YashoBhoomi: यशोभूमि से मिला राजनैतिक सन्देश

YashoBhoomi: प्रारम्भिक चरण में विश्वकर्मा योजना में 13000 करोड़ रुपये जारी किये हैं । यह योजना तीन लाख कामगारों के लिए विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर एक अनुपम उपहार है।

Written By :  Mrityunjay Dixit
Update:2023-09-20 15:21 IST

Pm modi iicc Yashobhoomi  (photo: social media )

YashoBhoomi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर राजधानी दिल्ली में एशिया के सबसे बड़े प्रदर्शनी व कांफ्रेंस सेंटर यशोभूमि राष्ट्र को समर्पित करते हुए इसी नवीन प्रांगण से 18 प्रकार के पारंपरिक कारीगरों व शिल्पकारों की लाभ पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया है। इस योजना के माध्यम से सुथर, बढ़ई, नाव निर्माता, अस्त्रकार, लोहे का काम करने वाले, टोकरी, चटाई, झाड़ू बनाने वाले, कॉयर बुनकर, गुड़िया और खिलौना निर्माता, पारंपरिक सुनार, कुम्हार, जूते बनाने वाले, हथौड़ा और टुलकिट निर्माता, ताला बनाने वाले, मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाले, पत्थर तोड़ने वाले राजमिस्त्री, बाल काटने वाले, मालाकर, कपड़े धोने वाले, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले आदि कार्य कार्य करने वाले हुनरमंद भाई बहनों को 3 लाख तक बिना गारंटी ऋण देने की घोषणा की है। विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत स्किल अपग्रेडेशन के लिए ट्रेनिंग और 500 रूपये का स्टाइपेंड भी दिया जाएगा और यह हुनरमंद अपने हाथों से जो उत्पाद तैयार करेंगे उन तैयार उत्पादों के लिए क्वालिटी सर्टिफिकेशन, ब्रांडिंग और उनकी मार्केटिंग में भी सरकार की ओर से सहायता उपलब्ध करायी जाएगी। प्रारम्भिक चरण में विश्वकर्मा योजना में 13000 करोड़ रुपये जारी किये हैं । यह योजना तीन लाख कामगारों के लिए विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर एक अनुपम उपहार है। यह माना जा रहा है कि इस योजना से 30 लाख परिवारों की वित्तीय स्थिति में बड़ा परिवर्तन आएगा। इस योजना से छोटे व्यवसायों और श्रमिकों को अपना व्यापार बढ़ाने और आर्थिक स्थिति सुधारने में भी मदद मिलेगी।

समाज के लाखों पारंपरिक कौशल वाले भाई- बहनों के लिए विश्वकर्मा योजना आशा की नई किरण बनकर आई है। इस योजना के माध्यम से भारत के स्थानीय सामान को वैश्विक बनाने में भी बहुत सहयोग मिलेगा। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र ने उपस्थित विश्वकर्माओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब बैंक आपको गारंटी नहीं मानता है तो मोदी आपको गारंटी देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई विश्वकर्मा योजना के माध्यम से अनुसूचित जाति, अनुसचित जनजाति व समाज के वंचित वर्ग के लोगों का मन जीतने की भी एक बड़ी पहल की है। यह पारंपरिक कार्य करने वाले अधिकतर कारीगर व शिल्पकार समाज के लोग इन्हीं वर्गों से आते हैं । भारतीय जनता पार्टी समाज के इन वर्गो को सशक्त करने के लिए संकल्पवान है क्योंकि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति का युग प्रारम्भ हुआ है और उसके पूर्व से भी समाज का यह वर्ग भाजपा के साथ जुड़ा हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यशोभूमि के लोकार्पण और विश्वकर्मा योजना के शुभारम्भ के उपलक्ष्य पर गहरे राजनैतिक निहितार्थ वाला वक्तव्य दिया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह विशिष्ट कार्यशैली रही है कि अब तक उन्होंने जितने भी लोकार्पण कार्यक्रम किये है उन सभी अवसरों पर सर्वप्रथम वह श्रमिकों का सम्मान करते हैं व उनका मनोबल बढ़ाते हैं। यशोभूमि में भी उन्होंने सर्वप्रथम वहां काम करने वाले सभी प्रकार के विश्वकर्मा भाई बहनों से बातचीत की और उनका मनोबल बढ़ाया।

भारत मंडप और यशोभूमि जैसे सेंटर 

प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल में भारत मंडप और यशोभूमि जैसे सेंटर दिये हैं जो विकसित भारत का स्वप्न तो पूरा करेंगे ही साथ ही आगामी समय में लाखों युवाओं के लिए रोजगार के वाहक बनेंगे। दोनों ही केन्द्रों पर विश्व भर के लोग अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों, बैठकों और प्रदर्शनियों के लिए आएंगे इससे लाखों युवाओं को रोजगार और पारंपरिक कारीगरों व शिल्पकारों को भी काम मिलेगा। आगामी दिनों में भारत मंडप और यशोभूमि कांफ्रेंस पर्यटन के केंद्र बिंदु बनकर भी उभरने वाले हैं।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आगामी पर्वों को देखते हुए देशवासियों से लोकल उत्पाद खरीदने का एक बार फिर आग्रह करते हुए कहा कि जिसमें हमारे विश्वकर्मा साथियों की छाप और भारत की मिट्टी की महक हो वही उत्पाद उपयोग करें । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के माध्यम से सनातन संस्कृति का भी सन्देश दिया है क्योकि हिंदू धर्म के आगामी दिनों में जितने भी पर्व व तिथियां आने वाली हैं उसमें जितनी भी छोटी से छोटी सामग्री व उत्पाद प्रयोग में लाए जाते हैं वह सभी वंचित समाज के इन्हीं पारंपरिक कारीगरों व शिल्पकारों की मदद से ही बनाये जाते हैं।

एक कालखंड बीच में ऐसा भी आ गया था कि हमारे पारंपरिक कारीगर व शिल्पकार जो उत्पाद बनाते व बेचते थे उस पर चीनी उत्पादों का दबदबा होता जा रहा था और हमारे कारीगर अपनी कला छोड़ने को मजबूर हो रहे थे ।

नई विश्वकर्मा योजना से ऐसे ही कारीगरों की कला को नया जीवन मिलेगा। यह योजना पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए आचार संहिता लागू करने से पूर्व ही प्रारम्भ कर दी गई है और माना जा रहा है कि इन सभी राज्यों में इस योजना का प्रचार अवश्य किया जाएगा क्योंकि इस योजना के लाभार्थी चुनावी राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

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