कल्पनाशील जम्मू कश्मीर

जम्मू-कश्मीर में व्यप्त संवैधानिक विसंगति अब लगभग समाप्ति की ओर

Written By :  Dr Jitendra Singh
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-10-01 17:03 IST

जम्मू कश्मीर की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

लगभग 70 वर्षों से, जम्मू एवं कश्मीर (Jammu and Kashmir) एक संवैधानिक विसंगति की छाया में जी रहा था। यह विसंगति वास्तव में इतिहास के साथ–साथ सभी मनुष्यों के समान अधिकारों के सिद्धांत के साथ भी एक दुर्घटना जैसी थी। शायद यह ईश्वर की इच्छा थी कि नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) भारत के प्रधानमंत्री बनें। जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को अनुच्छेद 370 (Article 370) और 35-ए के बंधनों से मुक्त करायें।

विभिन्न किस्म के बदलावों और नई प्रशासनिक एवं संवैधानिक व्यवस्थाओं के अस्तित्व में आने के बाद, जम्मू एवं कश्मीर (Jammu and Kashmir) ने न सिर्फ विकास की एक तेज गति वाली यात्रा शुरू की है। बल्कि उन मानसिक बाधाओं से भी मुक्ति प्राप्त की है, जिसने यहां लोगों को शेष भारत के लोगों की तुलना में अलग महसूस कराया। इसी तरह, शेष भारत को भी जम्मू एवं कश्मीर के साथ एक अलग तरह से बर्ताव करने के लिए तैयार किया।

सभी स्तरों पर संपूर्ण एकीकरण के साथ, जम्मू एवं कश्मीर (Jammu and Kashmir) के लोग आज मोदी के न्यू इंडिया का एक अनिवार्य घटक बनने के अपने सपने को साकार करने की संभावना और इससे होने वाले लाभों को लेकर उत्साहित हैं।

इस "कल्पनाशील" जम्मू एवं कश्मीर (Jammu and Kashmir) ने न सिर्फ अतीत की एक अप्रिय विरासत को प्रभावी तरीके से पीछे छोड़ा है, बल्कि शेष भारत के साथ एक जैसी आकांक्षाओं को पोषित करना भी सीख लिया है।

आज जम्मू एवं कश्मीर (Jammu and Kashmir) ने विकास की एक नई यात्रा शुरू कर दी है। 170 केंद्रीय कानून, जो पहले लागू नहीं थे, अब लागू कर दिए गए हैं। इसी तरह, सभी केंद्रीय कानून केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में लागू होते हैं।

बाल विवाह अधिनियम, शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार (आरटीआई) और भूमि सुधार जैसे कई कानून भी अब प्रभावी हैं। दशकों से यहां रह रहे वाल्मीकि, दलित और गोरखा समुदायों को भी अब अन्य निवासियों के समान अधिकार प्राप्त हैं। अब स्थानीय निवासियों और अन्य राज्यों के निवासियों को समान अधिकार प्राप्त हैं। राज्य के 334 कानूनों में से, 164 कानूनों को निरस्त कर दिया गया है, 167 कानूनों को भारतीय संविधान के अनुरूप बनाया गया है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में तीन प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर और केंद्र-शासित प्रदेश लद्दाख को क्रमशः 30,757 करोड़ रुपये और 5,959 करोड़ रुपये का अनुदान मंजूर किया गया है।

पिछले वर्ष पहली बार ग्राम पंचायतों और जिला पंचायतों के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुए है। कई सालों के बाद 2018 में पंचायत चुनाव हुए थे। उनमें 74.1 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2019 में ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव पहली बार हुए। उनमें 98.3 प्रतिशत मतदान हुआ। हाल ही में संपन्न जिला स्तरीय चुनावों में भी लोगों की रिकॉर्ड भागीदारी रही।

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत जम्मू एवं कश्मीर में 51.7 लाख लाभार्थियों की पहचान की गई है। इस योजना के तहत, जम्मू एवं कश्मीर के विभिन्न अस्पतालों में 2.24 लाख उपचारों को अधिकृत किया गया है। इसके लिए 223 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है। पीएम किसान योजना के तहत अब तक 12.03 लाख लाभार्थियों को शामिल किया जा चुका है।

अधिवास कानून को लागू किया गया है। 1990 में कश्मीर घाटी से निकाले गए कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए मार्ग प्रशस्त किया गया है, जिसके लिए 6000 नौकरियों और 6000 पारगमन आवास के प्रावधान की दिशा में काम चल रहा है।

सेब की खेती के लिए एक बाजार हस्तक्षेप योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत केंद्रीय खरीद एजेंसी द्वारा डीबीटी भुगतान और परिवहन की व्यवस्था ने सेब की कीमतों में स्थिरता ला दी है।

कश्मीरी केसर को जी. आई. टैग मिल गया है। अब कश्मीरी केसर पूर्वोत्तर राज्यों तक भी पहुंच रहा है। पुलवामा के उखु गांव को 'पेंसिल वाला गांव' का उपनाम मिलने वाला है।

श्रीनगर के बहुप्रतीक्षित रामबाग फ्लाईओवर को आवागमन के लिए खोल दिया गया है। आईआईटी जम्मू को अपना परिसर मिल गया है। एम्स, जम्मू का काम भी शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री द्वारा अटल सुरंग को राष्ट्र को समर्पित करने के साथ ही इसका इंतजार खत्म हुआ। जम्मू सेमी रिंग रोड और 8.45 किलोमीटर लंबी नई बनिहाल सुरंग को इसी साल आवाजाही के लिए खोल दिया जाएगा।

आतंक की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। घाटी में शांति एवं सुरक्षा का एक नया वातावरण बना है। पर्यटन के क्षेत्र में तेज वृद्धि का रुझान दिखाई दे रहा है।

40 साल से ठप पड़ी शाहपुर-कंडी बांध परियोजना पर फिर से काम शुरू हो गया है। रतले पनबिजली परियोजना का काम भी फिर से शुरू किया जा रहा है।

ऐसा पहली बार है जब भारत सरकार की औद्योगिक प्रोत्साहन योजना के तहत जम्मू एवं कश्मीर में औद्योगिक विकास को ब्लॉक स्तर तक ले जाया जाएगा। नई केंद्रीय योजना के तहत, अगले 15 वर्षों में 28,400 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन से राज्य में विकास के नए द्वार खुलेंगे।

प्राथमिक क्षेत्र में रोजगार सृजन के अलावा, इस योजना से कृषि, बागवानी, रेशम उत्पादन, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी उद्योग के क्षेत्र में और 4.5 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू एवं कश्मीर आज तेज गति से आगे बढ़ रहा है। आज का "कल्पनाशील" जम्मू एवं कश्मीर भविष्य का आदर्श (रोल मॉडल) बनने की ओर अग्रसर है।

(लेखक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, कार्मिक, लोक शिकायत,पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभागों के केंद्र सरकार में राज्य मंत्री हैं।)

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

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