India Taliban Ki Dosti : अफगानिस्तान-तालिबान के बीच भारत क्या करे, कैसे काबुल में बनाए जगह
India Taliban Ki Dosti : भारत ने UNSC में अध्यक्ष के नाते जो बयान जारी किया है, उसमें आतंकवाद का विरोध तो किया लेकिन उस विरोध में तालिबान शब्द कहीं भी नहीं आने दिया।
India Taliban Ki Dosti : काबुल हवाई अड्डे (Kabul Airport Hamla) पर हुए हमले के जवाब में अमेरिका ने दो हमले किए। एक जलालाबाद और दूसरा काबुल में। अमेरिकी राष्ट्रपति ने घोषणा की थी कि वे उन हत्यारों को मारे बिना चैन नहीं लेंगे। अभी तक यही पता नहीं चला है कि जो ड्रोन हमले अमेरिका ने किए हैं, वे किन पर किए हैं और उनसे मरनेवाले कौन हैं ? लेकिन अमेरिकी जनता के घावों पर बाइडन प्रशासन ने ये हमले करके मरहम लगाने की कोशिश की है। बाइडन प्रशासन की छवि को इस घटना ने गहरा धक्का पहुंचाया है।लेकिन आश्चर्य की बात है कि भारत सरकार की ओर से अफगानिस्तान के मामले में कोई गतिविधि नहीं दिखाई पड़ रही है। जो भी गतिविधि हो रही है, वह अमेरिका के इशारों पर होती हुई लग रही है।
तालिबान पर UNSC में भारत का बयान
संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के तौर पर भारत ने जो ताजा बयान जारी किया है, वह भी अमेरिका की हाँ में हाँ मिलाता हुआ है। काबुल हवाई अड्डे पर हुए हमले पर तालिबान को अमेरिका ने बिल्कुल निर्दोष बताया तो अब भारत ने अध्यक्ष के नाते जो बयान जारी किया है, उसमें आतंकवाद का विरोध तो किया गया है लेकिन उस विरोध में तालिबान शब्द कहीं भी नहीं आने दिया गया है ।
अफगानिस्तान पर भारत की नीति
जबकि 15 अगस्त के बाद जो पहला बयान था, उसमें तालिबान शब्द का उल्लेख था। तात्पर्य यह है कि भारत दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा देश है। अफगान घटनाओं का सीधा असर उस पर होता है लेकिन फिर भी अफगानिस्तान के बारे में उसकी अपनी कोई मौलिक नीति नहीं है। हो सकता है कि हमारी सरकार के पास ऐसी कोई अत्यंत गोपनीय और नाजुक जानकारी हो, जिसकी वजह से वह तालिबान से सीधे संवाद करने से बच रही हो।
भारत काबुल में सरकार बनाने में करे मदद
ऐसी स्थिति में सरकार चाहे तो अपने पुराने विदेश मंत्रियों, काबुल में रहे पुराने राजदूतों और अनुभवी विशेषज्ञों को प्रेरित कर सकती है कि वे पहल करें। वे काबुल में एक सर्वसमावेशी सरकार बनवाएं। उसे प्रचुर आर्थक मदद देने और दिलवाने का वायदा भी करें। यदि वे लोग काबुल जाने में खतरा महसूस करें तो उन्हें पेशावर भिजवाया जाए। काबुल के लोग आसानी से पेशावर आ सकते हैं।
तालिबान भारत के रिश्ते
पाकिस्तानी सरकार इस अनूठी भारतीय पहल को पहले पहल बुरी नजर से देखेगी । लेकिन हम उन्हें समझा सकते हैं कि यह पहल अगर सफल हो गई तो भारत से ज्यादा फायदा पाकिस्तान को होगा। यह कितनी खुशी की बात है कि तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मुहम्मद अब्बास स्थानकजई ने दो-टूक शब्दों में कहा है कि तालिबान सरकार भारत से अपने सांस्कृतिक, आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को ज्यों का त्यों बढ़ाना चाहती है। उन्होंने भारत द्वारा ईरान में बनाए जा रहे चाबहार बंदरगाह और तापी गैस पाइपलाइन के बारे में भी सहमति बताई है, जो तुर्कमानिस्तान से शुरु होकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए भारत लाई जानेवाली है। संक्षेप में कहें तो यह मौका ऐसा है, जिस का फायदा उठाकर भारत चाहे तो भारत-पाक संबंधों को भी नई दिशा दे सकता है।