राग - ए- दरबारी: उत्तर प्रदेश का विकास : और नहीं बस और नहीं ...गम के प्याले और नहीं

Update:2017-12-08 14:07 IST

संजय भटनागर

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश। 22 करोड़ की आबादी और आकार में विश्व के पांचवे देश के बराबर। लोकसभा में 80 सीटें और विधान सभा में 403 सदस्यों की संख्या। हम लोग के पास मुदित होने के बहुत कारण है जैसे इस प्रदेश ने देश को सात प्रधानमंत्री दिए और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहीं से सांसद हैं। अब जरा ‘रियल्टी चेक’ किया जाये जिसके बाद जो तस्वीर उभरती है तो पता चलता है कि हमारी खुशी कितनी मिथ्या है और हमारे पास शायद ही कोई कारण हो जो हम देश के सबसे बड़ेे प्रदेश का गुणगान कर पाएं।

हाल ही में देश के सभी राज्यों का एक सर्वे किया गया जिसमें पता चला कि अधिकांश मानकों पर उत्तर प्रदेश इस कदर पिछड़ा है कि यहाँ का एक एक नागरिक राजनीतिज्ञों से सवाल पूछने के लिए स्वतंत्र है। वर्ष 15-16 के आंकड़ों के अनुसार देखिये तो शिक्षा के मामले में उत्तर प्रदेश का स्थान 13वां, इन्फ्राास्टक्चर में 16वां, सफाई और पर्यावरण में 16वां, कृषि में 17वां, स्वास्थ्य सुविधाओं में 10वां, पर्यटन में 16वां, कानून व्यवस्था में 15 वां है। यही नहीं, गरीबी के मानदंडों पर यह प्रदेश देश के दस सबसे गरीब प्रदेशों में से एक है जहाँ लगभग 30 प्रतिशत जनसँख्या गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। अब यह देखना अप्रासंगिक ही होगा कि विकास के क्षेत्र में कौन से प्रदेश शीर्ष पर हैं क्योंकि फिलहाल उत्तर प्रदेश बहुत नीचे है।

निश्चित तौर पर ये आंकड़े उत्तर प्रदेश की महानता का गुणगान करने वालों के समक्ष यक्ष प्रश्न प्रस्तुत करते हैं जिसका जवाब उत्तर प्रदेश की धैर्यवान जनता सालों साल से ढूंढ रही है। लेकिन आखिर कब तक?

सरसरी तौर पर अन्य प्रदेशों के तमाम नगरों पर नजर डालें तो पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में शायद ही ऐसा कोई शहर होगा जो सुविधा, इन्फ्राास्ट्रक्चर और नागरिक सहूलियतों में जयपुर, भोपाल, रांची, बंगलुरु, विशाखापट्नम, इंदौर और यहाँ तक बड़ौदा से बेहतर होगा। प्रदेश में प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकारें रह चुकी हैं लेकिन प्रगति के नाम पर ठन ठन गोपाल। ऐसा क्यों है? क्या हमने गलत समय पर गलत सरकारें चुनीं या यहाँ के नागरिकों में ही कोई कमी रही या हमारी प्राथमिकताएं भ्रमित थीं? नहीं.. सत्य तो यह है कि प्रदेश को साम्प्रदायिकता, जातिवाद, भष्टाचार और भाई भतीजावाद की गर्त में धकेलने के लिए सिर्फ राजनीतिक दल ही जिम्मेदार हैं और प्रदेश की 22 करोड़ इनसे बेहतर ‘ट्रीटमेंट’ की उम्मीद करती है।

आज प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार है, केंद्र में भी भाजपा, एवरेस्ट सरीखा बहुमत और अब कोई बहाना नहीं है विकास रुकने का। बहुत हो चुका, अब और नहीं। सिर्फ अपने आकार और राजनीति पर आसक्त होने का समय गया, अब समय है एक्शन का और भी त्वरित एक्शन।

(लेखक न्यूजट्रैक/अपना भारत के कार्यकारी संपादक हैं)

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