मैने अपने बगीचे से अम्बार के फल तोड़े, इसका अचार बनाया जाएगा

थाईलैंड का आमड़ा गोरखपुर की एक नर्सरी से लाया था । इसके फल देशी अम्बार के बाद आते है और खट्टापन बहुत कम होता है। अभी ये फल बिल्कुल कच्चे है, गुठली की जाली नहीं पड़ी है। इस अम्बार का भी अचार बनाया जायेगा।

Update: 2020-07-23 11:52 GMT

ब्रजलाल, पूर्व डीजीपी

आज मैंने अपने गार्डेन से थाईलैंड के अम्बार के फल तोड़े। 15 दिन पहले देशी अम्बार जिसे आमड़ा भी कहा जाता के फल तोड़े थे जिसका अचार बन चुका है। अम्बार के पेड़ पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोग घरों के पास और बगीचों में लगाते है।

अम्बार के कच्चे फल का रंग हरा होता है। इसका स्वाद खट्टा और कसैला व तासीर गर्म होती है। कच्चा अमड़ा वातनाशक, भारी, गर्म, रुचिकारक, और दस्तावर है। यह अपच को दूर करता है।

अम्बार को आमड़ा या अम्बाड़ा भी कहते हैं संस्कृत में इसे अम्रातकः, पीतन, मर्कटाम्र, कपितन, या अमड़ा कहा जाता है। मराठी में आंवाड़ा, गुजराती में जंगली आम्बो और लैटिन में स्पानडियस मैंगिफेरा/ स्पानडियस पिनाटा नाम से जाना जाता है।

आमड़े के फल कच्चे होने पर खट्टे होते हैं और इन्हें चटनी, जैम और आचार बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। मुलायम पत्तियों और फूलों को करी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

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इसका पेड़ जंगलों में भी पाया जाता है। अमड़ा एक औषधीय पेड़ भी है। इसके पत्तों, छाल, तने, फलो और जड़ों का प्रयोग प्राचीन समय से रोगों के उपचार में होता आया है।

कैसे लगाएं

लगाना बहुत आसान। पके फल को उगाकर या इसकी एक टहनी काटकर ज़मीन में लगायी जा सकती है। बीज से लगा पौधा 3-4 साल और टहनी से लगा पेड़ एक साल में ही फल देने लगता है। इसकी पत्तियाँ भी खट्टी होती है।

बचपन में हम लोग इसकी खट्टी पत्तियों को नमक लगाकर खा जाते थे। जाड़े में इसकी पत्तियाँ झड़ जाती हैं और बसंत आते ही आम की तरह पीले बौर आते है, पत्तियाँ बाद में आती है।फल जून में आ जाते हैं, जो कभी- कभी बाज़ार में मिल जाते है।

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मैंने देशी अम्बार की टहनी अपने गृहजनपद सिद्धार्थनगर से लाकर लगाया था। इसकी स्वादिष्ट चटनी भी बनती है। थाईलैंड का आमड़ा गोरखपुर की एक नर्सरी से लाया था । इसके फल देशी अम्बार के बाद आते है और खट्टापन बहुत कम होता है। अभी ये फल बिल्कुल कच्चे है, गुठली की जाली नहीं पड़ी है। इस अम्बार का भी अचार बनाया जायेगा।

Brij Lal Ex-DGP UP July 23,2020.

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