Pegasus Case: पेगासस-कांड को कैसे हल करें?

Pegasus Case: पेगासस-जासूसी के मामले (Pegasus Case) में हमारी सरकार ऐसी फंस गई है कि उसे कोई रास्ता ही नहीं सूझ रहा है। संसद का काम-काज लगभग ठप्प हो चुका है।

Written By :  Dr. Ved Pratap Vaidik
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-08-01 06:06 GMT

पेगासस मामला (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

Pegasus Case: पेगासस-जासूसी के मामले (Pegasus Case) में हमारी सरकार ऐसी फंस गई है कि उसे कोई रास्ता ही नहीं सूझ रहा है। संसद का काम-काज लगभग ठप्प हो चुका है और संसद की तकनीकी सूचना समिति की जो बैठक उसके अध्यक्ष और कांग्रेसी सदस्य शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने बुलाई थी, उसका भाजपा (BJP) सांसदों और अफसरों ने बहिष्कार कर दिया। भाजपा सांसद थरूर को हटाने की बातें कर रहे हैं और थरूर भी उन पर गंभीर आक्षेप कर रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर संसद के बाहर भी प्रदर्शनों और बयानों का तांता लगा हुआ है।

सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि दो प्रसिद्ध पत्रकारों ने सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में पेगासस के मामले में याचिका लगा दी है, जिसकी सुनवाई अगले हफ्ते होनी है। हमारे विरोधी दल सोच रहे हैं कि जैसे अमेरिका में वाटरगेट कांड राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की कुर्सी ले बैठा था, बिल्कुल वैसे ही पेगासस को वे नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के गले का पत्थर बना देंगे। लेकिन शायद यह संभव नहीं होगा, क्योंकि पिछले कांग्रेसी, जनता दल और जनता पार्टी के शासनों के दौरान भी जासूसी के कई गंभीर मामले सामने आते रहे हैं। यदि पेगासस तूल पकड़ेगा तो पता नहीं कितने गड़े मुर्दे उखाड़े जाएंगे।

इसके अलावा सबसे बड़ा सवाल यह है कि जासूसी कौन-सी सरकार नहीं करती? राष्ट्रहित की दृष्टि से सबसे अच्छा यह होगा कि सत्ता और विपक्ष के नेता बंद कमरे में गोपनीय बैठक करें। सरकार ने यदि गलतियां की हैं तो वह नम्रतापूर्वक क्षमा मांगे।

यह सारा मामला यदि खुले-आम चलता रहा तो बहुत से राष्ट्रीय रहस्य भी अपने आप खुल पड़ेंगे, जो कि भारत के लिए नुकसानदेह होगा। इसमें शक नहीं कि यदि पेगासस की सूची में पत्रकारों, नेताओं, वकीलों, उद्योगपतियों आदि के नाम हैं तो मानना पड़ेगा कि यह सरकार की आपराधिक कार्रवाई है और असंवैधानिक है। इस तरह की कार्रवाई के खिलाफ खुद इस्राइल में आवाजें उठ रही हैं।

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमेनुअल मेक्रों के घावों पर मरहम लगाने के लिए इस्राइली रक्षा मंत्री बेनी गांट्ज खुद पेरिस पहुंच गए हैं। ब्रिटिश सरकार भी इस मामले पर जांच बिठा रही है। पेगासस ने अपनी खाल बचाने के लिए यह दांव मारा है कि कई सरकारों को दी जा रही उसकी सेवाओं पर उसने रोक लगा दी है और वह जांच कर रही है कि जो जासूसी-यंत्र उसने आतंकवादियों और अपराधियों पर निगरानी के लिए बेचा था, कई सरकारें उसका दुरुपयोग कैसे कर रही हैं?

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