अतुल्य भारत की अमूल्य धरोहरों से साक्षात्कार कराने की यात्रा पर गंगा विलास क्रूज

Ganga Vilas Cruise: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल संरक्षण में यह क्रूज़ देश और दुनिया के तमाम पर्यटकों को भारत की अतुल्य धरोहरों को देखने और समझने का मौका देगा।

Written By :  Swatantra Dev Singh
Update:2023-01-12 20:15 IST

अतुल्य भारत की अमूल्य धरोहरों से साक्षात्कार कराने की यात्रा पर गंगा विलास क्रूज: Photo- Social Media

Ganga Vilas Cruise: अत्यंत हर्ष का विषय है कि दुनिया का सबसे लंबा रिवर क्रूज 'एमवी गंगा विलास' अपनी ऐतिहासिक यात्रा पर रवाना हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल संरक्षण में यह क्रूज़ देश और दुनिया के तमाम पर्यटकों को भारत की अतुल्य धरोहरों को देखने और समझने का मौका देगा।  मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में यह अद्भुत पहल 'पूर्व की ओर देखो' की नीति को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है । और इस दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूती देने वाला है।

रिवर क्रूज की रवानगी भारत के पर्यटन इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। देश की सांस्कृतिक राजधानी व प्रधानमंत्री जी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी इसका साक्षी बना। इस क्षण को पर्यटन क्षेत्र में नए युग की शुरुआत के तौर पर देखा जाना चाहिए। यह बेहद रोमांचित करने वाला है कि यह लग्जरी क्रूज अपने 51 दिन के सफर में भारत और बांग्लादेश के 5 राज्यों में 27 नदी प्रणालियों में 3,200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगा। इस देश में समृद्ध नदी प्रणाली की अपार संपदा है। लेकिन अबतक इसे खोजने के प्रयास नहीं हुए। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन देश को वैश्विक पटल पर उसकी वही गौरवशाली पहचान फिर से दिलाने का है, जिससे भारत का स्वर्णिम अतीत जुड़ा रहा है। उसकी परंपराओं में रचा बसा रहा है।

नदी पर्यटन की विशाल क्षमता को बढ़ावा देगा एमवी गंगा विलास क्रूज

क्रूज का यह सफर उस अपार संपदाओं की खोज सरीखा होगा, जो हमें समृद्ध नदी प्रणाली से विरासत में मिली है। एमवी गंगा विलास क्रूज देश में नदी पर्यटन की विशाल क्षमता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी कदम है। वैश्विक स्तर पर हमारी समृद्ध विरासत को नए आयाम मिलेंगे। पर्यटक अपनी नजर से एक लंबे और सुखद सफर के दौरान भारत की आध्यात्मिक, शैक्षिक, और सांस्कृतिक धरोहरों को देखने के साथ ही जैव विविधता की समृद्धि को महसूस कर सकेंगे। देख सकेंगे कि भारत की अतुल्य सम्पदा में क्या-क्या है। काशी से सारनाथ तक, माजुली से मयोंग तक, सुंदरबन से काजीरंगा तक, क्रूज से इस यात्रा में पर्यटकों को तमाम रोमांचकारी अनुभव मिलेंगे।

एमवी गंगा विलास क्रूज अपनी 51 दिनों की यात्रा में तीन बड़े जलमार्गों से होकर गुजरेगा। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 यानी, गंगा-भगीरथी-हुगली नदी प्रणाली से, कोलकाता से धुबरी तक भारत-बांग्ला प्रोटोकॉल मार्ग से और ब्रह्मपुत्र नदी पर राष्ट्रीय जलमार्ग-2 से। 51 दिनों तक की इस यात्रा में 50 पर्यटक स्थलों से होता हुआ सफर पूरा होगा। इन पर्यटक स्थलों में विश्व विरासत स्थल भी शामिल हैं और काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क और सुंदरबन डेल्टा जैसे वन्यजीव उद्यान भी। बिहार में पटना, झारखंड में साहिबगंज, पश्चिम बंगाल में कोलकाता, बांग्लादेश में ढाका और असम में गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों से होकर यह यात्रा पूरी होगी।

