Pakistan Politics: उथल-पुथल में पाक, भारत रहे चौकस
Pakistan Politics: पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के कारण वहां की अर्थव्यवस्था भी धराशायी हो चुकी है, जिससे पाकिस्तान के भविष्य पर दूरगामी परिणाम होंगे।
Pakistan Politics: पाकिस्तान में बीती 8 फरवरी को हुए आम चुनावों के बाद देश में जो एक राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद थी, वह फिलहाल तो पूरी तरह खत्म हो गई हैं। पाकिस्तान, जिसकी नियति ही हो गई है हमेशा संकट में रहना I अब तो वह अराजकता की चपेट में है और भारी मुश्किल की स्थिति में दिखाई दे रहा है। हालांकि लंबी कवायद के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग ( नवाज) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी) ने देश में मिल कर सरकार बनाने का फैसला कर लिया है। फिलहाल राजनीतिक विश्लेषकों, पत्रकारों और आम जन को कुछ समझ नहीं आ रहा कि देश किस दिशा में जा रहा है। हर कोई अनभिज्ञ सा ही दिख रहा है। चुनाव के नतीजों ने पाकिस्तानी सेना के मोटी तोंद वाले जनरलों को उनकी औकात दिखा दी है। उनके लाख चाहने के बावजूद नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग को जनता ने बहुमत नहीं दिया। नवाज शरीफ लंदन से इसी उम्मीद में पाकिस्तान वापस आए थे कि उन्हें फिर से पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का मौका मिल जाएगा। जाहिर है,पाकिस्तानी अवाम चुनाव नतीजों से हताश और अवाक है। चुनावों के नतीजों में कसकर धांधली हुई है। जनता को अब देश में राजनीतिक स्थिरता की कोई उम्मीद भी नहीं है। अफसोस देखिए कि जिन्हें जनता ने नकारा वे ही सरकार बनाने जा रहे हैं।
दरअसल चुनाव में खंडित जनादेश आने के बाद एक के बाद एक वहां विवादों को ही जन्म मिला, खासकर चुनाव में अनियमितताओं के व्यापक आरोपों के कारण। मतदान में धोखाधड़ी के ख़िलाफ़ देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं और बलूचिस्तान का जन जीवन लगभग ठप पड़ा हुआ है। वहां पर चुनाव से पहले धमाकों की झड़ी सी लग गई थी। इसके साथ ही, रावलपिंडी के चुनाव आयुक्त ने चुनावों में धांधली के गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके बाद तो चुनाव की विश्वसनीयता पर और सवाल खड़े हो गए हैं। इमरान खान की पार्टी “पीटीआई” नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी पार्टी बनी। मतलब यह है कि जिस इमरान खान को एक के बाद एक गंभीर आरोपों के लिए दोषी मानकर जेल की सजा सुनाई जा रही है, लेकिन पाकिस्तान की जनता तो उसके साथ खड़ी है।
पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के कारण वहां की अर्थव्यवस्था भी धराशायी हो चुकी है, जिससे पाकिस्तान के भविष्य पर दूरगामी परिणाम होंगे। पाकिस्तान की ताजा निराशाजनक स्थिति के बीच एक खबर यह भी आई कि सिर्फ हमारे एक टाटा ग्रुप के सामने भी पाकिस्ताभन की अर्थव्यनवस्थाअ बौनी पड़ गई है। टाटा ग्रुप का मार्केट कैपिटलाइजेशन 365 अरब डॉलर पहुंच गया है। यह पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से भी कहीं ज्याघदा है। पिछले साल टाटा ग्रुप की कई कंपनियों ने शानदार प्रदर्शन किया है। इसी के बाद ही ग्रुप ने यह उपलब्धि हासिल की है। अंतराष्ट्री।य मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमानों के अनुसार, पाकिस्ताटन की अर्थव्य वस्थाक का आकार करीब 341 अरब डॉलर का है। टाटा ग्रुप की एक कम्पनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की वैल्यून ही करीब 15 लाख करोड़ रुपये या 170 अरब डॉलर है। यह न केवल भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है, बल्कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लगभग आधे आकार की भी है। अब आप समझ सकते हैं कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति कितनी खराब हो चुकी है। बेशक, कंगाली से गुजर रही पाकिस्ताीन की अर्थव्यवस्था इस समय गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रही है। पिछले साल आई बाढ़ ने पाकिस्ताटन को व्यापक स्तलर पर नुकसान पहुंचाया है। यह नुकसान भी अरबों डॉलर में है। इससे देश के लाखों लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। इसके अलावा पाकिस्तान 125 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज के बोझ से दबा हुआ है।
पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक हालात डरावने
मतलब यह है कि पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक हालात डरावने बन चुके हैं। पाकिस्तान को लेकर बाक़ी दुनिया की राय भी कोई अच्छी नहीं है। पाकिस्तान में क़ानून और व्यवस्था के मामले में छवि ठीक नहीं है और इसे कारोबार के लिए सही जगह नहीं माना जाता। पाकिस्तान में निवेश के लिए कहीं के निवेशक आगे नहीं आते। निवेशक तो उसी देश में जाते हैं, जहां पर बिजनेस का माहौल सही होता है। कोई निवेशक अपना पैसा बर्बाद करने के लिए तो कहीं नहीं जाता है न ? निवेशक अपने निवेश पर बेहतर रिटर्न की उम्मीद रखता है। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। उसे पाकिस्तान में किसी तरह के संभावना नजर नहीं आती। जाहिर है, इसलिए पाकिस्तान का विदेशी निवेशक रुख ही नहीं करते। आप समझ लें कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती विदेशी निवेश या विदेशी पर्यटकों के आने से ही होती है। तब ही तो किसी देश का विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ने लगता है। पर पाकिस्तान में तो पर्यटन सेक्टर तक घुटनों पर आ चुका है।
वहां का पर्यटन सेक्टनर गर्त में जा चुका है। दुनिया के 140 देशों में पर्यटन को लेकर जारी ट्रैवेल एंड टूरिज्मह कंम्पनटेटिवनेस इंडेक्से में आज पाकिस्ताैन 121वें पायदान पर खड़ा है। इस रिपोर्ट के आने के बाद पाकिस्ता्नी हुक्मजरानों की नींद उड़ जानी चाहिए। आतंकवाद की खेती करने वाले पाकिस्ताहनी हुक्मरानों को समझना होगा कि वे विदेशी पर्यटकों को देश में आने के लिए कैसे आकर्षित करें।
इस बीच,पाकिस्तान के सामने सबसे गंभीर चुनौती इस समय बलूचिस्तान में लगातार पंजाबियों का मारा जाना है। वहां रहने वाले पंजाबियों को चुन-चुनकर मारा जा रहा है। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि दोषियों को तुरंत पकड़ लिया जाएगा। परन्तु, यह सब रस्मी बातें हैं। हालांकि हकीकत बड़ी भयावह है। पाकिस्तानी सरकार पंजाबियों के कत्लेआम को दुनिया की निगाह से बचाना चाहती है, पर यह सोशल मीडिया के दौर में संभव हो नहीं पाता। खबरें जैसे- तैसे सारी दुनिया के सामने आ ही जाती हैं।
पंजाबियों को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी मार रही है। पंजाबी नौजवानों को अगवा भी किया जा रहा है। फिर उनका पता ही नहीं चल पाता। इस तरह के सैकड़ों केस हैं। पंजाबियों को मारे जाने की कोई वजह तो होगी ही। हालांकि किसी तरह की हिंसा को सही तो नहीं माना जा सकता। पर यह भी सच है कि पाकिस्तान में गैर-पंजाबी नफरत करते हैं पंजाब और पंजाबियों से। सबको लगता है कि पंजाबी उनका शोषण कर रहे हैं, उनके हकों को मार रहा है। यानी पाकिस्तान पर कई तरह के संकट मंडरा रहे हैं। चूंकि वह हमारा पड़ोसी है इसलिए भारत को पूरी तरह से चौकस रहना होगा। अपने को तैयार रखना होगा ताकि धूर्त पाकिस्तान के किसी भी नापाक इरादे को विफल किया जा सके। पाकिस्तान के हुक्मरान अपने घरेलू मसलों से जनता का ध्यान हटाने के लिए भारत के खिलाफ कभी भी कोई कार्रवाई कर सकते हैं। यदि यह उनकी मजबूरी है तो यह भारत के लिये चुनौती है जिससे निबटने के लिये हमें सदैव तैयार रहना होगा I
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)