Sassoon Library: सेसून लाइब्रेरी: यहूदी धरोहर, यूनेस्को ने पुरस्कृत किया !!
Sassoon Library: पुरानी पुस्तकों और प्राचीन इमारतों को पसंद करने वाले हर व्यक्ति को यह खबर अच्छी लगेगी। संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने इस वर्ष (2023) का मेरिट एवार्ड मुंबई के 155 वर्ष पूर्व निर्मित डेविड सेसून लाइब्रेरी को दिया है। इस महानगर के काला घोड़ा इलाके में स्थित इस ऐतिहासिक भवन की कहानी अद्भुत है।
Sassoon Library: पुरानी पुस्तकों और प्राचीन इमारतों को पसंद करने वाले हर व्यक्ति को यह खबर अच्छी लगेगी। संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने इस वर्ष (2023) का मेरिट एवार्ड मुंबई के 155 वर्ष पूर्व निर्मित डेविड सेसून लाइब्रेरी को दिया है। इस महानगर के काला घोड़ा इलाके में स्थित इस ऐतिहासिक भवन की कहानी अद्भुत है।
इसराइल गणराज्य के लोग इसे दोनों राष्ट्रों के संबंधों को प्रगाढ़ बनाने का कारण भी मानते हैं। गनीमत रही कि पाकिस्तानी आतंकवादियों, कसाब को मिलाकर, ने ताज होटल और यहूदी भवन छबाड हाउस पर हिंसक हमला (26 नवंबर 2008) किया था, मगर यह प्राचीन यहूदी स्थल बच गया था। पाकिस्तानी खासकर यहूदियों को निशाना बना रहे थे। यदि यह सेसून लाइब्रेरी उन जेहादियों का शिकार हो जाती तो अमूल्य किताबें और पांडुलिपियां नष्ट हो जाती। मुंबई की धरोहर ही खत्म हो जाती। इस 19वीं सदी के भवन में सत्तर हजार बेशकीमती किताबें हैं। करीब तीन हजार पुस्तक प्रेमी यहां पढ़ने आते हैं।
डेविड ससून लाइब्रेरी दूसरा यहूदी विरासत स्थल
यह जर्जर भवन संरक्षण वास्तुकार श्रीमती आभा नारायण लांबा के प्रयासों से संवारा गया है। इसी के फलस्वरूप यह वैश्विक पारितोष प्राप्त हुआ। लांबा के अनुसार इस प्राचीन इमारत का संरचनात्मक रूप ही एक चुनौती थी। आर्थिक तंगी भी थी। मगर इसी वर्ष मई में साढ़े तीन करोड़ राशि प्राप्त हुई और जीर्णोद्धार हो गया। दान देनेवालों में आईसीआईसीआई फाउंडेशन, इजरायली वाणिज्य दूतावास और काला घोड़ा एसोसिएशन थे। जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन की संगीता जिंदल जैसे लोगों ने मदद की। काला घोड़ा आराधनालय (नेसेट एलियाहू) परियोजना पर एक साथ काम किया गया था। डेविड ससून लाइब्रेरी दूसरा यहूदी विरासत स्थल है जिसे बहाल किया गया है। यूनेस्को ने इस प्रयास को मान्यता दी है।
एक वास्तुशिल्प और सांस्कृतिक मील का पत्थर होने के अलावा, यह पुस्तकालय ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बाबा साहेब अंबेडकर ने वहां भारतीय संविधान का अंतिम मसौदा लिखा था। पुस्तकालय के पिछवाड़े में एक बगीचा है, जहां सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रम होते हैं। यह शहर के बीच में एक शांत पढ़ने की जगह भी है। रियायती दरों पर छात्रों तक सुविधा प्रदान करता है। लाइब्रेरी के अध्यक्ष हेमंत भालेकर ने कहा : “पुरस्कार प्राप्त करना आनंददायी है। एस्प्लेनेड रोड (अब महात्मा गांधी रोड) की पुरानी तस्वीरों को एक ढलान वाली छत के साथ पुस्तकालय दिखाया गया है। इसे कंक्रीट की छत से बदल दिया गया था। अब इमारत पुरानी तस्वीरों की तरह दिखती है।”
