Mulayam Singh Yadav: इसका नाम मुलायम है! जिसका जलवा कायम है!!

Mulayam Singh Yadav News: मुलायम सिंह यादव को श्रेय जाता है कि दो-दो राष्ट्रपति उन्हीं ने बनवाये। प्रणव मुखर्जी का जिन्हे राजीव गांधी डपट कर, काटकर, खुद प्रधानमंत्री बन गये थे।

Written By :  K Vikram Rao
Update:2022-10-11 19:53 IST

Mulayam Singh Yadav Death: इसका नाम मुलायम है ! जिसका जलवा कायम है!!

Mulayam Singh Yadav News: एक गुत्थी सर्जी है, मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav Death) के दिवंगत होने के बाद से। कभी खुलनी चाहिये। सार्वजनिक दर्शन तथा श्रद्धांजलि देने हेतु इस जननायक की शव यात्रा दिल्ली और लखनऊ पार्टी कार्यालय तथा दोनों आवासों से होते हुये जा सकती थी। हजारों चाहनेवाले वंचित रह गये। मेदांता (हरियाणा) से सैफई गांव सीधे ले जाने की तुलना में कुछ समय शायद ज्यादा लग जाता। यूं तो पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव (Former Prime Minister PV Narasimha Rao) का शव सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कांग्रेस पार्टी मुख्यालय के फाटक के बाहर फुटपाथ पर ही रखवा कर सीधे हैदराबाद रवाना कर डाला था। मुलायम सिंह यादव तो जनप्रिय नायक रहे। फिर आधुनिक युग में तो इतने रसायन उपयोग में हैं कि लम्बे अरसे तक शव को परिरक्षित रखा जा सकता है। अब आमजन जिसके अत्यंत अजीज यह लोहियावादी नेता रहे को महरूम कर दिया गया। अक्षम्य है। गमगीन अधिक कर दिया गया।

भारत का बनता समतामूलक पथप्रदर्शक

अपने साढ़े चार दशक पुराने मेरे इस सुहृद से जुड़े कई मंजर तथा माजरे स्मृतियों में अनायास उभर आते हैं। लोहिया की कल्पना का यह सर्वाहारा पात्र यदि नेहरू-इंदिरा मार्का वोट बैंक राजनीति से ऊपर उठ जाता तो वस्तुतः भारत का समतामूलक पथप्रदर्शक बनता। यदुवंशी और इस्लामिस्ट का मोह तजता तो दुनिया में शीर्ष पर जाता। राष्ट्र के इतिहास में कौन-सा स्थान मिलेगा यह तो आनेवाला वक्त ही तय करेगा। पर वर्तमान में इतना तो निश्चित ही है कि सवा पांच फिट के कद वाले मुलायम सिंह के समक्ष कई वर्तमान राजनेता वामनाकार दिखते हैं। भले ही लम्बे हों। मसलन प्रधान मंत्रियों का उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश से वे भी दिल्ली के शासक बन सकते थे। कम से कम एचडी देवेगौड़ा और इन्दर गुजराल की तुलना में। यह दोनों लोग प्रधानमंत्री बन बैठे, धुप्पल में। किस्सा जगजाहिर है।


साक्षीजन बताते हैं कि गैरकांग्रेसी, गैरभाजपायी सांसदों ने विश्वनाथ प्रताप सिंह के भूमिगत हो जाने पर और ज्योति बसु को पार्टी माकपा महासचिव प्रकाश करात द्वारा काट देने पर नये दावों का दौर चला। सुना है कि तब अपने लहजे में लालू यादव बोले कि: ''अब तो कोई भी घोड़ा दौड़ सकता है।'' इस पर कर्नाटक के एचडी देवेगौड़ा जिनके पास सांसद भी केवल चन्द थे उछल पड़े और कहा: ''आई एम रेडी'' (तैयार हूं।) लालू अक्षर 'घ' का उच्चारण 'ग' कर बैठे। और भारत का नया शासक यूं एक नाकारा, जिलास्तरीय, आधारहीन व्यक्ति बन गया। मगर अगले अवसर पर तो बाकायदे मुलायम सिंह यादव के नाम पर आम सहमति बन ही गयी थी।

सरदार हरकिशन सिंह सुरजीत, संयोजक, निर्णय करके तड़के सुबह मास्को चले गये थे। दिल्ली के आंध्र प्रदेश भवन में चन्द्रबाबू नायडु गवाह रहे। यूपी से फिर एक दफा प्रधानमंत्री आ जाता। पर यदुवंशियों ने द्वारकावाला माहौल पैदा कर दिया। लालू प्रसाद यादव ने लंगड़ी लगा दी। घमंड था कि उनसे बड़ा यदुवंशी कौन होता ? अर्थात लालू यादव ने मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनने से अवरूद्ध कर दिया। इतिहास बदलते बिगाड़ ही डाला। कौन बना पीएम ? एक अतीव जनाधारहीन, हवाई राजनेता जिसे संजय गांधी ने फटकार कर बर्खास्त किया था। इन्दर कुमार गुजराल। मगर उन्हें फिर बक्सरवाले सीताराम केसरी ने गिरा दिया। मुलायम सिंह यादव तो कम से कम इस कन्नड़ ग्रामीण ओवरसियर तथा पश्चिम पंजाब से आये शरणार्थी से कई गुना योग्य प्रधानमंत्री बनते। भाग्य और लालू यादव को कुछ और ही सूझा था।

