शर्त लगा सकता हूं, जिन्होंने कश्मीरियों को मारा वो लखनऊ की पैदाइश नहीं हो सकते

पुलवामा हमले के बाद से देश में भावनाओं का ज्वार अपने चरम पर है। लेकिन कुछ लोग इसे सिर्फ अपने को चर्चा में लाने के लिए यूज कर रहे हैं। ताकि उनकी प्रोफाइल से देशभक्ति टपकती रहे। ऐसे ही कुछ मंदभुद्दीयों (बुद्धि है नहीं इनके) ने लखनऊ में भगवा कंधे पर डाल कश्मीरियों को घेरकर पीटा।

Update: 2019-03-07 07:21 GMT

आशीष शर्मा 'ऋषि'

पुलवामा हमले के बाद से देश में भावनाओं का ज्वार अपने चरम पर है। लेकिन कुछ लोग इसे सिर्फ अपने को चर्चा में लाने के लिए यूज कर रहे हैं। ताकि उनकी प्रोफाइल से देशभक्ति टपकती रहे। ऐसे ही कुछ मंदभुद्दीयों (बुद्धि है नहीं इनके) ने लखनऊ में भगवा कंधे पर डाल कश्मीरियों को घेरकर पीटा। इनसे कोई ये पूछे की जब कश्मीर तुम्हारा है तो कश्मीरी कैसे दुश्मन हो गए। गलीजों तुम जैसों की वजह से ही कश्मीरी बाकि देशवासियों से नफरत करते हैं। अब मैं यहां गाली तो दे नहीं सकता लेकिन तुम समझ लो कि मैं वो सारी गाली दे रहा हूं जो लखनऊ में बड़े प्यार से दी जाती हैं।

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अपने को मोदी जी का सबसे बड़ा समर्थक मानते हो, तो उनकी बात ही मान लेते। उन्होंने ही कहा हैं कि कश्मीरी देश के नागरिक हैं। राज्य सरकारों को बता चुके हैं कि उनका ख्याल रखा जाए. लेकिन तुम जैसे चू@# समझते ही नहीं हैं यार... ये गंध दिल्ली, पटना, बरेली, देहरादून और पालमपुर से होती हुई लखनऊ पहुंच गई। अमा मैं शर्त लगा सकता हूं तुम लखनऊ के हो ही नहीं सकते, वर्ना तुम उन्हें मारते नहीं और वीडियो बना के वायरल करना तो दूर की बात है।

भाई मेरे! विश्व हिंदू दल की बात करते हो, तो सुनो... किसी भी नाम के आगे या पीछे हिंदू लगा देने से वो संगठन सभी हिंदूओं की आवाज नहीं बना जाता तुम भी नहीं हो। कश्मीर में अगर रोजगार होता तो कोई यहां क्यों आता?

मोहम्मद अफज़ल नायकू लखनऊ में चादर बिछा ड्राई फ्रूट बेचते हैं। अगर वो पत्थर मारते होते तो लखनऊ में क्या कर रहे होते कश्मीर में ही होते ना। लेकिन ये बात वही समझ सकता है जिसके पास दिमाग हो। वो तो तुम्हारे पास है नहीं!

लेकिन इस पूरे मामले में राहत वाली बात ये रही कि कुछ लोगों ने इस का विरोध किया और अफज़ल को किस तरह इन मानसिक रोगियों के चंगुल से बचाया भी। अफजल ने पुलिस में शिकायत की पुलिस ने मुख्य आरोपी बजरंग सोनकर को पकड़ लिया। बजरंग पर हत्या के मामले सहित 12 केस दर्ज हैं। उसके बाद भी ये साहेब देशभक्त हैं?

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अफजल अपनी जान बचाने के लिए वहां से जब भागे तो चादर पर लगी उनकी दुकान वहीँ पीछे रह गई। कैसे उनके परिवार ने रात काटी होगी और कैसे वो आगे उनका पेट पलेंगे क्योंकि जमा पूंजी तो वही दुकान थी। लेकिन मुझे पूरी उम्मीद है कि अभी असली लखनऊ मरा नहीं है। किसी ने अपना निवाला तोड़ने से पहले अफजल से जरुर पूछा होगा पहले आप लीजिए।

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