पुस्तकालय का निर्माण बगदाद के एक यहूदी व्यापारी डेविड ससून के दान से किया गया था। उनका परिवार मुंबई में बस गया था। पुणे में 1864 में मृत्यु के पूर्व उन्होंने कई सार्वजनिक परियोजनाओं हेतु अपनी विरासत छोड़ी है। जैसे ससून जनरल अस्पताल, (पुणे) मुंबई का ससून डाक। यह प्रसिद्ध पुस्तकालय एक विरासत संरचना है। इसे स्थापित करने का विचार सैसून के पुत्र अल्बर्ट का था।
यह सैसून लाइब्रेरी और रीडिंग रूम विक्टोरियन स्थापत्य शैली में निर्मित है। इसमें नुकीले मेहराब, जानवरों की आकृतियों से सजे स्तंभ और बर्मा सागौन की लकड़ी से बने जटिल रूप से डिजाइन किए गए ट्रस और छत हैं। इस इमारत को शिल्पी जे. कैंपबेल और जीई गोस्लिंग ने स्कॉट मैक्लेलैंड एंड कंपनी डिजाइन किया था। डेविड सैसून ने सवा लाख रुपए का दान दिया। जबकि बाकी लागत बॉम्बे प्रेसीडेंसी सरकार द्वारा प्रदत्त थी। पुस्तकालय काला घोड़ा की ओर देखते हुए रैम्पर्ट रो पर स्थित है। निकटवर्ती एलफिंस्टन कॉलेज, सेना और नौसेना भवनों और वॉटसन होटल की तरह का आकार है । प्रवेश द्वार पोर्टिको के ऊपर डेविड सैसून की एक सफेद पत्थर की मूर्ति है।
डेविड सैसून
इमारत के वास्तुशिल्प महत्व को देखते हुए, श्रीमती लांबा की टीम ने बड़े पैमाने पर अभिलेखीय अनुसंधान और दस्तावेज़ीकरण पर भरोसा किया। प्रत्येक नए तत्व, जैसे कि धातु के झूमर, को इमारत की शैली के साथ एकीकृत करने के लिए 19 वीं शताब्दी के समान तैयार किया गया था। डेविड सैसून की पहल से बगदादी यहूदियों को 1864 में भायखला क्षेत्र में अपना पहला मंदिर भी मिला। इसे मैगन डेविड सिनेगॉग के नाम से जाना जाता था। यह यूरोपीय शैली में बनाया गया था।
डेविड सैसून 1832 में बंबई आ गये थे। तब खुद को कपास उद्योग के मजिस्ट्रेट के रूप में स्थापित किया। उन्होंने भायखला में सिनेगॉग का निर्माण कराया। उनके बेटे, अल्बर्ट सैसून ने बॉम्बे में बुनाई उद्योग को ही बदल दिया।
इसी पुस्तकालय की मुंबई में सांस्कृतिक विरासत के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में पहचान है। पड़ोस का काला घोड़ा महोत्सव मुंबई की सांस्कृतिक धरोहर है। इसके माध्यम से स्थानीय कलाकारों को पहचान मिलती है। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का संदेश दिया जाता है। काला घोड़ा नाम घोड़े पर सवार राजा एडवर्ड सप्तम की एक काले पत्थर की मूर्ति है। जिसे डेविड सैसून ने बनाया था, हालांकि इस मूर्ति को हटा दिया गया।
काला घोड़ा कला महोत्सव कला
काला घोड़ा कला महोत्सव कला, संस्कृति और रचनात्मकता का उत्सव है जिसने लाखों लोगों के दिलों को मंत्रमुग्ध किया है। यह कला महोत्सव नौ दिनों एक बहु-दिवसीय उत्सव है, जो विविध कला रूपों और सांस्कृतिक गतिविधियों को दिखाता है। यह फरवरी में होता है, जो दुनिया भर से हजारों कला प्रेमियों को आकर्षित करता है। उत्सव के दौरान, काला घोड़ा परिसर कला प्रदर्शनियों, नृत्य प्रदर्शनों, संगीत समारोहों, थिएटर शो, हेरिटेज वॉक, कार्यशालाओं आदि सहित कई कार्यक्रमों से जीवंत हो उठता है। भारत में धरोहर के संरक्षण के इतिहास में सेसून पुस्तकालय एक यादगार घटना है। अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पाकर तो इसका इतिहास महत्वपूर्ण हो गया है।