मुलायम सिंह यादव ने बनवाये दो-दो राष्ट्रपति

मुलायम सिंह यादव को श्रेय जाता है कि दो-दो राष्ट्रपति उन्हीं ने बनवाये। प्रणव मुखर्जी का जिन्हे राजीव गांधी डपट कर, काटकर, खुद प्रधानमंत्री बन गये थे। कांग्रेस ने निस्कासित भी कर दिया था। मुलायम सिंह की बेहतरीन सियासी कारगुजारी थी कि उन्होंने एक और भी राष्ट्रपति बनवाया उस व्यक्ति को जो असली भारत का शतप्रतिशत प्रतिनिधि था। सागरतटीय तीर्थस्थल रामेश्वरम का सुन्नी, अखबार का हॉकर, डा. एपीजे अब्दुल कलाम। उनसे अधिक राष्ट्रभक्त व्यक्ति भारत में शायद कोई रहा हो। डा. कलाम को मुलायम सिंह यादव जानते थे क्योंकि वे रक्षामंत्री थे तो डा. कलाम उनके परामर्शदाता रहे। गनीमत रही वर्ना अटल बिहारी वाजपेयी तो ठेठ नेहरू-कांग्रेसी परिवार वाले लाला कृष्णकान्त कोहली को उपराष्ट्रपति से राष्ट्रपति बनाये दे रहे थे।

मुलायम सिंह ने एक सरकारी नौकर को दोबारा राष्ट्रपति बनने से रोका भी। सन 2002 में के.आर नारायणन फिर राष्ट्रपति बननेवाले थे। उन्होंने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री की शपथ अप्रैल 1999 में दिला ही दी थी। मगर वाह रे सैफई के शेर मुलायम सिंह! इसने न केवल यूरेशियन सोनिया गांधी बल्कि विदेश सेवा में नौकर रहे नारायणन को शीर्ष पद से वंचित रखा। यूं अब गुजरात से आयातीत हुए गिर जंगल के अफ्रीकी बबर शेर सैफई में खूब पल रहे हैं।

मुलायम सिंह यादव का भाजपा का प्यार-घृणा का रहा नाता

एक खास बात! दोआबा की राजनीति में निष्णात मुलायम सिंह यादव का भाजपा का प्यार-घृणा का नाता रहा। नरेन्द्र मोदी को अगले प्रधानमंत्री पद पर उन्हीं ने लोकसभा में नामित कर दिया। कुछ वर्ष पहले यूपी विधानसभा के आम चुनाव हुए थे । उसमें समाजवादी पार्टी का विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। मगर पहले भाजपा मुलायम सिंह यादव को सरकार बनाने के पक्ष में भाजपा नहीं थी। हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी खुद संसदीय बहुमत न पाने के बावजूद पीएम बन गये थे। तब पूर्व भाजपाई विष्णुकान्त शास्त्री यूपी के राज्यपाल थे। रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के अनुरोध पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राज्यपाल को कहा कि मुलायम सिंह यादव को शपथ दिलायी जाये। लखनऊ के विशाल मैदान पर जॉर्ज फर्नांडिस के इस समारोह में आने पर दो पुराने लोहियावादी एक दूजे के सहायक बने।

मुलायम सिंह को कहा था मौलाना मुलायम

विश्व हिन्दू परिषद ने अयोध्या में कारसेवकों पर गोलीबारी पर मुलायम सिंह को ''मौलाना मुलायम'' कहा था। मगर यही मौलाना फिर सीएम बने (5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक)। मुलायम सिंह जब पहली बार मुख्यमंत्री बने (5 दिसम्बर 1989) तो उनकी विजय कई मायनों में सोनिया-कांग्रेस के लिए फातिहा ही हो गयी। तब से आज तक तीन दशक हो गये कांग्रेस को सत्ता से बाहर रहे।

इसका नाम मुलायम है !

जिसका जलवा कायम है!!

मुलायम सिंह यादव का हमारे इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नालिस्ट से सामीप्य रहा। मथुरा और लखनऊ अधिवेशनों में वे आये थे। समाचारपत्र और संवाद समितियों के राष्ट्रीय कान्फेडरेशन का सम्मेलन को लखनऊ में संबोधित किया।

लालू यादव को मुलायम सिंह यादव ने बनवाया था 1990 में बिहार का मुख्यमंत्री

मगर इस लोहियावादी पुरोधा से हमारी शिकायत भी रही है। लालू यादव को इन्हीं मुलायम सिंह यादव ने 1990 में बिहार का मुख्यमंत्री बनवाया था। वयोवृद्ध रामसुन्दर दास तथा विप्र रघुनाथ झा को काटकर। अपने लक्ष्मण जैसे अनुज शिवपाल सिंह यादव की उपेक्षा कर मुलायम सिंह यादव ने पिता बनना अधिक पसंद किया। यह बात लोहिया पार्क में 15 मार्च 2012 के दिन (तब पुत्र अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने कुल आठ दिन ही हुये थे) विशाल जनसभा में मुख्य वक्ता के नाते मैंने कही थी। तभी ''बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ'' का अभियान भी चल रहा था। मैंने कहा था कि: ''बिना कन्यादान किये मोक्ष नहीं मिलता है। मुलायम भाई आपकी तो बेटी हैं ही नहीं। तो आपको दोबारा मृत्युलोक में आना पड़ेगा।'' अतः इस बार मुलायम सिंह नये जन्म में भारत को समतामूलक समाजवादी बनाने का अधूरा काम पूरा कर देंगे। आशा है। अपेक्षा भी।

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