है, जिससे शेयर मार्केट सूचकांक नीचे की ओर अग्रसर हो गया है। परिणामस्वरूप निवेशकों के लाखों-करोड़ रूपये डूब रहे हैं। यदि देश के शेयर बाजार की ऐसी स्थिति कुछ और समय तक यथावत रही तो भारत को ट्रंप की असहयोगात्मक नीति के कारण अत्यधिक हानि सहन करनी होगी।

अब समय आ गया है कि भारत को अपनी विदेश नीति पर गंभीरता से चिंतन करने की आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान नीति से हम भारतीयों के शनै-शनै समस्त मित्र बिछड़ते जा रहे हैं और विश्व में भारत की स्थिति एकाकी होती जा रही है। आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी को देशहित में, वर्तमान विपरीत स्थिति को परिवर्तित करने के लिए तथा विदेश मंत्रालय की कार्य प्रणाली में सुधार हेतु, कुछ कठोर निर्णय लेने होंगे।

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