Gujarat Human Trafficking: लापता हो गईं 40 हजार महिलाएं
Gujarat Human Trafficking: बीते पांच वर्षों के दौरान गुजरात में 40,000 से अधिक महिलाएं लापता हो गईं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2016 में 7,105, 2017 में 7,712, 2018 में 9,246 और 2019 में 9,268 महिलाएं लापता हैं।
Gujarat Human Trafficking: निश्चित तौर से यह खबर आप को दहला देने वाली है। परेशान करने वाली भी हो सकती है। एक तरफ़ ह्यूमन ट्रैफिकिंग रोकने के मामले में भारत का एक आदमी विश्व का सबसे बड़ा नोबेल पुरस्कार जीतता है। उसी के कुछ ही सालों बाद यह खबर हमारे हाथ लगती है कि अकेले गुजरात से चालीस हज़ार महिलाएँ लापता है। ये दोनों कांट्रडिक्शन जो हैं, वो हमें परेशान करते हैं। चूँकि ह्यूमन ट्रैफिकिंग को रोकने का काम भारत का एक शख़्स कर रहा था और भारत में ही निश्चित ह्यूमन ट्रैफिकिंग का इतना बड़ा आँकड़ा हो निश्चित तौर से हम सब लोगों को दुखी होना चाहिए । शर्मसार होना चाहिए । और जिन्हें यह पुरस्कार मिला है, उनकी तो ज़िम्मेदारी बढ़ ही जाती है।
बीते पांच वर्षों के दौरान गुजरात में 40,000 से अधिक महिलाएं लापता हो गईं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2016 में 7,105, 2017 में 7,712, 2018 में 9,246 और 2019 में 9,268 महिलाएं लापता हैं। 2020 में 8,290 महिलाओं के लापता होने की सूचना मिली है। पिछले 5 साल के इन आकंडों को जोड़ा जाये तो ये 41,621 बैठता है।
राज्य सरकार द्वारा 2021 में विधानसभा में दिए गए एक बयान के अनुसार, अहमदाबाद और वडोदरा में केवल एक वर्ष (2019-20) में 4,722 महिलाएं लापता हो गईं।
राज्य की 14,004 महिलाओं के लापता
2018 में राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि पिछले दो वर्षों के दौरान राज्य की 14,004 महिलाओं के लापता होने की सूचना मिली थी । लेकिन इनमें से लगभग 76 प्रतिशत इसी अवधि के दौरान पाई गईं। फिर हर रोज 18 महिलाओं के लापता होने की सरकार को पुष्टि करनी पड़ी। सबसे ज्यादा अहमदाबाद और सूरत में महिलाओं के लापता होने की रिपोर्ट हुईं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व आईपीएस अधिकारी और गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य सुधीर सिन्हा ने कहा, "कुछ लापता व्यक्तियों के मामलों में मैंने देखा है कि लड़कियों और महिलाओं को कभी-कभी दूसे राज्यों को भेजा जाता है ।वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया जाता है। पुलिस प्रणाली की समस्या है कि गुमशुदगी के मामलों को गंभीरता से नहीं लेती। जबकि इन मामलों को हत्या से ज़्यादा गंभीर रूप में लेना चाहिए । गुमशुदगी के मामले की जांच हत्या के मामले की तरह सख्ती से की जानी चाहिए।गुमशुदा लोगों के मामलों की अक्सर पुलिस द्वारा अनदेखी की जाती है ।क्योंकि उनकी जांच ब्रिटिश काल के तरीके से की जाती है।"
लड़कियों के लापता होने के लिए मानव तस्करी जिम्मेदार
गुजरात के पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. राजन प्रियदर्शी ने कहा है कि लड़कियों के लापता होने के लिए मानव तस्करी जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि - मेरे कार्यकाल के दौरान, मैंने देखा कि अधिकांश लापता महिलाओं को अवैध मानव तस्करी समूहों द्वारा उठाया जाता है । जो उन्हें दूसरे राज्य में ले जाते हैं ।और बेचते हैं। उन्होंने एक घटना का भी ज़िक्र किया। और बताया कि जब व खेड़ा पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे, उस समय उत्तर प्रदेश के एक आदमी ने एक लड़की को उठाया और ले जा कर के अपने राज्य में यानी उत्तर प्रदेश में बेच दिया। उत्तर प्रदेश से आया आदमी गुजरात में मज़दूर के रूप में काम करता था। वह लड़की बहुत गरीब थी। खेड़ा के यादों के पन्नों को पलटते हुए बताते हैं कि बाहम लोगों ने उत्तर प्रदेश से उसे छुड़ाने में कामयाबी हासिल की। और वह लड़की एक खेत में काम कर रही थी। ऐसे बहुत से लोग होंगे जिनको यह अवसर या सौभाग्य मिला होगा, छूट जाने का। छुड़ा लेने का। लेकिन इन सारे सौभाग्य के बाद भी दुर्भाग्य यह है कि अकेले गुजरात से चालीस हज़ार लड़कियों के लापता होने, नहीं मिल पाने, गुमशुदा होने का आँकड़ा हमें हमेशा चिढ़ाता रहेगा। इससे बचने और इसे एजेंडे में लेने की ज़रूरत है।