दुबई तो छोटा-मोटा भारत ही है

दुनिया के लगभग 200 देशों के लोग इस संयुक्त अरब अमीरात में काम करते हैं। इसमें सभी मजहबों, जातियों, रंगों और हैसियतों के लोग है लेकिन उनके बीच कभी हिंसा, दंगा, तनाव आदि की खबर नहीं आती। यहां की लगभग एक करोड़ की जनसंख्या में 30 लाख से भी ज्यादा भारतीय हैं।

Written By :  Dr. Ved Pratap Vaidik
Published By :  Deepak Kumar
Update:2021-11-17 11:04 IST

दुबई तो छोटा-मोटा भारत ही है। (Social Media) 

परसों शाम जब हम लोग दुबई पहुंचे तो हमने इस बार वह दुबई (Dubai) देखा, जो पहले कभी नहीं देखा। यह कोरोना महामारी का कमाल था। यों तो मैं दर्जनों बार दुबई-अबू धाबी आ चुका हूं, लेकिन कोरोना का प्रकोप दुबई जैसे राज्य का ऐसा नया रुप ढाल देगा, ऐसी उम्मीद नहीं थी। अब से लगभग 40 साल पहले मैं ईरान (Iran) से भारत (India) आते हुए कुछ घंटों के लिए दुबई (Dubai) में रुका था। जिस होटल में रुका था, उससे बाहर निकलते ही मुझे दौड़कर अंदर जाना पड़ा, क्योंकि भयंकर गर्मी और धूप थी।

इसके अलावा उस होटल के आस-पास खुला रेगिस्तान था और थोड़ी दूर पर समुद्र लहरा रहा था। लेकिन अब अगर आज आप दुबई जाएं तो आपको ही समझ ही नहीं पड़ेगा कि आप लंदन (London) में हैं या न्यूयार्क (New York) में हैं या शांघाई में हैं। उन दिनों भी बाजार वगैरह तो यहां थे लेकिन आजकल तो यहां इतने बड़े-बड़े माॅल बन गए हैं कि उन्हें देखते-देखते आप थक जाएं। सड़कों के दोनों तरफ इतने ऊँचे-ऊँचे भवन बन गए हैं कि आप यदि उनके नीचे खड़े होकर उन्हें ऊपर तक देखें तो आपकी टोपी गिर जाए।

आजकल तो दुबई (Dubai) के आस-पास जो रेगिस्तानी इलाके थे, उन्हें एकदम हरा-भरा कर दिया गया है और वहां स्वतंत्र प्लाॅट काट दिए गए हैं। हमारे कई मित्रों ने वहां महलनुमा बंगले बना लिये हैं। जो लोग भारत से सिर्फ कपड़ों का सूटकेस लेकर आए थे, उन्होंने अपनी मेहनत और चतुराई से अब इतना पैसा कमा लिया है कि वे कपड़ों की जगह डिरहाम (रूपए) सूटकेसो में भरकर घूम सकते हैं। यहां भारतीय व्यापारियों, उद्योगपतियों, अफसरों का बोलबाला तो है ही, हमारे बहुत-से कर्मचारी और मजदूर भी कार्यरत हैं।

दुनिया के लगभग 200 देशों के लोग इस संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में काम करते हैं। इसमें सभी मजहबों, जातियों, रंगों और हैसियतों के लोग है लेकिन उनके बीच कभी हिंसा, दंगा, तनाव आदि की खबर नहीं आती। सभी लोग प्रेमपूर्वक जीवन जीते हैं। यहां की लगभग एक करोड़ की जनसंख्या में 30 लाख से भी ज्यादा भारतीय हैं। सात राज्यों से मिलकर बने इस संघ-राज्य में आप जहां भी जाएं, आपको भारतीय दिखते रहेंगे। भारत के पड़ौसी देशों के लोग भी यहां काफी संख्या में हैं। लेकिन उनके बीच भी कोई तनाव नहीं दिखाई देता।

अबू धाबी इस संघ की राजधानी है लेकिन हमारे मुंबई की तरह दुबई ही व्यापार और शान-शौकत का केंद्र है। आजकल यहां चल रही विश्व-प्रदर्शनी को देखने के लिए बाहर से काफी लोग आ रहे हैं लेकिन इस बार दुबई हवाई अड्डे सड़कों और बाज़ारों में पहले-जैसी भीड़ दिखाई नहीं पड़ती। फिर भी ऐसा लगता है कि दुबई भारत का ही उन्नत रुप है। इसे छोटा-मोटा भारत भी कह सकते हैं लेकिन भारत दुबई-जैसा बन जाए, इसके लिए भारत में तेल-जैसी कोई जादू की छड़ी मिलनी चाहिए लेकिन भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था है और यहां है- राजशाही या बादशाही!

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