एमवी गंगा विलास क्रूज

एमवी गंगा विलास क्रूज को इस दरम्यान बेहद आरामदायक यात्रा के लिए सुसज्जित किया गया है। यह क्रूज 62 मीटर लंबा, 12 मीटर चौड़ा है। इसमें तीन डेक हैं, 36 पर्यटकों की क्षमता वाले बोर्ड पर 18 सुइट हैं, जिसमें पर्यटकों के लिए अपनी इस यात्रा को यादगार बनाए रखने के लिए हर अनुभव देने वाली सुविधाएं हैं। खास बात यह है कि इस क्रूज को पर्यावरण संरक्षण के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। यह प्रदूषण मुक्त प्रणाली पर काम करता है। इसके अलावा शोर नियंत्रण तकनीक से भी इसे लैस किया गया है। हमें इस बात पर अपार प्रसन्नता हो रही है कि वैश्विक पर्यटन के लिहाज से अग्रणी देशों में शुमार स्विट्जरलैंड के भी 32 पर्यटक एमवी गंगा विलास की पहली यात्रा के साक्षी हो रहे हैं। काशी से डिब्रूगढ़ तक वे भारत की अतुल्य सांस्कृतिक और पर्यटन धरोहरों का अनुभव ले सकेंगे।

पर्यटक यात्रा के दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों का बेहतर अनुभव कर सकें, इसके लिए पूरी यात्रा में अहम स्थलों पर पड़ाव भी दिए गए हैं। विश्व के प्राचीनतम जीवित नगरों में शुमार काशी की प्रसिद्ध 'गंगा आरती' से शुरू हुआ यह सफर बौद्ध धर्म की आस्था के नगर सारनाथ में एक ठहराव लेगा। पर्यटक उस नगर को समझ सकेंगे जहां ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। बक्सर, रामनगर और गाजीपुर होते हुए पर्यटक बिहार की राजधानी पटना पहुंचेंगे। वह नगर जिसका पुरातन नाम पाटलीपुत्र था और यह मगध की राजधानी थी। हिंदुओं, बुद्ध और जैन की आस्था की इस संगम स्थली में पर्यटक विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालय के अवशेषों में भारत की शैक्षिक सम्पदा का स्पंदन महसूस कर सकेंगे। बोधगया उनके लिए रोमांचित करने वाला अनुभव होगा। बिहार स्कूल ऑफ योग और विक्रमशिला विश्वविद्यालय में पर्यटक आध्यात्मिकता व ज्ञान में समृद्ध भारत की विरासत से रूबरू हो सकेंगे।

बिहार से होते हुए पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगी यात्रा

बिहार से यात्रा विश्व की सबसे ज्यादा धरोहरों वाले राज्य यानी, पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगी। इतिहास और अधुनिकता के संगम में लिपटा पश्चिम बंगाल अपनी जैव विविधता के लिए भी विख्यात है, जिसका नजारा पर्यटकों को बंगाल की खाड़ी में स्थित सुंदरबन डेल्टा में मिलेगा। रॉलय बंगाल टाइगर का घर यह क्षेत्र, विश्व का एकमात्र नदी डेल्टा है, जहां बाघ पाए जाते हैं। उन्हें देख पाना पर्यटकों के लिए खास अनुभव होगा। सुंदरी पेड़ों की वजह से इस मैंग्रोव वन को सुंदरवन नाम दिया गया। यह पेड़ बेहद मूल्यवान और दुर्लभ है, जोकि अपने औषधीय गुणों के लिए भी ख्यातिलब्ध है। पश्चिम बंगाल ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का प्रवेशद्वार भी है। इसके बाद यात्रा अपने आगे के पड़ावों की तरफ बढ़ेगी, जिसमें तांत्रिक विद्या के लिए मशहूर मायोंग भी होगा। महाभारत काल में महाबली भीम के पुत्र घटोत्कच यहां के राजा थे। विश्व के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली को भी देखना पर्यटकों के लिए अतुल्य भारत को आंखभर निहारने और हृदय में बसाने का एक मौका होगा। वैष्णव संस्कृति का केंद्र असम एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के लिए भी प्रसिद्ध है। पर्यटक का रोमांच अपने दिलों में महसूस कर सकेंगे।

