ये है इंडिया मेरी जान! यहां मुंह नोचवा मंकी मैन बन काट ले जाता है चुटिया

दस दिन, पांच राज्य और महिलाओं की चोटी काटे जाने की 80 से ज्यादा वारदात। इन घटनाओं के बाद अफवाहों का बाजार गर्म है।

Update: 2017-08-04 11:09 GMT
ये है इंडिया मेरी जान! यहां मुंह नोचवा मंकी मैन बन काट ले जाता है चुटिया

vinod kapoor

Himanshu Bhakuni

लखनऊ: दस दिन, पांच राज्य और महिलाओं की चोटी काटे जाने की 80 से ज्यादा वारदात। इन घटनाओं के बाद अफवाहों का बाजार गर्म है। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, यूपी और मध्यप्रदेश ये वो पांच राज्य हैं जहां चोटी काटने की घटनाएं सामने आईं हैं। लोगों ने कटी चोटी तो देखी, लेकिन किसने काटी ये किसी ने नहीं देखा और न ही इसका किसी को अंदाजा है। जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं। क्योंकि

ये इंडिया है मेरी जान। यहां मुंह नोचवा मंकी मैन बनकर आता है और महिलाओं की चुटिया काट कर ले जाता है।

जिन महिलाओं की चोटी कटने का दावा किया जा रहा है, उन्होंने भी चोटी काटने वाले को नहीं देखा। सारी घटनाएं महज कल्पनओं के सागर में गोते लगा रही हैं। कटी चोटी का मजेदार किस्सा ये भी है कि इस घटना को अंजाम देने वाला महिला के चोटी को उसके बगल में ही छोड़ कर चला जाता है। वो किसी को दिखाई नहीं देता। वह अदृश्य है। मजेदार ये भी है कि चोटी कटने की घटनाएं ग्रामीण इलाकों में ही हो रही हैं। जबकि शहरी इलाकों में यह घटनाएं लगभग नहीं के बराबर हैं।

ऐसा नहीं है कि देश में इस तरह की अजब-गजब घटनाएं पहली बार हुई हैं। आपको याद होगा साल 2002 में यूपी के गाजीपुर से शरू हुआ मुंह नोचवा का आतंक धीरे-धीरे मिर्जापुर और वाराणसी तक पहुंच गया था। पूर्वी यूपी में मुंह नोचवा अर्थात मुंह नोचकर लोगों को घायल करने वाले किसी अज्ञात जंतु अथवा मशीन का भारी आतंक व्याप्त था। इसका असर यह हुआ कि रात में लोगों ने घरों की छतों पर सोना बंद कर दिया। कुछ गांवों और मोहल्लों में लोग मुंह नोचवा के आने के भय से रात-रात भर पहरा देते। मुंह नोचवा द्वारा घायल किए गए लोग हॉस्पिटल में एडमिट हो गए। उनका इलाज हुआ। इसे प्रशासन ने जहां अफवाह बताया, वहीं लोग दहशत में रात में घरों से नहीं निकल पाए।

मुंह नोचवा की कहानी कुछ दिन पहले गाजीपुर जिले से शुरू हुई थी। उसके बाद से यह मिर्जापुर, भदोही, प्रतापगढ़, इलाहाबाद तक पहुंची। धीरे-धीरे पूरा पूर्वी उत्तर प्रदेश मुंहनोचवा के आतंक की चपेट में आ गया।

यूपी उस वक्त जबरदस्त बिजली की कटौती चल रही थी। बिजली जाने के बाद ही शुरू हो जाता था रहस्यमय मुंह नोचवा का आतंक। इस आतंक का शिकार हुए लोगों का कहना था कि मुंह नोचवा किसी जानवर की शक्ल में आता था और बाहर सो रहे लोगों के मुंह पर हमला कर उन्हें घायल कर देता था। गांव के लोगों ने उसका पीछा भी किया, परंतु वह गायब हो जाता था। उसके आगे-पीछे लाल-हरे रंग का प्रकाश भी देखने को मिलता था।

बाद में पता चला कि ये सब अफवाह थी। इसी तरह सूई भोंकवा की अफवाह भी उड़ी। यहां भी मामला दिलचस्प था। रात के अंधेरे में कोई आता और महिला के प्राइवेट पार्ट्स पर सूई चुभाता और फरार हो जाता। इसकी शुरूआत यूपी के इलाहाबाद से शुरू हुई और जिले के आसपास के गांवों में फैली लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे बंद हो गई।

