G20: भारत में एल20, श्रमिक वर्ग के लिए कार्यरत

G 20: कोविड-19 ने हमें वैश्विक जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में चुनौतियों और कमियों के प्रति सचेत किया है। महामारी के सदमे ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों को समान रूप से प्रभावित किया।

Report :  Hiranmay Pandya
Update:2022-12-06 19:08 IST

प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

G 20 : कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) ने हमें वैश्विक जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में चुनौतियों और कमियों के प्रति सचेत किया है। महामारी के सदमे ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों को समान रूप से प्रभावित किया। वैज्ञानिक समुदाय, स्वास्थ्यकर्मियों, नीति निर्माताओं, जागरूक नागरिकों के अथक और सहयोग से जुड़े प्रयासों के कारण, हम अब काफी हद तक इससे उबर चुके हैं।

हालांकि, दुनिया भर में कुछ घटनाक्रमों, जैसे मुद्रास्फीति की उच्च दर (High Rate of Inflation) और रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine conflict) के कारण स्थितियों के सामान्य होने में बाधाएं उत्पन्न हुई हैं। श्रमिकों और कंपनियों के कुछ समूहों पर अनुपात से अधिक कुप्रभाव के कारण श्रम बाजार की असमानताओं में भी वृद्धि हुई है। जिसने विकसित तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच अंतर को और बढ़ाया।

साथ ही, सरकारों और नागरिक समाज के समन्वित प्रयासों ने संसाधनों के समान वितरण के लिए एक 'सेतु' का काम किया है। उदाहरण के लिए, सामाजिक सुरक्षा (Social Security) पर विशेष ध्यान से, खासकर लॉकडाउन अवधि के दौरान, लोगों को इस कठिन समय का मुकाबला करने में मदद मिली। यह उन श्रमिकों के लिए भी सहायक था, जिनकी या तो नौकरी चली गई थी या उन्हें वेतन में कटौती का सामना करना पड़ रहा था। सरकार और नागरिक समाज के बीच यह सामंजस्य, न केवल संकट को कम करने में सहायक सिद्ध हुआ, बल्कि इसने नीतिगत योजना भी तैयार की, जो दीर्घकालिक राहत प्रदान करने में सफल रहीं।

हालांकि, अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। भारत की जी20 अध्यक्षता, स्थिति का जायजा लेने, इन चुनौतियों की गंभीरता का आकलन करने और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारी प्रतिबद्धताओं के नवीनीकरण का अवसर प्रदान करती है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, एक मजबूत सुधार के बावजूद, वैश्विक स्तर पर काम के घंटों की संख्या, पूर्व-कोविड स्तरों से 1.5 प्रतिशत नीचे बनी हुई है। यह लगभग 40 मिलियन पूर्णकालिक नौकरियों की हानि के बराबर है। इसके अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय श्रम बाजार में भी भिन्नताएं बढ़ रहीं हैं।

उदाहरण के लिए, सेवा प्रदाता और सेल्स जैसे 'निम्न और मध्यम कुशल' नौकरियों की तुलना में "उच्च कुशल, उच्च भुगतान वाले" व्यवसायों में मजबूत वापसी हुई है। इन घटनाक्रमों से असमानता प्रत्यक्ष रूप से बढ़ी है तथा गरीब एवं वंचित समुदाय; और गरीब हो रहे हैं तथा हाशिए पर जाने के लिए बाध्य हैं। महामारी के कारण देखभाल (कार्य) अर्थव्यवस्था पर भी बहुत प्रभाव पड़ा, जिसका बोझ महिलाओं को अधिक अनुपात में सहन करना पड़ा। इन मुद्दों की पहचान करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हमें संरचनात्मक और प्रणालीगत समाधानों पर रणनीतिक रूप से विचार-विमर्श करने की सुविधा देगा तथा जो त्वरित और समावेशी वापसी (रिकवरी) के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेंगे। इस संदर्भ में, कार्रवाई-उन्मुख लक्ष्यों के आधार पर काम करना समय की मांग है - एक ऐसा अवसर, जो जी20 सभी हितधारकों को प्रदान करता है।

