कराची हलवा आंदोलन क्या है?
संविधान में सिंधी भाषा के 54 साल पूरे करने और अनेक शहर में बड़ी धूम धाम से मातृभाषा दिवस मनाया।10 अप्रैल 1967 को सिंधी भाषा को भारतीय संविधान में शामिल किया था।
संविधान में सिंधी भाषा के 54साल पूरे करने और अनेक शहर में बड़ी धूम धाम से मातृभाषा दिवस मनाया। 10 अप्रैल 1967 को सिंधी भाषा को भारतीय संविधान में शामिल किया था। इसी दिन संविधान में सिंधी भाषा को मान्यता दी गई थी। इसे सिंधी समाज पर्व के रूप में मनाता है।
सिंधी भारत के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। यह सिंधी हिंदू समुदाय की मातृ-भाषा है। गुजरात के कच्छ जिले में सिंधी बोली जाती है और वहाँ इस भाषा 'कच्छी भाषा' कहते हैं। इसका सम्बन्ध भाषाई परिवार के स्तर पर आर्य भाषा परिवार से है जिसमें संस्कृत समेत हिन्दी, पंजाबी और गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं।
मेरे एक सिंधी मित्र है किशोर टेकचंदादनी ने बताया कि जब केंद्र सरकार ने 20 वर्ष तक मांगों को नहीं माना तो कराची हलवा आंदोलन चलाया गया, जिसमें जिम्मेदारों को कराची हलवा खिलाकर सिधी भाषा को संवैधानिक दर्जा देने की मांग की गई थी। हम सब जानते है भाषाओं के विकास से ही देश का नाम भी बढ़ता है। भाषा के शिक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए कई विश्व विध्यालये भी भूमिका निभा रहा है। कई भाषा के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और एडवांस डिप्लोमा कोर्स चला कर प्रमाणपत्र देते है जेसे अनेक जगह इन्हें नोक़री में आसानी रहती हैं.सिधी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए गतिविधियों का वार्षिक कैलेंडर तैयार कर समाज में वितरित किया जाता हैं.
जय झूले लाल की