दिल्ली में इसी तरह मंकी मैन की बात साल 2001 में उठी थी। मई 2001 के शुरुआत में रात के समय एक काले रंग का भयानक प्राणी प्रकट होते ही मानव जाति पर हमला कर देता था। इसे देखने वाले इसके बारे में बताते थे कि उसकी लंबाई 4 फीट, सारे बदन में काले घने बाल, चेहरा हेलमेट से ढका हुआ, धातु के पंजे, लाल आंखें थीं। हालांकि, कोई ये बताने को तैयार नहीं था कि जब चेहरा हेलमेट से ढका था तो देखने वालों ने उसकी लाल आंखें कैसे देख ली।

अब अफवाहों के पन्नों को थोड़ा और पलटें तो दिल्ली के एक मंदिर में 21 सितंबर 1995 को गणेश प्रतिमा को दूध पिलाने के लिए पूजा-अर्चना की जा रही थी। अचानक प्रतिमा ने पूरा दूध पी लिया। देखते ही देखते ये बात आग की तरह फैल गई। किसी ने भी ये नहीं सोचा कि यह महज एक मजाक भी हो सकता है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक गतिविधि भी हो सकती है। पूजा-पाठ में विश्वास नहीं करने वाले भी गणेश प्रतिमा को दूध पिलाते देखे गए। ये मजाक या अफवाह जो भी कह लें अंतर्राष्ट्रीय हो गई। दक्षिण अमरीका और अफ्रीका में इसे कैमरे में कैद किया गया। हांगकांग के एक मंदिर में तो भगवान की प्रतिमा 20 लीटर दूध पी गई। तांत्रिक चन्द्रास्वामी ने इसे अपने तंत्र का चमत्कार बताया तो हिंदू धर्म साधकों ने कहा कि स्वर्ग से भगवान खुद धरती पर दूध पीने आए। जितने मुंह, उतनी बातें।

गणेश प्रतिमा के दूध पीने को लेकर वैज्ञानिकों को भी आगे आना पड़ा। वैज्ञानिकों ने कहा कि प्रतिमा ने दूध नहीं पीया, बल्कि उसे अवशोषित किया। संगमरमर की चिकनी परत पर अणुओं का एक कैपिलरी चैनेल बन गया। जो द्रव को आसानी से अवशोषित कर लेता था। परत इतनी पतली थी कि उसे सीधी नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता था।

भूत, प्रेत, पिशाच, डायन, चुडैल के अस्तित्व पर आसानी से विश्वास करने वाले इस देश में ऐसी अफवाहें आसानी से पैर पसार देती हैं। फिर आज तो सोशल मीडिया का जमाना है। जहां किसी पुराने वीडियो और ऑडियो को आज के हालात में ऐसे फिट कर दिया जाता है जिससे ये लगने लगता है कि ये सब घटना से ही जुड़ा है।

फिलहाल यूपी पुलिस ऐसी घटनाओं को पूरी तरह से अफवाह बता रही है और लोगों से ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देने की अपील कर रही है। डॉक्टर्स चोटी कटने की घटना पर मनोचिकित्सक के पास जाने की राय दे रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि यह सिर्फ इंसानों का मनोरोग है।

यूपी के कानपुर में लगभ्राग दो दशक पहले ऐसी ही अफवाह उड़ी थी कि कोई साधु बच्चा चोरी करता और उसे बड़े झोले में बंद कर ले जाता। हालत यह हो गई कि बच्चों ने घर से निकलना बंद कर दिया था। शहर ​के किसी भी मोहल्ले से रोज साधु को देखे जाने की बात उठ जाती थी। उस वक्त प्रवीण सेठ कानपुर के एसएसपी थे। उन्होंने अपने मातहतों से कहा कि जिस मोहल्ले से इस तरह की अफवाह आए वहां के सभी लोगों को जेल में डाल दिया जाए। वो जब अपने मातहतों को यह हिदायत दे रहे थे तभी एक मोहल्ले से साधु को देखे जाने की अफवाह उड़ी। बस जो होना चाहिए था, वही हुआ। इलाके के सभी पुरूषों को थाने में रात भर के लिए बैठा दिया गया। थाने में बैठाते ही सच सामने आ गया। कोई भी स्वीकार करने को तैयार नहीं था कि उसने साधु को देखा है। एक मोहल्ले के लोगों को थाने में बैठाते ही साधु भी गायब हो गया और अफवाह भी।

समाजशास्त्री शिवा मिश्रा कहती हैं कि किसी लड़की को अपने बाल काटने होंगे और उसके घर वाले इसके लिए तैयार नहीं हो रहे होंगे। बस उसने ये तरीका अपना लिया। अब यही बात फैली तो उन लड़कियों को भी ये आयडिया भा गया और फिर शुरू हो गया ये चोटी कटने-कटाने का सिलसिला।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस तरह की अफवाह कौन उड़ा रहा ? ऐसी अफवाह से वह क्या चाहता है? लेकिन आप सावधान रहें, सजग नागरिक बनें क्योंकि ऐसी अफवाहें इंसानों की जान तक ले लेती हैं।

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