जी-20 की बैठक (G-20 meeting) आम सहमति बनाने और उन मुद्दों पर मिलकर काम करने के लिए बेहद उपयुक्त समय पर हो रही है, जो न केवल सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने, बल्कि सभी क्षेत्रों को सहनीय बनाने के लिए भी आवश्यक हैं। यह वैश्विक श्रम बाजार के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां बदलती कार्यप्रणाली और आर्थिक अस्थिरता, श्रमिक वर्ग को कमजोर बनाती है। इन उद्देश्यों को देखते हुए, श्रम-20 (एल-20) सभी ट्रेड यूनियनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम मुद्दों और सामाजिक श्रम आंदोलनों पर विचार-विमर्श करने का एक मंच बन जाएगा तथा यह मंच बाद में उन समाधानों को सामने रखेगा, जिन पर राष्ट्रीय संदर्भों में कार्रवाई की जा सकती है।

एल-20 के विशेष ध्यान का एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है - दुनिया भर में श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और संरक्षा का कवरेज बढ़ाना। सामाजिक सुरक्षा एक गतिशील अवधारणा है, जिसके स्वरूप और जिसकी परिभाषा में समय के साथ बदलाव हुए हैं। तेजी से हुए तकनीकी बदलावों ने सामाजिक सुरक्षा और संरक्षा के नए आयामों का पता लगाना आवश्यक बना दिया है। 'गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्क' की शुरुआत के साथ, कंपनियों की जीवन-अवधि छोटी होती जा रही है और एक नए प्रकार का नियोक्ता-कर्मचारी संबंध विकसित हो रहा है, जिसके बारे जानकारी व समझ अभी भी प्रारंभिक चरण में है। रोजगार से जुड़े सामाजिक सुरक्षा के नियम, जो पहली औद्योगिक क्रांति के बाद उभरे थे और जो दूसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान परिपक्व हुए, उन्हें उद्योग 4.0 के युग में फिर से लिखे जाने की आवश्यकता है।

जी20 के विभिन्न कार्य और विचार-विमर्श समूहों ने उपरोक्त मुद्दों पर चर्चा की है। हाल ही में बाली, इंडोनेशिया के जी20 'राजनेताओं की घोषणा' में तथा अन्य दस्तावेजों में भी इनका उल्लेख किया गया है। इन महत्वपूर्ण चिंताओं पर ध्यान देने और कार्रवाई योग्य लक्ष्यों को रेखांकित करने के लिए जी20 के तहत नीति वक्तव्य और फ्रेमवर्क विकसित किए गए हैं। कोविड-19 महामारी से रिकवरी को बढ़ावा देने के लिए एल-20 के प्रतिनिधि समग्र रणनीतियों की अवधारणा को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से बैठक में भाग लेंगे। श्रमिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवधानों से भी संरक्षित करने की आवश्यकता है।

इस संदर्भ में, आगे की कार्ययोजना, अब तक की उपलब्धियों की पड़ताल करने और उन मुद्दों की पहचान करने से जुड़ी है, जहां अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, शिक्षा और कौशल स्तर, महिला श्रम बल भागीदारी, सामाजिक सुरक्षा कवरेज, जनसांख्यिकीय चरण आदि के सन्दर्भ में देशों के बीच भारी अंतर मौजूद है। हम विभिन्न अनुभवों के साथ यहां आते हैं और यही हमारी ताकत है। वैश्विक कौशल अंतर, रोजगार के नए रूप, गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था का उदय, प्रभावी सामाजिक सुरक्षा का विस्तार, सामाजिक सुरक्षा का स्थायी वित्तपोषण और अंतर्राष्ट्रीय श्रम बल गतिशीलता के मुद्दों पर हम सभी को कुछ योगदान देना है।

इन मुद्दों के बीच, जी20 प्रक्रियाओं और एल-20 जैसे विचार-विमर्श समूहों की भागीदारी को आपस में जोड़ने वाले घटक, श्रम कल्याण की प्रगति से जुड़ी प्रतिबद्धता को सशक्त बना रहे हैं। इन्हें 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के विज़न में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों से मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। 

(लेखक भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और श्रम-20 के अध्यक्ष हैं।)

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