एक तरफ तो पर्यटकों के लिए यह 51 दिनों की यात्रा उनके जीवन के अनुभव को विस्तार देने वाली होगी ही, साथ ही इसका उन लोगों को भी मिलेगा, जहां से यह क्रूज गुजरेगा। इन तमाम क्षेत्रों के भीतरी इलाकों में रोजगार के साधन भी अपने साथ लेकर यह क्रूज आगे का सफर तय करेगा। रिवर क्रूज पर्यटन की दिशा में उठाया गया यह कदम आगे और बढ़ेगा। साथ में लाएगा पर्यटन के नए आयाम। रोजगार के तमाम संसाधन। देश के मौजूदा पर्यटन सर्किट को नदी पर्यटन सर्किट के साथ जोड़ने की कवायद हो रही है। ऐसा होते ही भारत रिवर क्रूज पर्यटन क्षेत्र में विकास के नए सोपान पर होगा, ऐसा हमें विश्वास है। एमवी गंगा विलास देश में अपनी तरह की पहली क्रूज सेवा है। इसकी सफलता में भविष्य के सुनहरे सपने छुपे हैं। हम आश्वस्त हैं कि इस सेवा की सफलता उद्यमियों को देश के अन्य हिस्सों में रिवर क्रूज का लाभ उठाने के लिए उत्साहित करेगी।

देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा

मेरे इस अटल विश्वास के पीछे वे तथ्य हैं जो हममें आशा और ऊर्जा का संचार कर रहे हैं। आंकड़ों की नजर में देखा जाए तो वैश्विक रिवर क्रूज बाजार वर्ष 2027 तक क्रूज बाजार के 37 प्रतिशत तक के आंकड़ों को छू लेगा। विश्व में यूरोप रिवर क्रूज जहाजों के मामले में लगभग 60 प्रतिशत भागीदारी के साथ विकास कर रहा है। एमवी गंगा विलास की सफलता इस क्षेत्र में वैश्विक निवेश की संभावनाओं को और मजबूती देगी। इसका असर देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा। लोगों के लिए रोजगार का अनंत आकाश खुलेगा। अभी भारत में वाराणसी और कोलकाता के बीच 8 नदी क्रूज का संचालन होता है, जबकि राष्ट्रीय जलमार्ग 2 पर भी क्रूज चल रहे हैं। देश में कई जगहों पर रिवर राफ्टिंग जैसी वॉटर स्पोर्ट्स गतिविधियां चल रही हैं। राष्ट्रीय जलमार्ग-2 पर 10 यात्री टर्मिनलों का निर्माण हो रहा है, जोकि भविष्य में यहां रिवर क्रूज संचालन को और बढ़ावा देंगे। अभी राष्ट्रीय जलमार्ग 3 (वेस्ट कोस्ट कैनाल), राष्ट्रीय जलमार्ग 8, राष्ट्रीय जलमार्ग 4, राष्ट्रीय जलमार्ग 87, राष्ट्रीय जलमार्ग 97, और राष्ट्रीय जलमार्ग 5 में संचालन सीमित क्षमता में हैं। इनके संचालन में इजाफा भारत के पर्यटन क्षेत्र के विकास के नए द्वार खोलेगी। अर्थव्यवस्था नदियों की प्रणाली में पर्यटन स्थलों की ओट से फलने-फूलने की दिशा में अग्रसर है। भारत का स्वर्णिम इतिहास और अतुल्य भारत का दर्शन ही नदी मार्गों से होकर अर्थव्यवस्था के नये आयामों को जन्म देगा। ऐसा हमें विश्वास है।

( लेखक उत्तर प्रदेश सरकार में जल शक्ति मंत्री हैं।)

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